कैलाश सत्यार्थी पर निबंध व् जीवनी Kailash satyarthi essay, biography in hindi

Kailash satyarthi biography in hindi

Kailash satyarthi – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से कैलाश सत्यार्थी पर निबंध व् जीवनी बताने जा रहे हैं ।चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर कैलाश सत्यार्थी के जीवन के बारे में जानते हैं ।

Kailash satyarthi essay, biography in hindi
Kailash satyarthi essay, biography in hindi

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कैलाश सत्यार्थी के जन्म स्थान व् परिवार के बारे में – कैलाश सत्यार्थी भारत के एक ऐसे सम्मानीय व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने केरियर को छोड़कर समाज को , देश को और पूरी दुनिया को सही रास्ता दिखाने का काम किया है । कैलाश सत्यार्थी का जन्म 11 जनवरी 1954 को भारत देश के मध्य प्रदेश के विदिशा में हुआ था । कैलाश सत्यार्थी एक समाज सेवक के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं । जिन्होंने समाज को सही रास्ता दिखाया है । आज भारत देश में उनका सम्मान सभी लोग करते हैं ।कैलाश सत्यार्थी अपने अच्छे कामों से कई पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं । कैलाश सत्यार्थी एक ऐसे समाज सेवक हैं जिन्होंने लोगों की भलाई के लिए कार्य किए हैं और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किए हैं ।

कैलाश सत्यार्थी के पिता का नाम मुंशी अजायब राय है । उनकी माता जी का नाम श्रीमती आनंदी देवी है । कैलाश सत्यार्थी बचपन से ही अच्छे स्वभाव के व्यक्ति रहे है । कैलाश सत्यार्थी जी ने कभी भी ऐसा काम नहीं किया जिससे अन्य लोगों को समस्या का सामना करना पड़ें । आज कैलाश सत्यार्थी की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है । कैलाश सत्यार्थी जी ने  बच्चों के बेहतर बचपन के लिए कार्य किए हैं । कैलाश सत्यार्थी प्रशंसा के लायक हैं ।  कैलाश सत्यार्थी की पत्नी का नाम सुमेधा है । उनका एक बच्चा भी है जिनकी शादी हो चुकी है ।

कैलाश सत्यार्थी जी अधिकतर समाज की सेवा में लगे रहते हैं । कैलाश सत्यार्थी का मानना है कि अगर देश का विकास करना है तो छोटे बच्चों को उनका बचपन बेहतर देना होगा क्योंकि बच्चे ही आने वाले समय में भारत के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं । कैलाश सत्यार्थी का कहना है कि श्रेष्ठ भारत की कल्पना हम तब तक नहीं कर सकते हैं जब तक कि देश की युवा पीढ़ी को शिक्षित नहीं किया जा सकता । कैलाश सत्यार्थी जी विदिशा जिले के रहने वाले हैं । कैलाश सत्यार्थी जी के माता पिता ने उनको अच्छा बचपन दिया हैं ।

कभी भी कैलाश सत्यार्थी जी को उनके माता पिता ने अच्छे काम करने से नहीं रोका था । आज कैलाश सत्यार्थी जी जो समाज के लिए कार्य कर रहे हैं वह कार्य एक आम इंसान नहीं कर सकता है । कैलाश सत्यार्थी जी देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने अच्छे कामो के लिए पहचाने जाते हैं । कैलाश सत्यार्थी जी छोटे बच्चों के  हक के लिए हमेशा कार्य करते हैं । कैलाश सत्यार्थी जी जब अपना प्रारंभिक बचपन जी रहे थे तब वह छोटे-छोटे बच्चों को काम करते हुए दिखते थे तब उनको बड़ा दुख होता था ।

कैलाश सत्यार्थी जी जब छोटे बच्चों को काम करते हुए देखते थे तब वह अपने मन में यह सोचते थे कि इन बच्चों का क्या कसूर है । इन बच्चों को अच्छा बचपन जीने के लिए क्यों नहीं मिल रहा है । जब कैलाश सत्यार्थी जी छोटे थे तब भारत देश में बहुत गरीबी थी । कई गरीब परिवार के बच्चे पैसा कमाने के लिए मजबूर होते थे , वह बच्चे अपनी कम उम्र में काम करने लगते थे । इसके कारण उनको अपना बचपन जीने को नहीं मिल पाता था । समय बीतता गया और कैलाश सत्यार्थी जी बड़े होते गए उन्होंने जब पढ़ाई के क्षेत्र में कदम रखा तब वह बच्चों के हित के लिए कार्य करने लगे थे ।

