किंगफिशर पक्षी पर निबंध kingfisher bird essay in hindi

kingfisher bird essay in hindi

दोस्तों आज हम आपको इस लेख के माध्यम से किंगफिशर पक्षी के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और किंगफिशर पक्षी के बारे में जानकारी हासिल करते हैं ।

kingfisher bird essay in hindi
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किंगफिशर  प्रजाति – किंगफिशर कोरासीफोम्र्स प्रजाति के वर्ग के होते हैं । इस प्रजाति के जो पक्षी होते हैं वह ज्यादातर पुराने देशों , पहाड़ी इलाकों , जंगलों में पाए जाते हैं । किंगफिशर कोरासीफोम्र्स प्रजाति वर्ग केे पक्षी ऑस्ट्रेलिया में पाए जाते हैं । इस वर्ग के किंगफिशर को तीन भागों में विभाजित किया गया है । एल्सिडिनिडी जिसे जलीय किंगफिशर भी कहा जाता है । इस तरह की प्रजाति नदियों एवं समुद्री इलाकों में पाई जाती है । इस तरह का जो किंगफिशर प्रजाति का पक्षी होता है वह समुद्री एवं नदियों के इलाकों में अपनी लंबी चोंच के माध्यम से मछलियों का शिकार करते हैं ।

किंगफिशर पक्षी पानी की ऊपरी सतह से अपनी लंबी चोंच के माध्यम से एकदम झपट्टा मारकर मछलियों का शिकार करते हैं । किंगफिशर पक्षी मछलियों का शिकार करके ऊंचाई पर ले जाकर वहां पर उसे अपना भोजन बनाते हैं । हेल्सियोनिडी प्रजाति का किंगफिशर पक्षी जंगली किंगफिशर के नाम से जाना जाता है । यह अधिकतर जंगलों में पाया जाता है । यह पक्षी पेड़ों की डालियों पर अपना जीवन यापन करते हैं । इसकी भी लंबी चोंच होती है जिसके माध्यम से यह जंगलों में रहने वाले कीड़े , मकोड़ों का शिकार करते हैं । यह चमकीला एवं रंग बिरंगे पंखों वाला होता है । इसकी लंबी पूंछ होती है । यह शिकार करने में बहुत ही फुरती दिखाता है । यह बहुत ही शर्मीला होता है ।

सेरीलिडी वर्ग समूह के किंगफिशर जलीय किंगफिशर होते हैं । यह अधिकतर जलीय स्थानों पर पाए जाते हैं । सेरीलिडी वर्ग समूह के किंगफिशर पक्षी जल में पाए जाने वाले कीड़े , मकोड़ों , मछलियों का शिकार करते है ।  सेरीलिडी वर्ग समूह के किंगफिशर   पक्षियों  की शिकार करने की स्पीड बहुत तेज  होती  है । सेरीलिडी वर्ग समूह के किंगफिशर पक्षी शिकार करने के बाद ऊंचे पहाड़ों पर ले जाते हैं और वहां पर अपने शिकार को निगल लेते हैं ।किंगफिशर पक्षी की कई तरह की प्रजातियां पाई जाती हैं उन प्रजातियों की लगभग एक जैसी प्रतिक्रिया होती हैं ।

स्मॉल ब्लू किंगफिशर प्रजाति – इस प्रजाति के किंगफिशर पक्षी सभी जगह पर मौजूद रहते हैं । स्मॉल ब्लू किंगफिशर प्रजाति का किंगफिशर पक्षी गोरैया पक्षी के आकार का ही दिखाई  देता  है । स्मॉल ब्लू किंगफिशर पक्षी अधिकतर पानी वाले स्थानों के आस-पास ही पाया  जाता हैं क्योंकि स्मॉल ब्लू किंगफिशर प्रजाति  का पक्षी बहते हुए पानी एवं नदियों से अपनी लंबी चोंच के माध्यम से मछली का शिकार करते हैं । इसीलिए यह अधिकतर जल वाले स्त्रोतों के आसपास ही दिखाई देते हैं ।

