एर्तुग्रुल ग़ाज़ी का इतिहास Ertugrul gazi history in hindi
Ertugrul gazi history in hindi
Ertugrul gazi – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से एर्तुग्रुल ग़ाज़ी के इतिहास के बारेे बतानेे जा रहेे हैं तो चलिए अब हम आगेेेे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर एर्तुग्रुल ग़ाज़ी के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।
एर्तुग्रुल ग़ाज़ी के बारे मे – एर्तुग्रुल ग़ाज़ी एक अजीम मुजा हिद थे । एर्तुग्रुल ग़ाज़ी का जन्म कई कबीले मे हुआ था । इनका जन्म 1188 ईसवी के समय में हुआ था । एर्तुग्रुल ग़ाज़ी के पिताजी का नाम सुलेमान शाह था । एर्तुग्रुल ग़ाज़ी की माता जी का नाम हाईमा खातून था । एर्तुग्रुल ग़ाज़ी कि पिता सुलेमान शाह कई कबीलेे के महान सरदार थे जिनकी शहादत के चर्चे उस समय काफी हुआ करते थे । सुलेमान शाह के चार बेटे थे । उनके पहले बेटे का नाम गुलदारो था । सुलेमान शाह के दूसरे पुत्र का नाम एर्तुग्रुल ग़ाज़ी था ।
सुलेमान शाह के तीसरे पुत्र का नाम जलजान था । सुलेमान साहब के चौथे पुत्र का नाम सरेेम था । अब मैं आपको बता देना चाहता हूं कि सुलेमान शाह केेेे समय मे तकरीबन 13वी शताब्दी के दौरान मुसलमानों पर काफी मुश्किलें आई थी क्योंकि उस समय चंगेज खान का शासन काल था और चंगेज खान के शासनकाल में मंगोल साम्राज्य का विस्तार काफी तेज गति से हो रहा था । चंगेज खान के शासनकाल में जब मंगोल साम्राज्य का विस्तार हो रहा था तब मंगोल साम्राज्य पूर्वी यूरोप से लेकर मध्य यूरोप तक पहुंच चुका था ।
एक तरफ जहां चंगेज खान के शासनकाल में मंगोल साम्राज्य का विस्तार हो रहा था वहीं दूसरी तरफ ख़्वार्ज़म साम्राज्य के द्वारा भी इराक , ईरान , ख्वारसान और सीरिया पर अपना अधिपत्य स्थापित कर चुका था । जब चंगेज खान की नजर ख़्वार्ज़म साम्राज्य पर पड़ी तब चंगेज खान ख़्वार्ज़म साम्राज्य पर अपना आधिपत्य स्थापित करना चाहता था ।वह अपनी सेना के दम पर पूर्वी यूरोप से लेकर मध्य यूरोप तक कब्जा कर चुका था अब वह अपने सैन्य बल की सहायता से ख़्वार्ज़म साम्राज्य को प्राप्त करना चाहता था परंतु ख़्वार्ज़म साम्राज्य मे कई कबीले के लोग काफी ताकतवर थे । कई कबीले के लोग अपने सरदार के द्वारा बताए गए रास्ते पर चलते थे ।
जब चंगेज खान ने ख़्वार्ज़म साम्राज्य पर हमला कर दिया था तब कई कबीले के लोग चंगेज खान की सेना से लड़ते गए थे । इसके बाद ख़्वार्ज़म साम्राज्य के लोग वहां से निकल गए थे । कई कबीले के लोग कई कबीले के सुल्तान सुलेमान शाह के साथ वहां से चले गए थे । सुलेमान शाह की पानी में डूब जाने के कारण मौत हो गई थी जिसके बाद सुलेमान साहब के चारों बेटे अलग अलग हो गए थे । सुलेमान शाह का बेटा एर्तुग्रुल ग़ाज़ी जिसने अपनी एक सेना बनाई और सेना के नेतृत्व में चंगेज खान के विरुद्ध खड़ा हो गया था ।
एर्तुग्रुल ग़ाज़ी की एक संतान हुई जिसका नाम एर्तुग्रुल ग़ाज़ी ने उस्मान गाजी रखा था परंतु एर्तुग्रुल ग़ाज़ी अपने पुत्र के साथ अधिक समय तक जीवित नहीं रह सका था क्योंकि एर्तुग्रुल ग़ाज़ी की 1281 में मौत हो गई थी । जब एर्तुग्रुल ग़ाज़ी का निधन हो गया था तब एर्तुग्रुल ग़ाज़ी के पुत्र उस्मान गाजी ने एर्तुग्रुल ग़ाज़ी के मृत शरीर को सोगुट मे दफनाया था । इसके बाद एर्तुग्रुल ग़ाज़ी के पुत्र उस्मान गाजी ने अपने पिता की याद में एक दरगाह भी बनाई थी जो दरगाह आज भी सोगुट में स्थित है । एर्तुग्रुल ग़ाज़ी के निधन के बाद उस्मान गाजी के द्वारा काफी महान कार्य किए गए थे ।
उस्मान गाजी ने अपने पिता के द्वारा देखे गए सपने को पूरा किया था । उस्मान गाजी ने इस्लाम धर्म की सबसे मजबूत और सबसे बड़ी सल्तनत कायम की थी जिस सल्तनत को आज हम सभी लोग सल्तनत ए उस्मानिया के नाम से जानते हैं । यह सल्तनत उस्मानिया जी के द्वारा 1299 में लाई गई थी । जब सन 1299 में उस्मान के अथक प्रयासों से सल्तनत ए उस्मानिया की नींव रखी गई तब उस्मान गाजी के इस कार्य की प्रशंसा मुस्लिम समाज के द्वारा की गई थी परंतु इस सल्तनत का खात्मा 1923 को हो गया था क्योंकि 1923 के समय में कुछ ऐसे बेईमान मुसलमान थे जो ब्रिटिश हुकूमत की बातों में आ गए थे ।
जब ब्रिटिश हुकूमत ने कुछ बेईमान मुसलमानों को धन दौलत का लालच दिया तब वह ब्रिटिश शासन के लालच में फस गए थे । जब कुछ बेईमान मुसलमान ब्रिटिश शासन के साथ हो गए तब इस सल्तनत का खात्मा ब्रिटिश शासन के द्वारा कर दिया गया था ।
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