धीरे-धीरे कैलाश सत्यार्थी जी ने बच्चों के हित में आंदोलन करना प्रारंभ किया और आज वह बहुत बड़े समाज सेवक बन चुके हैं ।कैलाश सत्यार्थी जी के अथक प्रयासों से ही छोटे बच्चों के हित में कई कानून बनाए गए हैं । जिनके माध्यम से बच्चों को सरकार के द्वारा सहायता दी जाती है । कैलाश सत्यार्थी जी के अथक प्रयासों से ही भारत देश में बाल श्रम कानून बनाया गया है । कैलाश सत्यार्थी जी ने जब छोटे बच्चों के बचपन को बचाने के लिए आंदोलन करना प्रारंभ किया तब फैक्ट्रियों में काम कर रहे छोटे बच्चों को फैक्ट्रियों में काम करने से बचाया और फैक्ट्रियों के मालिक को यह समझाया कि छोटे बच्चे देश के भविष्य होते हैं ।

इनको बचपन में खेलना , कूदना , पढ़ना चाहिए ना कि काम करना चाहिए । छोटे बच्चों से काम करवाना दंडनीय अपराध है , उनका बचपन छीन्ना एक दंडनीय अपराध है । हम सभी को मिलकर छोटे बच्चों को अच्छा बचपन देना चाहिए ना कि उनके कंधों पर काम की जिम्मेदारी सौंपना चाहिए ।

कैलाश सत्यार्थी जी की शिक्षा के बारे में – कैलाश सत्यार्थी जी एक ऐसे समाज सेवक हैं जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी सफलता प्राप्त की है । कैलाश सत्यार्थी जी ने अपनी स्कूली पढ़ाई विदिशा से की थी । जब वह अपनी शुरुआती शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तब बड़ी मेहनत और लगन से पढ़ाई करते थे । कैलाश सत्यार्थी जी जब भी स्कूल का बैग अपने कंधों पर टांग कर घर से स्कूल जाते थे एवं स्कूल से घर आते थे तब वह रास्ते में उन बच्चों को देखते  थे जो बाल मजदूरी करते थे ।

कैलाश सत्यार्थी को छोटे बच्चों के द्वारा बाल मजदूरी करते हुए देख बड़ा दुख होता था कि जिस तरह से मुझे मेरा बचपन मिला हैं , मुझे पढ़ाई करने का मौका मिला है उसी तरह से इन बच्चों को भी पढ़ने लिखने , खेलने कूदने का मौका अवश्य मिलना चाहिए । कैलाश सत्यार्थी जी की सोच बचपन से ही अच्छी रही है । कैलाश सत्यार्थी अपने शुरुआती जीवन में अच्छा अच्छा सोचते थे । कैलाश सत्यार्थी जी जब स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे तब स्कूल के कई विद्यार्थियों के साथ मिलकर उन्होंने समाज सुधार के कार्यों में हिस्सा लिया था ।

विदिशा से उन्होंने स्कूली शिक्षा प्राप्त की थी ।  स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह अपनी आगे की पढ़ाई करने लगे थे । कैलाश सत्यार्थी जी पढ़ाई के साथ-साथ स्कूल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेते थे । कैलाश सत्यार्थी जी स्कूल में अच्छी पढ़ाई करके अच्छे नंबरों से पास होते थे । कैलाश सत्यार्थी जी की प्रशंसा स्कूल के सभी शिक्षक करते थे । कैलाश सत्यार्थी जी जब परीक्षा में अच्छे नंबरों से पास होते थे तब उनके पड़ोस में रहने वाले लोग उनको शुभकामनाएं देने के लिए उनके घर पर आते थे ।

