नर्मदा बचाओ आंदोलन का इतिहास व् निबंध Narmada bachao andolan history in hindi language

narmada bachao andolan history in hindi language

दोस्तों आज हम आपको नर्मदा बचाओ आंदोलन के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम इस आर्टिकल के माध्यम से नर्मदा बचाओ आंदोलन का इतिहास व् निबंध को पढ़ेंगे । सन 1661 में पंडित जवाहरलाल नेहरू के द्वारा नर्मदा नदी पर सरोवर बांध परियोजना की शुरुआत की गई थी । इस परियोजना से दो बड़े बांध देश में बनाए जाएंगे ऐसा पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था । सरोवर बांध गुजरात में बनाया जाएगा और नर्मदा बांध मध्य प्रदेश में । इस बांध के माध्यम से मध्य प्रदेश , राजस्थान और गुजरात के सूखे ग्रस्त इलाकों को पानी दिया जाएगा ।

narmada bachao andolan history in hindi language
narmada bachao andolan history in hindi language

image source –https://www.legalindia.com/narmada-bachao-andolan/

जब यह बांध बनकर तैयार हो जाएंगे तब इन बांध के माध्यम से बिजली बनाई जाएगी । जब पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस परियोजना का उद्घाटन किया था तभी से इस परियोजना का विरोध होने लगा था क्योंकि इस बांध की ऊंचाई 138.68 , लंबाई 1200 मीटर , गहराई 163 मीटर की जानी थी । इस परियोजना के माध्यम से जो बांध बनाया जाने बाला था उसकी ऊंचाई अधिक की जानी थी । इस परियोजना के माध्यम से भारत के 4 राज्यों गुजरात , मध्य प्रदेश , राजस्थान और महाराष्ट्र में एक उपयुक्त जल वितरण नीति बनाई गई थी लेकिन राजस्थान , मध्यप्रदेश , गुजरात और महाराष्ट्र इन चार राज्यों में जल वितरण नीति पर कोई सहमति नहीं बन पाई थी ।

1969 में नर्मदा जल विवाद का मामला कोर्ट में चला गया था और जल विवाद को सुलझाने के लिए 1969 में सरकार ने एक न्यायाधिकरण का गठन किया ताकि जल संबंधी विवाद का हल किया जा सके । जब न्यायाधिकरण के द्वारा 1979 में सर्वसम्मति के द्वारा नर्मदा घाटी परियोजना  के निर्माण की सहमति मिली तब  इस परियोजना के निर्माण कार्य शुरू हुए थे .  इस परियोजना के  माध्यम से 4134 नदियों के द्वारा दो विशाल बांध बनाने की योजना मध्य प्रदेश में  नर्मदा सागर बांध और गुजरात में सरदार सरोवर बांध बनाई जानी थी .

इस परियोजना के निर्माण के लिए विश्व बैंक ने सन 1985 में 450 करोड़ डॉलर देने की घोषणा की थी . इस परियोजना के माध्यम से राजस्थान , मध्यप्रदेश और गुजरात क्षेत्रों की सूखी हुई  2.27 करोड़ हेक्टेयर भूमि को बांध के जल से  सिंचित किया जाएगा .  इस परियोजना के विरोध में काफी लोग सामने आए थे क्योंकि इस परियोजना में 192 गांव और एक नगर डूब क्षेत्र में आ रहा था . इस बांध के निर्माण के कारण तकरीबन 40000 परिवार बेघर हो रहे थे .

नर्मदा बचाओ अभियान के माध्यम से कई लोगों ने इस परियोजना का विरोध किया था . इस परियोजना से भारत के कई वन क्षेत्रों के पानी में डूबने के आसार थे . जहां पर यह बांध बनाए जाने थे वहां के आसपास रहने वाले लोगों को उस स्थान को छोड़कर जाने की नौबत आ चुकी थी क्योंकि वहां के आसपास का क्षेत्र पानी से डूबने के कगार पर था . कई लोगों ने इस परियोजना का विरोध जताया था . नर्मदा बचाओ आंदोलन के माध्यम से इस बांध परियोजना का विरोध किया गया था .

जब इंजीनियरों ने बताया कि इस बांध को हमें अधिक से अधिक ऊंचाई देनी होगी जिसके लिए आसपास के क्षेत्र को खाली कराना होगा उस समय कई लोगों को वहां से पलायन करना पड़ा था . भारत सरकार ने उन लोगों को जिनके खेत  , घर बांध क्षेत्र में चले गए थे उनको मुआवजा देने की बात कही थी . सरकार का यह मानना था कि जब यह दो बांध बनकर  तैयार हो जाएंगे तब कई किसानों को इस बांध के माध्यम से  सिंचाई के लिए पानी दिया जाएगा .

दोस्तों हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख नर्मदा बचाओ आंदोलन का इतिहास व् निबंध narmada bachao andolan history in hindi language आपको पसंद आए तो सब्सक्राइब अवश्य करें धन्यवाद .

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *