इज़राइल का इतिहास Israel history in hindi

Israel history in hindi

Israel – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से इजराइल देश के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इजराइल देश के इतिहास के बारे में जानते हैं ।

Israel history in hindi
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इज़राइल देश के इतिहास के बारे में – इज़राइल देश का इतिहास काफी प्राचीन समय का है । इज़राइल देश सबसे छोटा देश है परंतु राजनीति करने में इज़राइल देश सबसे बेहतर माना जाता है । यदि इज़राइल देश के इतिहास के बारे में जानना है तो हमें यहूदियों के बारे में जानकारी प्राप्त करना पड़ेगी । यहूदियों के बारे में यदि हमें जानना है तो हमें यहूदियों के धर्म ग्रंथ पुराना अहदनामा को पढ़ना पड़ेगी , समझना पड़ेगी । इज़राइल एक इस संसार के यहूदी धर्मावलंबियों के द्वारा स्थापित किया गया प्राचीन राष्ट्र का नया रूप है ।

जब धर्मावलंबियों के इस प्राचीन राष्ट्र का एक नया रूप प्रस्तुत किया गया , एक नया राष्ट्र बनाया गया तब इस राष्ट्र का नाम इज़राइल रखा गया था । इज़राइल देश का नया राष्ट्र 14 मई 1948 को अस्तित्व में आया और इसके निर्माण की घोषणा करने के साथ-साथ इसके विकास की योजना बनना प्रारंभ हुई थी । इज़राइल के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इसराइल प्राचीन समय के फिलिस्तीन एवं पैलेस्टाइन का ही भाग है । फिलिस्तीन पैलेस्टाइन से ही इजरायल देश का विकास हुआ है ।

यहूदियों के धर्म ग्रंथ पुराना अहदनामा के अनुसार इज़राइल देश का इतिहास – यहूदियों के धर्म ग्रंथ पुराना अहदनामा के अनुसार इज़राइल देश का इतिहास काफी दिलचस्प रहा है । जब हम यहूदियों के इस ग्रंथ को पढ़ते हैं तब हमें इज़राइल देश के इतिहास के बारे में रोचक जानकारियां प्राप्त होती हैं । यहूदियों के धर्म ग्रंथ पुराना अहदनामा के अनुसार यहूदी जाति की उत्पत्ति पैगंबर हजरत अब्राहम से हुई थी । अब्राहम के बारे में ऐसा कहा जाता है कि अब्राहम का जीवन काल लगभग ईशा समय से 2000 वर्ष पूर्व में रहा है ।

अब्राहम के बेटे का नाम इसहाक था एवं अब्राहम के पोते का नाम याकूब था ।याकूब को सभी उसके दूसरे नाम इज़राइल के नाम से भी जानते थे । याकूब ने ही इज़राइल देश के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था । अब हम जानेंगे कि इज़राइल देश के निर्माण में याकूब की क्या भूमिका थी ।याकूब ने यहूदियों की 12 जातियों को एकत्रित किया और उन सभी जातियों की आपस में मित्रता कराई ।

इसके बाद जब याकूब ने 12 जातियों की दोस्ती कराई तब सभी लोगों की सहमति से उन जातियों के समूह के द्वारा एक राष्ट्र बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी ।  उस राष्ट्र का नाम याकूब के दूसरे नाम इज़राइल पर रखा गया था ।

अरब के उत्तर में एवं फिलिस्तीन में इज़राइल देश की भूमिका – फिलिस्तीन एवं अरब देश के उत्तर में इज़राइल एवं जूदा नाम की दो अलग-अलग सल्तनते रहती थी और दोनों में अपने शुरुआती जीवन काल से ही बड़ी शत्रुता थी । दोनों सल्तनतो के बीच काफी समय तक शत्रुता चलती रही । दोनों के बीच कई बार घमासान युद्ध हुए । जब दोनों सल्तनतो ने यह देखा कि युद्ध से दोनों सल्तनते कमजोर हो रही है , युद्ध से दोनों को कुछ भी फायदा नहीं हो रहा है तब दोनों सल्तनत ने आपस में समझौता करने का फैसला किया था और दोनों सल्तनते एक हो गई थी ।