जब पड़ोस के लोग कैलाश सत्यार्थी  को शुभकामनाएं देते थे तब उनको बड़ा अच्छा लगता था ।कैलाश सत्यार्थी जी अपनी आगे की पढ़ाई प्रारंभ करने के लिए तैयार थे जिसके लिए कैलाश सत्यार्थी जी ने अशोक टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट में एडमिशन ले लिया था । जहां से वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने लगे  थे । कैलाश सत्यार्थी जी ने इसी कॉलेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्त की है । जब कैलाश सत्यार्थी जी ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री अच्छी रैंक से प्राप्त की तब उनका सम्मान समाज के लोगों ने एवं स्कूल के स्टाफ के द्वारा किया गया था ।

अशोक टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट  से कैलाश सत्यार्थी जी ने हाई वोल्टेज इंजीनियरिंग स्नाकोत्तर की डिग्री प्राप्त की है । इस तरह से कैलाश सत्यार्थी जी अपने जीवन काल में शिक्षा के क्षेत्र में अव्वल आते रहे हैं । कैलाश सत्यार्थी जी यह जानते थे कि जब तक कोई व्यक्ति उचित शिक्षा प्राप्त नहीं कर  लेता तब तक वह सफलता की सीढ़ियां नहीं चड़ सकता है ।कैलाश सत्यार्थी जी के माता पिता ने कैलाश सत्यार्थी जी को बचपन से ही शिक्षा की ओर अग्रसर किया है । कैलाश सत्यार्थी जी ने कई बार इंटरव्यू में कहा है कि यदि में एक शिक्षित व्यक्ति हूं तो इसमें मेरे माता-पिता का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।

कैलाश सत्यार्थी जी कॉलेज समय से अपने कैरियर के बारे में सोचने के साथ साथ समाज सेवा करने के बारे में भी सोचते थे  इसलिए आज कैलाश सत्यार्थी जी भारत के ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के एक अच्छे समाज सेवक के रूप में पहचाने जाते हैं ।

कैलाश सत्यार्थी जी के कैरियर के बारे में – कैलाश सत्यार्थी जी ने जब इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त कर ली थी तब उनकी नौकरी विद्युत विभाग में लग गई थी क्योंकि उन्होंने हाई वोल्टेज इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्त की थी ।उस समय कैलाश सत्यार्थी सबसे अच्छे इंजीनियरिंग के रूप में पहचाने जाते थे । एक बेहतर इंजीनियर होने का उनको कोई भी घमंड नहीं था । कैलाश सत्यार्थी इंजीनियरिंग के पद पर रहकर कोई उपलब्धियां हासिल कर चुके हैं । विद्युत विभाग के लिए ऐसे काम कैलाश सत्यार्थी जी ने किए हैं जिस काम की प्रशंसा आज भी विद्युत विभाग में की जाती है ।

कैलाश सत्यार्थी जी बचपन से ही इंजीनियर बनना चाहते थे । जब कैलाश सत्यार्थी जी इंजीनियर बन गए तब कैलाश सत्यार्थी जी ने जिस कॉलेज से  इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी उसी कॉलेज में वह कुछ समय तक एक शिक्षक के रूप में काम करते रहे थे । जब कैलाश सत्यार्थी जी की नौकरी विद्युत विभाग में लगी तब उन्होंने शिक्षक का काम छोड़ दिया था और वह विद्युत विभाग में इंजीनियरिंग की पोस्ट पर काम करने लगे थे । जब कैलाश सत्यार्थी जी ने समाज सेवा के कार्य करना प्रारंभ कर दिए थे तब कैलाश सत्यार्थी जी ने अपने इंजीनियरिंग के कैरियर को वहीं पर छोड़ने का निर्णय लिया था ।

कैलाश सत्यार्थी अपना जीवन समाज की सेवा में लगाने के उद्देश्य से आगे बढ़ चुके थे । 1980 में कैलाश सत्यार्थी जी ने इंजीनियरिंग को अलविदा कह दिया था और वह पूरी तरह से समाज सेवा में लग चुके थे । जब कैलाश सत्यार्थी जी ने इंजीनियरिंग को अलविदा कहा तब काफी लोगों ने कैलाश सत्यार्थी जी को इंजीनियरिंग को अलविदा करने से मना किया था । कैलाश सत्यार्थी के कई रिश्तेदारों ने भी उनको समझाया था कि तुम उस पोस्ट पर हो जिस पोस्ट पर पहुंचने के लिए काफी मेहनत लगती है । तुमने मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल किया है फिर तुम उस मुकाम को छोड़ना क्यों चाहते हैं ।