स्मॉल ब्लू किंगफिशर पक्षी के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह अपनी नजर पानी पर ही टिका कर रखते हैं । जब उनको मछली दिखाई देती है तब यह स्मॉल ब्लू किंगफिशर प्रजाति के पक्षी अपनी चोंच से मछली का शिकार करते है । स्मॉल ब्लू किंगफिशर मार्च से जून महीने के बीच में नर और मादा दोनों मिलकर घोंसला बनाते हैं । स्मॉल ब्लू किंगफिशर पक्षी नर और मादा दोनों मिलकर अंडे का ध्यान रखते । जब तक बच्चे बड़े नहीं हो जाते तब तक नर और मादा दोनों मिलकर अपने बच्चे का ध्यान रखते हैं , पूरी जिम्मेदारी से उनको पालते हैं ।

स्मॉल ब्लू किंगफिशर प्रजाति के पक्षी एक बार में तकरीबन 5 से 7 अंडे देते हैं । स्मॉल ब्लू किंगफिशर प्रजाति के पक्षी सफेद अंंडे देते है ।स्मॉल ब्लू किंगफिशर प्रजाति के पक्षी नर और मादा मिलकर नमी वाले स्थान को खोदकर अपना घोंसला बनाते हैं । उस घोसले की देखरेख नर और मादा दोनों मिलकर करते हैं । जब तक स्मॉल ब्लू किंगफिशर प्रजाति के पक्षी का  बच्चा उड़ने के लायक नहीं हो जाता तब तक वह उस बच्चे का पूरी तरह से ध्यान रखते हैं , उसके साथ खेलते हैं , उसको उड़ना सिखाते है ।

स्मॉल ब्लू किंगफिशर प्रजाति के पक्षी के बारे में ऐसा कहा जाता है कि नर और मादा दोनों मिलकर अपने बच्चे को पालने का कर्तव्य पूरी तरह से निभाते हैं किसी तरह की कोई भी लापरवाही नहीं बरतते हैं ।

बाईट ब्रेस्टेड किंगफिशर – बाईट ब्रेस्टेड किंगफिशर  प्रजाति का पक्षी कबूतर एवं मैना जैसा दिखाई देता है ।इसके एक लंबी चोंच , छोटे छोटे पैर , सिर बड़ा एवं लंबा , पतली पूछ , चमकते हुए पंख होते हैं । यह बाईट ब्रेस्टेड किंगफिशर पक्षी अपनी लंबी चोंच के माध्यम से शिकार करता है । जब बाईट ब्रेस्टेड किंगफिशर प्रजाति का पक्षी अपना शिकार करता है तब यह बहुत तेजी से झपट्टा मारता है । बाईट ब्रेस्टेड किंगफिशर प्रजाति का पक्षी शिकार करने मेंं किसी तरह की कोई भी कमी नहीं रखता है ।

जब बाईट ब्रेस्टेड किंगफिशर प्रजाति का पक्षी अपना शिकार करता है तब अपनी आंखों की पूरी नजर मछली पर रखता है । बाईट ब्रेस्टेड किंगफिशर प्रजाति का पक्षी  मांसाहारी कीड़ों को अपना भोजन बनाता है । बाईट ब्रेस्टेड किंगफिशर प्रजाति का पक्षी जीव जंतुओं के साथ-साथ सांप को भी अपना भोजन बनाता है । बाईट ब्रेस्टेड किंगफिशर प्रजाति का पक्षी जब किसी जीव जंतु , सांप , छिपकली , गिरगिट का शिकार करता है तब यह अपनी चोंच में शिकार को दबाकर ऊंचे स्थान पर ले जाता है ।

बाईट ब्रेस्टेड किंगफिशर प्रजाति का पक्षी अपने शिकार को ऊंचे स्थान पर ले जाकर अपनी चोंच से टुकड़े करने के बाद उसको पूरी तरह से निगलकर अपनी भूख मिटाता है । यह बाईट ब्रेस्टेड किंगफिशर प्रजाति का पक्षी अन्य किंगफिशर पक्षियों की तरह ही अंडे देता है और अन्य किंगफिशर पक्षियों की तरह ही यह अपने अंडे का पूरी तरह से ध्यान रखता है । जब तक बाईट ब्रेस्टेड किंगफिशर प्रजाति  के पक्षी के बच्चे खेलने एवं उड़ने के लायक नहीं हो जाते तब तक नर और मादा दोनों मिलकर अपने बच्चे का ध्यान रखते हैं ।

दोनों नर एवं मादा मिलकर बच्चे के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाते हैं , अपने बच्चे को पूरी तरह से शिकार करना भी सिखाते हैं ।

