वृद्धाश्रम पर हिंदी निबंध Essay on old age homes in hindi

Essay on old age homes in hindi

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Essay on old age homes in hindi
Essay on old age homes in hindi

हम सभी एक परिवार में रहते हैं परिवार में माता-पिता,दादा दादी होते हैं परिवार हमारे जीवन में बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है हम अगर किसी भी मुसीबत में फंसते हैं तो परिवार वाले हमारा सहयोग करते हैं हर विकट परिस्थिति में हमारा साथ देते हैं हम भी उनका साथ देते हैं.परिवार इस देश,इस समाज में एक अहम भूमिका निभाता है.हमारे परिवार में बुजुर्ग लोग भी होते हैं जैसे कि दादा दादी, माता पिता.हमारे समाज में ऐसे लोग भी होते है जो माता पिता का सम्मान नहीं करते.

माता पिता अपने बच्चों के लिए मेहनत करके पैसा कमाते हैं उनके लिए घर बनाते हैं और उनके भविष्य के लिए पैसा एकत्रित करते हैं यहां तक की अपने बच्चों के लिए अपनी संपत्ति भी दे देते हैं लेकिन बदलते जमाने के साथ आज ज्यादातर बच्चे अपने बड़े बुजुर्गों,मां बाप का ख्याल नहीं रखते.इस तरह की बदलती उनकी सोच हमारे संस्कार के विपरीत है और हमें जीवन में एक बुरी परिस्थिति में लाकर रख देते हैं.

हमारे देश में जहां माता-पिता को भगवान भी कहते हैं सबसे पहले माता पिता ही भगवान होते हैं उसके बाद किसी भगवान का नंबर आता है लेकिन बदलते इस युग में कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो बुजुर्गों की सेवा नहीं करते और बुजुर्गों को अपने बुढ़ापे में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

कुछ बुजुर्ग ऐसे हैं जिनको अपने बच्चों से अलग रहना पड़ता है घर में ही उन्हें अलग रहकर खाना बनाना पड़ता है उनके बच्चे उनकी देखरेख नहीं करते.आज के इस बदलते जमाने के साथ महंगाई के जमाने में पुरुष और स्त्री दोनों बाहर का काम करने लगे हैं इसी वजह से बहुत से बुजुर्ग मां-बाप जो अकेले घर में रहते हैं और नौकरों की तरह उन्हें घर का सारा काम आज करना पड़ता है क्योंकि बेटा बहु तो सुबह से शाम तक नौकरी करते हैं हमें बुजुर्गों की स्थिति के बारे में सोचना चाहिए.

आज हमारे देश में बुजुर्गों की मदद के लिए वृद्धाश्रम भी बने हैं जिनमें केवल बुजुर्ग व्यक्ति ही रहते हैं और अपने जीवन का निर्वाह करके खुशी खुशी अपने जीवन को व्यतीत करते हैं कुछ बच्चे स्वेच्छा से अपने मां-बाप को वृद्धा आश्रम में छोड़ आते हैं जिन बच्चों को उनकी देखभाल करना चाहिए उनके वजाये वृद्धा आश्रम वाले उनकी देखभाल करते हैं.हम हमारे संस्कारों के खिलाफ आज पैसा कमाने के लिए भागते हैं,संपत्ति एकत्रित करने के लिए इस दुनिया में भागते है लेकिन ऐसे लोग नहीं समझ पाते की की उनकी असली संपत्ति तो बुजुर्ग ही होते है.

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बुजुर्ग लोगों को ना चाहते हुए भी अपने जीवन को वृद्धा आश्रम में गुजारना पड़ता है हर एक बुजुर्ग दंपति चाहता है कि वह अपने आखिरी दिनों में अपने पोता पोती के साथ खेले,उनके साथ थोड़ा समय दे वह चाहते हैं कि इस बुजुर्ग अवस्था में मुझे पोता पोती अपने बचपन की याद दिला दे लेकिन बदलते जमाने के साथ ज्यादातर बुजुर्गों को अपने बच्चों से दूर रहना पड़ता है.

आज हमारे देश में शिक्षा पर बहुत जोर दिया जा रहा है हर मां बाप अपने बच्चों को किताबी ज्ञान करवाने की सोचता है,अपने बच्चे बच्चियों पर बहुत पैसा खर्च करता है वह उसकी पढ़ाई के लिए, उसके भले के लिए बहुत सारी मुसीबतों का भी सामना करता है लेकिन इतनी पढ़ाई करने के बाद भी अगर बच्चों में संस्कार नहीं होते तो वह पढ़ाई और बुजुर्गों का वह पैसा किसी मतलब का नहीं निकलता क्योंकि असली पैसा तो संस्कार होते हैं असली धरोहर तो हमारे बड़े बुजुर्ग होते हैं.

अगर हम अपनी इन संस्कृतियों के खिलाफ अपने बुजुर्गों की देखभाल ना करके उन्हें वृद्धा आश्रम में छोड़ते हैं तो यह हमारे देश के लिए, हमारे समाज के लिए,हमारे बुजुर्गों के लिए सबसे बुरा है हम सभी को इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है कि आज हमारे बुजुर्ग माता पिता जो सक्षम नहीं है उन्हें हम वृद्धा आश्रम में दूसरों के भरोसे छोड़ देते हैं कल हम भी बूढ़े होंगे हमारे भी बच्चे अगर हमारे साथ इस तरह का बर्ताव करें तो कैसा लगेगा.हमें यह सब समझकर हमारे बड़े बुजुर्ग,माता-पिता को अपने साथ रखना चाहिए और एक ऐसे समाज की रचना करनी चाहिए कि जिसमें वृद्धाश्रमों की ज़रूरत ही ना पड़े.

पहले के जमाने में ना कोई वृद्ध आश्रम हुआ करते थे और ना ही कभी बुजुर्गों को किसी वृद्ध आश्रम में रहने की जरूरत पड़ी लेकिन बदलती स्थिति के सा,बदलते इस नए जमाने के साथ,बदलती विदेशी संस्कृति के साथ हमारे देश के युवाओं की सोच भी निरंतर बदल रही है वह अपने मां-बाप को सम्मान ना देकर अपने मां-बाप को एक ऐसे वृद्धा आश्रम नाम के झरोखों में छोड़ आते हैं जहां पर उन्हें जीवन भर अफसोस होता है.हम सभी को समझना चाहिए की हमारा भारत देश एक ऐसा भारत है जिसमें माता-पिता को भगवान की तरह पूजा जाता है उनका सम्मान किया जाता है.

भगवान श्रीराम ने भी अपने पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए 14 वर्ष तक वनों की यातनाओं को सहा.उन्होंने मुसीबतों को सहा उनके पिता को उन्होंने किसी भी तरह की तकलीफ नहीं दी हमें इस तरह के पुराने इतिहास से सीखना चाहिए कि हमारे बुजुर्ग हमारे भगवान हैं और हमें उन्हें कभी भी अलग या वृद्ध आश्रमों में नहीं छोड़ना चाहिए, हमें जिंदगीभर उनकी सेवा करना चाहिए यही हमारा कर्तव्य है, यही हमारा धर्म है और यही हमारी संस्कृति है.

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