जब उनके रिश्तेदारों ने इस तरह के सवाल किए तब कैलाश सत्यार्थी जी का यही जवाब था कि मैं भारत देश का निवासी हूं । मैं भारत देश के विकास के हित में कार्य करना चाहता हूं । मैं जानता हूं कि भारत देश का विकास तब होगा जब देश के बच्चों को उनका बचपन जीने को मिलेगा , वह बच्चे शिक्षा की ओर अपने कदम बढ़ाएंगे । देश के विकास में देश के युवाओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है । भारत देश की युवा पीढ़ी को उनका बचपन नहीं मिल पा रहा है ।

भारत देश के बच्चों का अधिकतर जीवन बाल श्रम करने में गुजर रहा है ,  काम करने में गुजर रहा है और मैं एक  ऐसा आंदोलन प्रारंभ करने जा रहा हूं जिस आंदोलन के बारे मे कुछ भी पता नहीं है की वह आंदोलन  कब तक चलेगा । अब मैं  यह सुनिश्चित कर चुका हूं की मैं अपने कैरियर को बनाने के लिए कुछ भी नहीं करूंगा । अब मैं देश के बच्चों का कैरियर बनाने के लिए निकलूंगा और जो भी कठिनाइयां आएंगी मैं उसको सहन करके आएंगे बढूंगा क्योंकि मैं देश में एक ऐसी क्रांति लाने जा रहा हूं जिस क्रांति की सफलता के बाद देश एक विकसित देश बनेगा और देश के बच्चों को पढ़ने लिखने , खेलने कूदने का अधिकार प्राप्त होगा ।

इस तरह से कैलाश सत्यार्थी जी ने समाज सेवा करने के उद्देश्य से अपना कैरियर त्याग दिया था । कैलाश सत्यार्थी जैसे महान व्यक्ति का हमें तहे दिल से सम्मान करना चाहिए क्योंकि उन्होंने अपने कैरियर को त्याग कर समाज सेवा की है । कोई भी व्यक्ति अपने कैरियर को इस तरह से बीच में नहीं छोड़ता है क्योंकि कैरियर प्राप्त करने के लिए काफी मेहनत लगती है । जब किसी व्यक्ति को मेहनत करने के बाद सफलता प्राप्त होती है तब वह कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखता है लेकिन कैलाश सत्यार्थी जी ने अपने कैरियर की बिल्कुल भी चिंता नहीं की थी ।

इस तरह से कैलाश सत्यार्थी जी ने समाज सेवा के लिए कार्य करना प्रारंभ कर दिए थे ।

कैलाश सत्यार्थी जी के द्वारा किए गए समाज सेवा के बारे में – कैलाश सत्यार्थी जी एक ऐसे महान व्यक्ति हैं जिन्होंने कभी भी सिर्फ अपने और अपने परिवार के बारे में  नहीं सोचा बल्कि देश के बारे में और समाज के बारे में भी सोचा है । कैलाश सत्यार्थी जी एक ऐसे महान व्यक्ति हैं जिन्होंने बाल अधिकार के लिए आंदोलन किया था । जिस आंदोलन में कैलाश सत्यार्थी जी ने कई लोगों को जोड़ा और देश में बच्चों के लिए हित के लिए आवाज उठाई थी । कैलाश सत्यार्थी जी बाल श्रम के विरुद्ध खड़े हुए थे ।कैलाश सत्यार्थी जी यह चाहते थे कि देश में बाल श्रम पूरी तरह से खत्म हो जाए ।