किंगफिशर प्रजाति के सभी पक्षियों का भोजन – किंगफिशर प्रजाति के अधिकतर पक्षियों का भोजन मछली होता है । किंगफिशर प्रजाति के अधिकतर पक्षी मछली को अपना शिकार बनाते हैं और उन को मारने के बाद निगल जाते हैं । किंगफिशर पक्षी की कई ऐसी प्रजातियां भी होती है जो मेंढको , उभयचरो , घोंघो , एनिलिड कर्मियों , कीटो , मकड़ियों , सरीसृपो , सेंटीपीडस , पक्षियों , स्तनधारियों को भी अपना शिकार बना लेते है । शिकार करने  के बाद किंगफिशर प्रजाति के सभी पक्षी ऊंचाई पर अपने शिकार को ले जाते है और अपनी चोंच से टुकड़े  करके  निगल जाते है ।

किंगफिशर प्रजाति के पक्षी अपना शिकार करने के लिए धैर्य रखते हैं । किंगफिशर प्रजाति के पक्षी  अपने शिकार पर पूरी नजर रखने के बाद वह अपनी लंबी चोंच से झपट्टा मारते हैं और झपट्टा मारने के बाद वह अपने शिकार को अपनी चोंच में ही दवा कर ऊंचाई पर ले जाते है । किंगफिशर प्रजाति के पक्षी की नजर बहुत तेज होती है । इसीलिए इसके द्वारा शिकार करने पर कोई भी जीव जंतु नहीं बच पाता है ।

किंगफिशर पक्षी अपनी चोंच से इस तरह से अपने शिकार पर पकड़ बनाता है की सामने वाले को अपना बचाव करने का भी समय नहीं मिल पाता है क्योंकि किंगफिशर पक्षी बहुत ही फुर्ती से शिकार करता है ।

किंगफिशर पक्षी के घोंसले – किंगफिशर पक्षी अधिकतर खाइयों , नदियों , झीलों , नमी वाले स्थानों , पेड़ की जड़ों में अपना घोंसला बनाते हैं । यह अपना घोंसला बनाने के लिए नमी दार स्थानों को तकरीबन 50 सेंटीमीटर तक खोदते हैं । यह अपने अंडे के साइज के हिसाब से बिल खोदते है जिससे कि वह अपने बिल में घोंसले को बिछाकर अपना अंडा हिफाजत से रख सकें । उसी घोंसले में अंडा हिफाजत  से रखा जाता है ।

जब तक वह अंडा टूट ना जाए और उसमें से बच्चे बाहर ना आ जाए तब तक उस अंडे की रखवाली नर और मादा दोनों के द्वारा की जाती है । नर और मादा दोनों अंडे की रखवाली करते हैं , किसी तरह की कोई भी लापरवाही नहीं करते हैं । जब उनके घोंसले को किसी तरह का कोई खतरा  दिखाई देता है तब वह नर और मादा दोनों उस खतरे को दूर करते हैं और अपने अंडे की रक्षा करते हैं । किंगफिशर पक्षी अपना घोंसला पेड़ की जड़ों में बिल बनाकर बनाते हैं ।

कई किंगफिशर प्रजाति के पक्षी अपना घोंसला समुद्री इलाकों के नमी वाले स्थान को खोद कर बनाते हैं । किंगफिशर प्रजाति के पक्षी अपना घोंसला बनाते समय कई तरह की सावधानियां रखते हैं ।  उस स्थान का चुनाव नर और मादा दोनों मिलकर कर सकते हैं । नर और मादा दोनों मिलकर उस घोंसले एवं अंडे की पूरी रक्षा करते हैं , सुरक्षा करते हैं और कोई भी जानवर उस घोंसले को नुकसान ना पहुंचाए इसीलिए दोनों मिलकर घोंसले की हिफाजत करते हैं ।

ओरिएंटल बौना किंगफिशर प्रजाति का पक्षी – ओरिएंटल बौना प्रजाति के पक्षी को बोर्नियो के दुसुन प्रजाति के लोग  अपशगुन मानते थे । जब बोर्नियो के दुसुन प्रजाति के लोग  किसी काम के लिए बाहर जाते हैं तब उनको ओरिएंटल बौना किंगफिशर प्रजाति का पक्षी का दिख जाता है तो वह अपने उस काम को नहीं करते हैं और अपने घर पर वापस लौट आते हैं । बोर्नियाई जनजाति के लोग पट्टीदार किंगफिशर पक्षी को पसंद करते है और पट्टीदार किंगफिशर को अच्छा मानते हैं , शुभ मानते हैं ।