जब दोनों सल्तनत एक हो गई थी तब एक राष्ट्र बनाने का निर्णय किया गया था और उस देश  का नाम इजरायल रखा गया था ।

यहूदियों के प्रारंभिक इतिहास की जानकारी उनके धर्म ग्रंथ के अनुसार – यहूदियों का सबसे बड़ा धर्म ग्रंथ पुराना अहदनामा है । जिसमें यहूदियों के जीवन काल की पूरी घटनाएं हैं । यहूदियों के इस पुराने अहदनामा ग्रंथ में तीन ग्रंथ समाहित हैं । पहला ग्रंथ तौरेत है । जिसका अर्थ होता है धारण करने वाला एवं बांधने वाला । यहूदियों का दूसरा ग्रंथ यहूदी पैगंबरो का जीवन चरित्र और तीसरा ग्रंथ है पवित्र लेख । तीनों को मिलाकर के यहूदियों का एक ग्रंथ तैयार किया गया और उस ग्रंथ का नाम पुराना अहदनामा रखा गया था ।

यहूदियों की इस पुराने अहदनामा में 39 खंड एवं पुस्तिका है । यहूदियों के पुराने अहदनामा में मनुष्य का जन्म , सृष्टि की रचना , यहूदी की जाति , पौराणिक कथाएं , यहूदियों का इतिहास , सदाचार के नियम , धार्मिक कर्मकांड आदि के बारे में जानकारी प्रस्तुत की गई है । इज़राइल देश एक छोटा देश है परंतु इज़राइल देश की राजनीतिक शक्ति बहुत मजबूत है । इज़राइल देश दुनिया का इकलौता यहूदी राष्ट्र के रूप में जाना जाता है । इज़राइल देश यहूदियों का देश है ।

जब जब इस देश पर दुश्मनों की नजर पड़ी है और दुश्मनों ने इस देश पर हमला करने की कोशिश की है तब  इज़राइल में रहने वाले यहूदियों ने अपनी जान पर खेलकर अपने राष्ट्र की रक्षा की है । इज़राइल में रहने वाले यहूदियों को अपने राष्ट्र से बहुत प्रेम है । वहां पर रहने वाले नागरिक इज़राइल देश की रक्षा के लिए अपनी जान भी देने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं ।

israel palestine conflict history in hindi इज़राइल एवं फिलिस्तीनी संघर्ष के बारे में – इसराइल एवं फिलिस्तीनी संघर्ष काफी समय से चलता आ रहा है । यदि हमें इज़राइल फिलिस्तीनी संघर्ष को जानना है तो हमें दोनों देशों के बारे में गहराई से जानने की आवश्यकता होती है । यह अरब इजरायल संघर्ष की एक लंबी कड़ी है । यह दोनों समूह इज़राइल एवं फिलिस्तीनी दोनों एक ही क्षेत्र पर अपना दावा करते हैं और दोनों समूह उस क्षेत्र को प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं । काफी समय से दोनों के बीच विवाद भी चला आ रहा है जो थमने का नाम नहीं ले रहा है ।

इज़राइल एवं फिलिस्तीन के संघर्ष को रोकने के लिए दोनों के बीच द्वि राज्य सिद्धांत – इज़राइल एवं फिलिस्तीन के संघर्ष को रोकने के लिए द्वि राज्य सिद्धांत के जरिए दोनों के संघर्ष को रोकने की कोशिश की गई थी । द्वि राज्य सिद्धांत के तहत इज़राइल से फिलिस्तीन राज्य अलग बनाने के लिए कहा गया था । जब इज़राइल की जनता एवं फिलिस्तीन की जनता में यह बात पता चली कि द्वि राज्य सिद्धांत के तहत एक अलग राज्य बनाने की प्रक्रिया चल रही है तब इज़राइल एवं फिलिस्तीन के पढ़े लिखे लोगों ने द्वी राज्य सिद्धांत राज्य को खत्म करने का फैसला किया था और उन्होंने द्वी राज्य सिद्धांत को लागू न होने के लिए सभी ने एकत्रित होकर इसका विरोध व्यक्त किया था ।