कैलाश सत्यार्थी जी देश के विकास के लिए कार्य करना चाहते थे । कैलाश सत्यार्थी जी बच्चों के बचपन को बर्बाद होने से बचाना चाहते थे । कैलाश सत्यार्थी जी जब छोटे बच्चों को दुकानों पर मजदूरी करते हुई देखते थे तब उनको बड़ा दुख होता था ।कैलाश सत्यार्थी जी  बच्चों को काम करते हुए देखते थे तब उन्होंने बच्चों के हित में कार्य करने का निर्णय लिया था । कैलाश सत्यार्थी जी ने जब 1980 में इंजीनियरिंग छोड़ दी थी तब 1980 में कैलाश सत्यार्थी जी के द्वारा बचपन बचाओ आंदोलन प्रारंभ किया था ।

इस आंदोलन में कैलाश सत्यार्थी जी के साथ लाखों लोग जुड़ गए थे और पूरे देश में यह आंदोलन बहुत तेज गति से चला था ।जिस आंदोलन के बाद बच्चों के बचपन के हित में सभी सोचने लगे थे । जब भारत देश के मध्य प्रदेश के भोपाल में गैस त्रासदी हुई तब उस गैस कांड मे पीड़ित हुए व्यक्तियों की मदद के लिए कैलाश सत्यार्थी जी पूरी तरह से लग गए थे । जब तक गैस त्रासदी से ग्रसित व्यक्तियों को उन्होंने अस्पताल तक नहीं पहुंचाया तब तक वह बिल्कुल भी आराम से नहीं बैठे थे । उन्होंने गैस त्रासदी के समय कैलाश सत्यार्थी कई लोगों को पिड़ित व्यक्तियों की सहायता करने के लिए आगे लाए थे ।

कैलाश सत्यार्थी जी अपनी कम उम्र  से ही अपना जीवन समाज की सेवा में लगा चुके थे इसलिए कैलाश सत्यार्थी जी आज सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पहचाने जाते हैं । कैलाश सत्यार्थी जी समाज को सही रास्ता दिखाने के लिए 144 देशों की यात्रा कर चुके हैं क्योंकि बच्चों का बचपन भारत देश में ही नहीं बल्कि कई देशों में भी बर्बाद हो रहा था । कैलाश सत्यार्थी जी निरंतर विदेशों की यात्रा करते रहे और लोगों को जागरूक करते रहे कि हमें छोटे बच्चों का बचपन बर्बाद करने का कोई भी अधिकार नहीं है । किसी भी देश का विकास बच्चों से जुड़ा हुआ होता है ।

यदि देश के बच्चे शिक्षित नहीं होंगे तो एक विकसित देश कभी नहीं बन सकता है । देश की सरकार को बच्चों के हित में कार्य करना चाहिए । देश की सरकार को बच्चों को बाल मजदूरी करने से रोकना चाहिए । देश की सरकार को छोटे बच्चों को उचित शिक्षा देनी चाहिए ना कि उनसे मजदूरी  कराना चाहिए ।  इस तरह से कैलाश सत्यार्थी जी ने 144 देशों की यात्रा करते हुए तकरीबन 80000 से 90000 बच्चों के अधिकार दिलाने के लिए कार्य किए थे । कैलाश सत्यार्थी जी के इस आंदोलन के बाद कई देशों में बाल श्रम पर आवाज उठाई गई और वहां के लोगों ने बाल श्रम को रोकने के लिए कार्य करने प्रारंभ कर दिए थे ।

कई देशों में कैलाश सत्यार्थी के आंदोलन के बाद बाल श्रम पर रोक लगा दी गई थी और सरकार के द्वारा बच्चों को शिक्षा की ओर अग्रसर करने के लिए कई कार्य किए गए थे । कैलाश सत्यार्थी जी ने यह साबित करके दिखाया था कि बच्चों का बचपन बर्बाद होने से  देश गरीब देश बनता है , वहां के लोग अशिक्षित होते हैं इसलिए बच्चों को बचपन में काम करने के लिए नहीं कहना चाहिए बल्कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए आगेे बढ़ाना चाहिए ।  कैलाश सत्यार्थी जी एक ऐसे महान समाज सेवक हैं जिन्होंने 26 साल की उम्र में अपने कैरियर को छोड़ने का निर्णय लिया था ।

