जाखू मंदिर का इतिहास Jakhu temple history in hindi

Jakhu temple history in hindi

Jakhu temple – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से जाखू मंदिर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर जाखू मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।

Jakhu temple history in hindi
Jakhu temple history in hindi

जाखू मंदिर के बारे में – जाखू मंदिर भारत देश का सबसे प्राचीन मंदिर है जिस मंदिर से भारत देश के सभी लोगों की आस्था जुड़ी हुई है । भारत देश का यह सुंदर और प्राचीन मंदिर भारत देश के हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला में स्थित है जिसकी सुंदरता देखने के लायक है ।जाखू मंदिर की सुंदरता को देखने के लिए लाखों की संख्या में पर्यटक वहां पर जाते हैं और जाखू मंदिर के दर्शन करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । जाखू मंदिर मे हनुमान जी की पूजा अर्चना की जाती है । जाखू मंदिर मे हनुमान जी की 108 फीट ऊंची प्रतिमा है जिस प्रतिमा की स्थापना सन 2010 में की गई थी ।

मंदिर के चारों तरफ सुंदरता ही सुंदरता है । भारत देश के इस प्राचीन जाखू मंदिर के निर्माण के बारे में यह कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण रामायण काल में ऋषि याकू के द्वारा कराया गया था । जाखू मंदिर शिमला का सबसे सुंदर पर्यटन स्थल है । शिमला का यह सबसे सुंदर पर्यटन स्थल जाकू पहाड़ी पर समुद्र तल से तकरीबन 8048 फिट की ऊंचाई पर स्थित है । आसपास पहाड़ी इलाका होने के कारण इस मंदिर की सुंदरता और भी अद्भुत दिखाई देती है । इस मंदिर के निर्माण के बारे में यह कहा जाता है की जब राम भगवान और रावण के बीच घमासान युद्ध हुआ था तब मेघनाथ ने लक्ष्मण जी पर तीर से हमला कर दिया था और वह तीर लक्ष्मण जी को लग गया था जिसके कारण लक्ष्मण जी घायल हो गए थे ।

जब लक्ष्मण जी के उपचार के लिए वेदराज सुषेण को बुलाया गया तब वेदराज सुषेण ने यह बताया था कि यदि लक्ष्मण जी को बचाना है तो हिमालय से संजीवनी बूटी लाना होगा । यह सुनकर हनुमान जी ने संजीवनी बूटी लाने का जिम्मा अपने हाथों में लिया था । इसके बाद हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने के लिए अपनी उड़ान भर चुके थे । जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने के लिए हिमालय पर्वत की ओर जा रहे थे तब उनको एक पर्वत पर ऋषि याकू दिखाई दिए थे ।हनुमान जी ऋषि को देखकर उस पहाड़ी पर उतर गए थे । हनुमान जी ने ऋषि को प्रणाम किया और संजीवनी बूटी लाने के बारे में बताया था ।

ऋषि याकू ने हनुमान जी को संजीवनी बूटी के बारे में बताया था । इसके बाद हनुमान जी ने ऋषि याकू को यह कहा था कि वह संजीवनी बूटी लेकर जब यहां से निकलेंगे तब वह उनके आश्रम पर जरूर  प्रस्थान करेंगे । इस तरह से ऋषि याकू से आशीर्वाद लेकर संजीवनी बूटी लेने के लिए हनुमान जी निकल गए थे । जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर आ रहे थे तब हनुमान जी का रास्ता रोकने के लिए कालनेमि राक्षस ने हनुमान जी से युद्ध किया था । हनुमान जी ने कालनेमि राक्षस को मारकर विजय प्राप्त की थी ।

समय का अभाव हो जाने के कारण हनुमान जी ऋषि याकू के आश्रम पर जाने में असमर्थ थे । परंतु वह ऋषि याकू को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते थे । इसलिए उन्होंने ऋषि याकू के आश्रम पर जाकर उनसे भेंट करके वह वहां से निकल गए थे । जब हनुमान जी ऋषि के आश्रम से निकले तब हनुमान जी के चरणों के पदचिन्ह वही पर रह गए थे जिसके बाद ऋषि याकू ने वहां पर मंदिर की स्थापना कराई थी । ऋषि याकू ने हनुमान जी को यह वरदान दिया था कि इस मंदिर पर जो भी भक्त हनुमान जी की पूजा अर्चना करने के लिए आएगा वह अपने जीवन में आनंद और खुशी प्राप्त करेगा । तभी से हिंदू धर्म एवं सभी धर्म के लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है ।

देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लाखों की संख्या में पर्यटक जाखू मंदिर के दर्शनों के लिए आते हैं और अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । जो भक्त जाखू मंदिर के दर्शनों के लिए जाता है वह हनुमान जी के चरणों में माथा टेक कर हनुमान जी से आशीर्वाद लेता है और जाखू मंदिर के आसपास घूम कर अपने जीवन में आनंद प्राप्त करता है ।आज भारत सरकार के द्वारा जाखू मंदिर को और भी अधिक सुंदर बनाने के लिए कार्य किए जाते हैं क्योंकि लाखों की संख्या में पर्यटक जाखू मंदिर को देखने के लिए जाते हैं । जाखू का यह मंदिर शिमला की सुंदरता में चार चांद लगाने का काम करता है ।

यदि आप भी इस जाखू के  मंदिर की सुंदरता को देखना चाहते हैं तो  इस मंदिर को देखने के लिए अवश्य जाए । जब आप इस मंदिर की सुन्दरता अपनी आंखों से देखोगे तब आपको पता चलेगा कि यह मंदिर कितना सुंदर है ।

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