गीत काव्य का इतिहास Geet kavya history in hindi

Geet kavya history in hindi

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से गीत काव्य इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर गीत काव्य के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।

गीत काव्य का इतिहास
गीत काव्य का इतिहास

गीत काव्य तथा गीतिनाट्य के आधार – गीत काव्य वह काव्य है जो गीत या काव्य रचना के माध्यम से बनाया जाता है । जो व्यक्ति गीत काव्य की रचना लिखता है या निर्धारित करता है वह व्यक्ति गीतिकाव्य का गीतकार कहलाता है । जब एक गीतकार के द्वारा गीती काव्य की रचना का शिलान्यास किया जाता है तब एक गीत बनके तैयार होता है और उस गीत को संगीत के साथ निर्मित किया जाता है । जब गीतिकाव्य को संगीत के साथ निर्मित किया जाता है तब संगीत के साथ निर्मित किए गए गीत के शब्दों को बोल कहते हैं ।

गीत काव्य की रचना के बाद ही संगीत का जन्म होता है और संगीत का जन्म होने के बाद ही एक गीतकार का गीत पूरा होता है । जब लोगों के सामने गीतिकाव्य संगीत के रूप में दिखाया जाता है तब लोग उस संगीत को सुनकर आनंद प्राप्त करते हैं । इसी तरह से गीतिनाट्य की गणना भी संगीत की ही तरह नाटकों के लिए की जाती है । गीतिनाट्य  के संबंध में यह कहा जाता है कि समकालीन साहित्य विधाओं में गीतिनाट्य का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है । यदि समकालीन साहित्य  विधाओं में हिंदी गीतिनाट्य का उपयोग नहीं किया जाता तो नाटकों की गणना करना बहुत ही मुश्किल होता ।

गीतिनाट्य के द्वारा कथाओं का अविष्कार किया जाता है और गीतिनाट्य कथाओं के द्वारा ही युगीन समस्याओं को कथाओं के द्वारा लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है । कहने का तात्पर्य यह है कि समाज में फैली हुई कृतियों को गीतिनाट्य कथाओं के माध्यम से लोगों को बताया जाता है जिससे कि उन कुरीतियों को खत्म किया जा सके । गीतिनाट्य कथाओं के माध्यम से ही नवयुग जीवन की एक  नीव रखी जाती है । गीतिनाट्य के प्रथम अध्याय के अनुसार कुछ सिद्धांत निश्चित किए गए हैं । हिंदी गीतिनाट्य सिद्धांत और भारतीय परंपरा इसमें निर्मित की गई है ।

हिंदी गीतिनाट्य सिद्धांत के उद्भव विकास के लिए गीतिनाट्य कथाओं का शिलान्यास लेखक , नाटककार , गीतकार के द्वारा किया गया है ।समाज के हित के लिए गीतिनाट्य कथा को लिखकर समाज के बीच में प्रस्तुत किया है । जो कथाएं युगीन समस्याओं को व्यक्त करती हैं । समाज के हित के लिए गीतिनाट्य के प्रथम अध्याय का शिलान्यास भी किया गया है । प्रथम अध्याय के अनुसार गीतिनाट्य को हिंदी गीतिनाट्य सिद्धांत और भारतीय परंपरा को गीतिनाट्य कथाओं में दर्शाया गया है । गीतिनाट्य कथाओं में हिंदी गीतिनाट्य के उद्भव विकास आदि को भी दर्शाया जाता है । जो समकालीन साहित्य के स्थान पर निर्धारित किया जाता है ।

हिंदी गीतिनाट्य के विकास क्रम को भी गीतकार , लेखक के द्वारा तीन काल में विभक्त किया गया है । हिंदी गीतिनाट्य के विकास के लिए पहला क्रम 1900 को प्रारंभ किया गया था । हिंदी गीतिनाट्य के उस पहले विकास क्रम को स्वतंत्रता पूर्व हिंदी गीतिनाट्य नाम दिया गया था । हिंदी गीतिनाट्य का पहला विकास क्रम 1900 से 1947 तक चला था । जो भारत की आजादी तक का क्रम था । जब भारत देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ तब इसके के बाद समाज हित , देशहित के लिए हिंदी गीतिनाट्य  का दूसरा क्रम प्रारंभ किया गया था और उस हिंदी गीतिनाट्य विकास क्रम का  दूसरा नाम स्वातंत्र्योत्तर   हिंदी गीतिनाट्य था ।

यह हिंदी गीतिनाट्य का विकास क्रम 1947 से प्रारंभ हुआ था जो 1965 तक चला था । इसके बाद जब लोग जागरूक हुए और लोग हिंदी गीतिनाट्य के विकास क्रम से ज्ञान प्राप्त करते गए तब लोगों को जागरूक करना बहुत आसान हो गया था ।इसके बाद हिंदी गीतिनाट्य के विकास क्रम की तीसरेे काल को प्रारंभ किया गया था और हिंदी गीतिनाट्य के विकास क्रम का तीसरा काल समकालीन हिंदी गीतिनाट्य था जिसको 1965 को प्रारंभ किया गया था जो आज तक प्रारंभ है ।

धर्मवीर भारती की काव्य की प्रथम गीत की विशेषता – धर्मवीर भारती भारत के एक महान काव्य लेखक थे जिन्होंने कई कविताएं , नाटक और गीत लिखे हैं । जिनके गीतों को सुनने के बाद आज भी उनके गीतों में काव्य की प्रथम विशेषता नजर आती है । धर्मवीर भारती एक लेखक साहित्यकार , नाटक कार , संपादक के प्रवक्ता थे । धर्मवीर भारती के द्वारा जब कविताएं , गीत लिखे जाते थे तब वह उन सभी कविताओं में व्यक्ति के जीवन का सार डाल देते थे । जब धर्मवीर भारती के द्वारा लिखे गए गीत और कविताएं हम सुनते या पढ़ते थे तब उनके गीतों और कविताओं में व्यक्ति के जीवन को जीने का मकसद मिलता था ।

धर्मवीर भारती के द्वारा कई कविताएं गीत लिखे गए हैं । धर्मवीर भारती के द्वारा लिखी गई काव्य कनुप्रिया अंश एक  सबसे महत्वपूर्ण काव्य है जिस काव्य में जीवन का सार छिपा हुआ है । इसके बाद धर्मवीर भारती के द्वारा गुनाह का गीत भी लिखा गया है जिस गीत को सुनने के बाद आनंद की प्राप्ति होती है । धर्मवीर भारती के द्वारा चांदनी जगाती है और ठंडा लोहा जैसे काव्य की पुस्तकें भी लिखी गई है । धरम वीर भारती के द्वारा जो गीत लिखे जाते हैं उन गीतों में काव्य की विशेषता होती है । वह अक्सर यह कोशिश करते थे कि गीतों में कुछ ऐसे वाक्य निर्धारित किए जाए जिन वाक्यों को सुनने के बाद व्यक्ति को एक नया जीवन प्राप्त हो ।

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