जिस उम्र में व्यक्ति अपने कैरियर को सफल बनाने के बारे में सोचता है उस उम्र में कैलाश सत्यार्थी जी ने अपने कैरियर को बीच में ही छोड़कर अपना पूरा जीवन समाज सेवा में लगाने का निर्णय लिया था । इस तरह का निर्णय कोई आम इंसान नहीं लेता है । यह निर्णय वह व्यक्ति लेता है जो वाकई में पूरी शिद्दत और मेहनत के साथ देश  के हित में एवं समाज के हित में कार्य करना चाहता है । कैलाश सत्यार्थी जी के इन कार्यों को देखते हुए काफी लोग  कैलाश सत्यार्थी के आंदोलन से जुड़े थे ।

कैलाश सत्यार्थी जी को ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर का अध्यक्ष भी बना दिया गया था क्योंकि वह समाज सेवा पूरे दिल से करना चाहते थे । कैलाश सत्यार्थी जी ने जब 1980 में बचपन बचाओ आंदोलन प्रारंभ किया था तब वह अकेले थे परंतु आज कैलाश सत्यार्थी के साथ कई लोग जुड़ चुके हैं । कैलाश सत्यार्थी के द्वारा किए गए कई आंदोलन सफल हो चुके हैं । कैलाश सत्यार्थी जी ने अपने आंदोलनों के माध्यम से देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बदलाव किए हैं । जिन बदलाव से कई देश वहां के बच्चों का जीवन सुधार चुके हैं ।

कैलाश सत्यार्थी को मिले अवार्ड के बारे में –  भारत देश ही नहीं बल्कि विदेशों में कैलाश सत्यार्थी जी की पहचान एक बेहतर और अच्छे समाज सेविका के रूप में की जाती है । समाज सेवा करने में कैलाश सत्यार्थी जी ने अपना पूरा जीवन लगा दिया है । कैलाश सत्यार्थी जी कभी भी कोई ऐसा कार्य नहीं करते जिससे कि समाज में बुराइयां उत्पन्न हो । कैलाश सत्यार्थी जी यह जानते थे कि यदि भारत देश की समाजों को विकसित करना है , मजबूत करना है तो समाज में फैली कुरीतियों को नष्ट करना होगा और समाज को विकासशील रास्ते पर ले जाना होगा ।

कैलाश सत्यार्थी जी के द्वारा कई आंदोलन प्रारंभ किए गए थे । कैलाश सत्यार्थी के इस नेक कार्य के लिए  देश ही नहीं बल्कि कई विदेशों से भी उनके सम्मान के लिए पुरस्कार दिए गए हैं । चलो अब हम जानते हैं कैलाश सत्यार्थी जी को  कौन-कौन से पुरस्कार प्राप्त हुए हैं ।कैलाश सत्यार्थी जी  को उनकी मेहनत और लगन को देखते हुए , समाज सेवा  करने के लिए उनको दी अचेनर अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार दिया गया है ।  कैलाश सत्यार्थी जी को उनके द्वारा किए गए समाज सुधार कार्य के लिए  1993 को अशोक फेलो पुरस्कार देने के लिए चुना गया था ।

सन 1994 को जर्मनी देश के द्वारा कैलाश सत्यार्थी जी को रोबर्ट एफ कैनेडी मानवाधिकार पुरस्कार देकर सम्मानित किया है क्योंकि कैलाश सत्यार्थी जी ने समाज सेवा करने के लिए देश  विदेशों की यात्रा की है और वहां के लोगों को भी अपने आंदोलन का हिस्सा बनाया है । कैलाश सत्यार्थी जी को 1995 को इतालवी सीनेट का पदक भी दिया गया था । कैलाश सत्यार्थी को समाज सेवा के कार्य  करने के लिए 1995 को अमेरिका देश के द्वारा ट्रम्पेटर  पुरस्कार देकर भी सम्मानित किया गया है । जिस पुरस्कार को पाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है ।

सन 1998 को नीदरलैंड्स के द्वारा कैलाश सत्यार्थी जी को वहां पर आमंत्रित किया गया था और उनका स्वागत किया गया था । कैलाश सत्यार्थी जी को 1998 में नीदरलैंड्स के द्वारा गोल्डेन फ्लैग पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया था । कैलाश सत्यार्थी जी को सन 2002 में वालेनबर्ग मेडल देकर सम्मानित किया गया है । सन 2006 में कैलाश सत्यार्थी जी को समाज सेवा के लिए किए गए कार्य के लिए फीडम पुरस्कार देने का निर्णय किया गया था  और कैलाश सत्यार्थी जी को यह फीडम पुरस्कार अमेरिका के द्वारा दिया गया था ।

