नैना देवी मंदिर का रहस्य व् इतिहास Naina devi temple history in hindi
Naina devi temple history in hindi
Naina devi temple – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से नैना देवी मंदिर के रहस्य व् इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम इस बेहतरीन आर्टिकल को पढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद नैना देवी मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।
नैना देवी मंदिर के बारे में – नैना देवी मंदिर भारत देश का सबसे सुंदर अद्भुत चमत्कारी मंदिर है जिस मंदिर की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है । नैना देवी मंदिर भारत देश के हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित है । यह सुंदर अद्भुत चमत्कारी मंदिर शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ी पर स्थित है जिसकी सुंदरता और भी अधिक सुंदर दिखाई देती है । पहाड़ी क्षेत्र में होने के कारण आसपास क्षेत्र का वातावरण बहुत सुंदर दिखाई देता है । जब हम इस मंदिर को देखने के लिए पहुंचते हैं तब इस मंदिर की सुंदरता दिखाई देने लगती है ।
यह मंदिर माता शक्तिपीठ को समर्पित है । नैना देवी का यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में शामिल किया गया है । यह मंदिर इतना अधिक सुंदर और अद्भुत चमत्कारी है जो भी व्यक्ति इस मंदिर को पहली बार देखता है वह इस मंदिर को बार-बार देखने की इच्छा रखता है । लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है । मंदिर का निर्माण उस पहाड़ी पर किया गया है जिस पहाड़ी पर माता सती का एक अंग गिरा था । इस मंदिर का निर्माण समुद्र तल से तकरीबन ग्यारह सौ मीटर की ऊंचाई पर कराया गया है । नैना देवी मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह वही मंदिर है जहां पर माता सती की आंखें गिरी थी ।
इसीलिए इस मंदिर को नैना देवी मंदिर कहा गया है और इस मंदिर का संबंध माता सती देवी से है । इसलिए भारतीय लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है और प्रतिवर्ष लाखों करोड़ों की संख्या में पर्यटक नैना देवी मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं और नैना देवी मंदिर के दर्शन करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । नैना देवी मंदिर मे मंदिर में स्थित पीपल के पेड़ से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है क्योंकि नैना देवी के मंदिर में पीपल का पेड़ काफी पुराना अद्भुत चमत्कारी पेड़ है । जिस पीपल के पेड़ के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस पीपल के पेड़ में 36 करोड़ देवी देवता निवास करते हैं ।
यह पीपल का पेड़ प्राचीन समय से ही सभी लोगों के लिए आस्था का केंद्र रहा है । सभी लोग इस पीपल के पेड़ की पूजा अर्चना करके अपने जीवन में खुशी आनंद प्राप्त करते हैं । मंदिर के अंदर , मंदिर के मुख्य द्वार के अंदर जब कोई पर्यटक प्रवेश करता है तब मुख्य द्वार के दाएं ओर उस पर्यटक को गणेश भगवान और हनुमान की प्रतिमा दिखाई देती है और वह पर्यटक गणेश जी महाराज और हनुमान जी महाराज के दर्शन करके अपने जीवन में खुशी आनंद प्राप्त करते हैं ।
नैना देवी के मंदिर के पास में ही एक गुफा मौजूद है उस गुफा के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह प्राचीन समय से ही बनी हुई है और इस गुफा के दर्शन करने से नैना देवी प्रसन्न होती हैं और मनुष्य के जीवन में खुशियां भर देती हैं । एक कथा के अनुसार यह कहा जाता है कि जब राजा दक्ष के द्वारा एक यज्ञ का आयोजन कराया गया था तब उस यज्ञ में महान लोगों विष्णु भगवान , ब्रह्मा जी और भी कई देवी देवताओं को आमंत्रित किया गया था । राजा दक्ष भगवान भोलेनाथ के ससुर थे और वह भगवान भोलेनाथ को पसंद नहीं करते थे ।
राजा दक्ष ने भगवान भोलेनाथ को यज्ञ समारोह में नहीं बुलाया था । परंतु माता पार्वती ने ना बुलाने पर भी इस यज्ञ में जाने का फैसला कर लिया था । जब मां पार्वती बिना बुलाए राजा दक्ष के यज्ञ समारोह मे पहुंची तब राजा दक्ष के द्वारा माता पार्वती का अपमान किया गया था । जब माता पार्वती बिना बुलाए राजा दक्ष के आश्रम पहुंची तो राजा दक्ष ने माता पार्वती का अपमान किया था । जब दक्ष के द्वारा भोलेनाथ का अपमान किया गया तब माता पार्वती यह अपमान सहन नहीं कर सकीं और अग्नि में समा गई थी । जिसके बाद भोलेनाथ क्रोधित हो उठे और वह तांडव करने लगे थे ।
भोलेनाथ माता पार्वती को अग्नि से निकाल कर ले जाने लगे और पूरी दुनिया में हाहाकार मच गया था । भगवान विष्णु ने भोलेनाथ की पीड़ा को कम करने के उद्देश्य से अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के देह को 51 भागों में काट दिया था और वह 51 भाग जिस जिस स्थान पर गिरे थे वह स्थान शक्तिपीठ कहलाए थे । 51 भाग में से आंखें हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के शिवालिक पर्वत पर गिरी थी । जहां पर एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया था और उस मंदिर का नाम नैना देवी मंदिर रखा गया था ।
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