फिलिस्तीन के कई लोग गाजा पट्टी एवं पश्चिमी किनारे को आने वाले भविष्य में अपना राज्य देखते हैं । परंतु वहां पर रहने वाले कुछ शिक्षित लोग भी हैं जो एक राज्य सिद्धांत के पक्ष में हैं । उन लोगों का यह कहना है की एक राज्य यदि बना दिया जाए तब काफी विकास इज़राइल का हो सकता है । वहां पर पढ़े लिखे लोगों का यही कहना है कि इज़राइल गाजा पट्टी और पश्चिमी किनारे को एक साथ रखकर दो राष्ट्र को एक साथ रखकर यदि एक राज्य बना दिया जाए और दोनों राष्ट्रों में रहने वाले लोगों को समान अधिकार दिया जाए तो इज़राइल का विकास दिन प्रतिदिन बढ़ता रहेगा ।

इज़राइल के रहने वाले लोग आराम से अपना जीवन व्यतीत कर सकते हैं । इज़राइल एवं फिलिस्तीन के लोग यही चाहते हैं कि वहां के नागरिकों का विकास हो वह निरंतर सफलता की ओर बढ़े ।

israel and india relationship in hindi इज़राइल और इंडिया के संबंधों के बारे में – भारत और इज़राइल के संबंध शुरुआत में अच्छे नहीं थे । परंतु बाद में भारत और इज़राइल के संबंध मजबूत हुए और आज की स्थिति में भारत और इज़राइल के संबंध बहुत मजबूत हो चुके हैं । यदि हम 1992 की बात करें तो भारत और इज़राइल के बीच में संबंध नहीं थे और भारत के इज़राइल के साथ संबंध ना होने के सिर्फ दो कारण थे । पहला कारण यह था कि भारत गुटनिरपेक्ष राष्ट्र का समर्थक था । भारत पूर्व सोवियत संघ का समर्थक था ।

भारत पूर्व सोवियत संघ का समर्थन करता था । दूसरे गुट निरपेक्ष राष्ट्र की ही रहे भारत इज़राइल को मान्यता नहीं देता था ।इसी कारण से भारत के इज़राइल के साथ संबंध ठीक नहीं थे । दूसरा कारण यह था कि भारत फिलिस्तीन आजादी का समर्थन करता था । इसीलिए भारत के साथ इज़राइल के संबंध अच्छे नहीं थे । 1947 में भारत ने  संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच पर फिलिस्तीन नामक संगठन का निर्माण किया था । जिसके कारण भारत इज़राइल के साथ संबंध नहीं बनाना चाहता था ।

परंतु समय बीतने के साथ-साथ जब 1981 में कश्मीर विवाद भारत और पाकिस्तान के बीच में हुआ तब भारत नेे इज़राइल के साथ संबंध बनाने का निर्णय लिया था । सोवियत संघ के पतन एवं पाकिस्तान के गैर कानूनी घुसपैठ के चलते हुए भारत ने इज़राइल के साथ राजनीतिक संबंध बनाने की सोच बनाई थी । राजनीतिक परिवेश में परिवर्तन के कारण भारत ने इज़राइल के साथ संबंध बनाना प्रारंभ किया था । 1992 के बाद भारत और इज़राइल के बीच एक नए दौर की शुरुआत हुई थी ।

भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से भारत और इज़राइल के संबंधों में मजबूती – जब भारत में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई तब भारतीय जनता पार्टी की ओर से , भारत की ओर से इज़राइल के साथ संबंध और मजबूत करने के लिए कदम आगे बढ़ाए थे । आज इज़राइल रूस के बाद भारत का सबसे बड़ा सैनिक सहायक के रूप में जाना जाता है । इज़राइल से भारत को सैनिक सहायता मिलती है । इज़राइल भारत को सैनिक हथियार निर्यात करता है । जिन हथियारों का उपयोग भारत आतंकवादियों से लड़ने के लिए करता है ।