कैलाश सत्यार्थी जी कई बार अमेरिका देश की यात्रा कर चुके हैं और अमेरिका देश के द्वारा उनको कई पुरस्कार मिल चुके हैं । 2007 में अमेरिका देश के टेस्ट विभाग के द्वारा आधुनिक दास्तां को समाप्त करने के लिए कैलाश सत्यार्थी जी को कार्यरत नायक का सम्मान देने का निर्णय किया गया था क्योंकि कैलाश सत्यार्थी जी ने टेस्ट विभाग के आधुनिक दास्तां को समाप्त करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था । 2007 में ही कैलाश सत्यार्थी जी को इटली देश के द्वारा सीनेट का स्वर्ण पदक देने का निर्णय किया गया था और पूरे सम्मान के साथ कैलाश सत्यार्थी जी को सीनेट का स्वर्ण पदक दिया गया था ।

2008 में स्पेन देश के द्वारा कैलाश सत्यार्थी जी के द्वारा किए गए समाज के कार्य के लिए अल्फांसो कोमिन  अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया था । जब कैलाश सत्यार्थी जी को यह पुरस्कार मिले तब भारत देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन हुआ था ।  कैलाश सत्यार्थी के माता-पिता को कैलाश सत्यार्थी  पर बहुत गर्व हैं । कैलाश सत्यार्थी जी के द्वारा किए गए समाज सेवा के लिए कैलाश सत्यार्थी जी को 2009 में डिफेंडर्स ऑफ डेमोक्रेसी पुरस्कार अमेरिका देश के द्वारा दिया गया था । यह पुरस्कार किसी आम व्यक्ति को नहीं दिया जाता है ।

यह पुरस्कार उस व्यक्ति को दिया जाता है जो देश ही नहीं बल्कि विदेशों के लोगों के हित के लिए कार्य करता है , उनको सही रास्ता दिखाने का कार्य करता है । इसलिए अमेरिका के द्वारा 2009 में डिफेंडर्स पुरस्कार कैलाश सत्यार्थी जी को दिया गया था । कैलाश सत्यार्थी जी को 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार देकर भी सम्मानित किया जा चुका है । 2008 , 2009 में कैलाश सत्यार्थी जी को लोकतंत्र के रक्षक पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है । कैलाश सत्यार्थी जी गांधीजी की तरह अहिंसा के रास्ते पर चलने वाले व्यक्ति हैं ।

जिस तरह से महात्मा गांधी जी ने देश को आजादी दिलाने के लिए देश के हित में कार्य किए थे उसी तरह से कैलाश सत्यार्थी भी समाज को सही रास्ता दिखाने के उद्देश्य से कई देशों की यात्रा कर चुके हैं । कैलाश सत्यार्थी जी ने अपने नेक काम के माध्यम से भारत देश का नाम रोशन किया है , मध्य प्रदेश का नाम रोशन किया है और मध्य प्रदेश के विदिशा जिले का नाम रोशन किया है । कैलाश सत्यार्थी जी आज भी युवा वर्ग की पीढ़ी को आगे बढ़ाने के लिए यात्राएं करते रहते हैं और युवाओं को संबोधित करते हैं । कैलाश सत्यार्थी जी ने कई बार अपने संबोधन में यह कहा है कि देश को लोकतंत्र बनाना चाहिए ।

सभी लोगों को देश के विकास में अपना योगदान देना चाहिए । देश के विकास में सबसे ज्यादा योगदान युवा पीढ़ी का होता है क्योंकि युवा पीढ़ी ही पढ़ लिखकर आगे बढ़कर देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है । इस तरह से कैलाश सत्यार्थी जी ने एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कई देशों की यात्राएं की और उन देशों में एक क्रांति का बीज बोया और वहां के लोगों को जागरूक किया । इन सभी  अच्छे कार्यों के लिए कैलाश सत्यार्थी जी को यह सभी पुरस्कार दिए गए हैं ।

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