जब बोर्नियाई जनजाति के व्यक्ति को पट्टीदार किंगफिशर पक्षी दिख जाता था तब वह अपने आप को बहुत ही सौभाग्यशाली समझता है क्योंकि वह मानता है की पट्टीदार किंगफिशर का दिखना बहुत शुभ होता है ।

किंगफिशर पक्षी का शरीर – किंगफिशर प्रजाति का सबसे छोटा पक्षी अफ्रीका देशों में पाया जाता है । जिसे बौना किंगफिशर कहते हैं । इसका बजन 10.4 ग्राम होता है ।इसका आकार 10 सेंटीमीटर एवं 4 इंच का होता है ।किंगफिशर प्रजाति का यह सबसे छोटा एवं बौना पक्षी है ।सबसे लंबा एवं सबसे बड़ा किंगफिशर पक्षी जायंट किंगफिशर पक्षी होता है । जिसे मेगासेराइल मैक्सिमा भी कहते हैं । इसका वजन 355 ग्राम होता है ।

इसका आकार 43 सेंटीमीटर एवं 18 इंच का होता है । किंगफिशर प्रजाति का सबसे भारी पक्षी ऑस्ट्रेलिया  में पाया जाता है । जिसे लाफिंग कूका बुरा कहते हैं । इसका वजन 450 ग्राम का होता है । किंगफिशर पक्षियों की एक ऐसी प्रजाति होती है जो बहुत ही सुंंदर दिखाई देती है । यह रंग बिरंगेे रंगों की होती है । यह अपने रंग बिरंगेे रंगो के कारण सबसे सुंदर दिखाई देती है । इसकी चोंच बहुत लंबी एवं सुंदर दिखाई देती है । इसकी टांगे बहुत पतली होती हैं जिससे यह पक्षी फुर्ती से उड़ता है ।

जब किंगफिशर पक्षी अपने पंखों की सहायता से उड़ता है तब यह रंग बिरंगे पंख फैलाता है । यह दुनिया के हर क्षेत्र में पाया जाने वाला पक्षी है । स्मॉल ब्लू किंगफिशर प्रजाति का पक्षी भारत में अधिक पाया जाता है जो कि समुद्री इलाकों एवं जंगलों में रहता है । यह एक मांसाहारी पक्षी है । यह पक्षी अधिकतर नीले रंग में दिखाई देता है । यह सबसे पुरानी प्रजाति का पक्षी है । यह एक ऐसा पक्षी है जो सभी जहरीले कीड़ों को भी अपना भोजन बना सकता है ।

किंगफिशर प्रजाति का पक्षी अधिकतर मछलियों का शिकार करता है । मछली के साथ-साथ यह पानी में रहने वाले जीव जंतुओं का भी शिकार कर सकता है । किंगफिशर पक्षी अधिकतर शिकार करके ऊंचे ऊंचे पहाड़ों पर ले जाता है और वहां पर टुकड़े करके भोजन करता है । जब किंगफिशर प्रजाति का पक्षी किसी मछली का शिकार करता है तो वह पानी के ऊपर थोड़ी दूरी पर नजर गड़ाए हुए रखता है । इसके बाद वह अपने शिकार पर झपट्टा मारकर उसको अपनी चोंच में दवा लेता है ।

जब किंगफिशर पक्षी की चोंच में कोई शिकार फंस जाता है तब वह अपने आप को किंगफिशर पक्षी के चंगुल से नहीं बचा पाता है क्योंकि किंगफिशर एक ऐसा पक्षी है जो शिकार के समय अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखता है ।किंगफिशर एक ऐसा पक्षी है जो उड़ते हुए पक्षियों का भी  शिकार कर लेता है । किंगफिशर प्रजाति का पक्षी उड़ते हुए झींगुर का भी शिकार करके  अपनी चोंच के माध्यम से टुकड़े करके खा जाता है । किंगफिशर पक्षी सबसे चतुर जानवर है ।

किंगफिशर पक्षी के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह सबसे शर्मिला जानवर भी है । किंगफिशर पक्षी अपने भोजन की तलाश में समुद्री इलाके , जंगलों में भटकता है । जब उसे शिकार करने का मौका मिल जाता है तब वह उस मौके का पूरा फायदा उठाता है ।

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