भारत और इज़राइल के बीच कूटनीतिक एवं सैनिक संबंध – भारत और इज़राइल के बीच सैनिक संबंध बहुत ही मजबूत हैं । सैनिक संबंध के साथ-साथ भारत और इज़राइल के बीच कूटनीतिक संबंध भी बहुत मजबूत हैं ।भारत और इज़राइल में बढ़ रहे आतंकी हमलों के कारण भारत और इज़राइल के बीच संबंध बहुत ही मजबूत हुए हैं । भारत ने इज़राइल के सहयोग से 8 सैनिक उपग्रहों को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के माध्यम से प्रक्षेपित किए हैं । इससे यह पता चलता है कि भारत और इज़राइल के बीच कितने मजबूत संबंध हैं ।

जब भी भारत को इज़राइल देश की सहायता की आवश्यकता होती है तब इज़राइल देश भारत देश की मदद अवश्य करता है और इज़राइल को भारत देश की सहायता की आवश्यकता होती है तब भारत इज़राइल देश की मदद अवश्य करता है ।

सन 1950 से आज तक भारत और इज़राइल के संबंध – सन 1950 से लेकर आज तक भारत और इज़राइल के संबंध बहुत अच्छे हैं । 1947 के समय भारत और इज़राइल के संबंध ठीक नहीं है । 17 सितंबर 1950 को भारत ने इज़राइल को एक आधिकारिक तौर पर मान्यता प्रदान की थी । इसके बाद भारत और इज़राइल के बीच गहरे संबंध बनना प्रारंभ हो गए थे । समय बीतता गया और 1992 को भारत और इज़राइल के बीच राजनीतिक संबंध भी स्थापित हुए ।

राजनीतिक संबंध स्थापित होने के साथ-साथ दोनों देशों में गहरी मित्रता होने लगी थी ।दोनों देशों के बीच गहरी मित्रता होने का प्रमाण तब मिला  जब इज़राइल ने भारत के प्रधानमंत्री नरसिंह राव को इज़राइल दौरे के लिए निमंत्रण भेजा था और भारत के प्रधानमंत्री नरसिंहराव ने इज़राइल जाने का फैसला किया था । जब नरसिंह राव इज़राइल दौरे पर गए तब कूटनीतिक संबंध भारत और इज़राइल के बीच शुरू हुए थे ।

भारत के प्रधानमंत्री नरसिंहराव ने कूटनीतिक संबंध शुरू करने की मंजूरी दी थी । जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे ही भारत और इज़राइल के बीच संबंध गहरे होते चले गए थे । 2015 में भारत के राष्ट्रपति को इज़राइल दौरे के लिए बुलाया गया था और भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इज़राइल दौरे पर गए थे । इसके बाद 2017 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र सिंह मोदी को इजरायल दौरे पर आने के लिए निमंत्रण दिया गया था और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी 2017 में इज़राइल के दौरे पर गए थे ।

अब भारत और इज़राइल के बीच गहरे संबंध है  इज़राइल ने भारत की हर वक्त मदद की है । जब भारत का चीन से युद्ध चल रहा था तब इज़राइल ने सैनिक हत्यार देकर भारत की मदद की थी । इसके बाद 1947 और 1999 में जब पाकिस्तान के साथ भारत का युद्ध हुआ तब इजराइल ने आधुनिक हथियार देकर भारत की बड़ी मदद की थी । जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है वैसे वैसे ही भारत और इज़राइल के संबंध मजबूत होते जा रहे हैं ।

दोनों देश भारत और इज़राइल के बीच राजनीतिक , कूटनीतिक संबंध मजबूत हो रहे हैं । दोनों देश भारत और इज़राइल एक दूसरे की आवश्यकता के अनुसार मदद करते हैं । जब भी भारत को इज़राइल की आवश्यकता होती है तब इज़राइल भारत की मदद करता है और इज़राइल को जब भारत की आवश्यकता होती है तब भारत भी इज़राइल की मदद करता है । भारतीय जनता पार्टी की ओर से चुने गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह उद्देश्य है कि इज़राइल देश के साथ भारत के संबंध हमेशा मजबूत बने रहें और भारत हमेशा आतंकवादियों से डटकर सामना करता रहे ।

भारत इज़राइल के साथ अच्छे संबंध रखना चाहता है क्योंकि इज़राइल और भारत में आतंकी हमले बढ़ते जा रहे हैं । भारत एवं इज़राइल देश यह जानते हैं कि यदि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ना है तो दोनों देशों को आपसी संबंध मजबूत बनाने होंगे ।

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