धोलावीरा का रहस्य व् इतिहास Dholavira history in hindi
Dholavira history in hindi
Dholavira – दोस्तों आज हम आपको एक आर्टिकल के माध्यम से धोलावीरा का रहस्य व् इतिहास के बारे में बताने जा रहे तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर धोलावीरा के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।
धोलावीरा के बारे में – धोलावीरा भारत देश का एक बेहतरीन प्राचीन नगर है जिस नगर की सुंदरता अद्भुत सुंदर और चमत्कारी है । यह अद्भुत चमत्कारी नगर धोलावीरा भारत देश के गुजरात राज्य के कच्छ के उत्तरी भाग में स्थित है जिसकी सुंदरता को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और इसकी सुंदरता को देखकर आनंद प्राप्त करते हैं । पुरातत्व विभाग का यह एक सुंदर नगर है जो नगर उत्तर अक्षांश और पूर्व देशांतर में स्थित है ।धोलावीरा हड़प्पा संस्कृति का एक नगर है जिस नगर की जानकारी 1960 में प्राप्त हुई थी जिसके बाद इस नगर की खुदाई कराई गई थी और 1990 तक इसकी खुदाई की गई थी ।
जब इसकी खुदाई पूरी कर ली गई थी तब धोलावीरा का यह नगर निकल के आया था । मैं आपको बता देना चाहता हूं कि कडप्पा संस्कृति के दौरान कई महानगर थे जिन महानगरों की सुंदरता बहुत अद्भुत चमत्कारी थी । हड़प्पा संस्कृति के दौरान मोहनजोदड़ो , राखी गढ़ , गनेरीवाला , धोलावीरा , लोथल यह सभी महानगर पुरातन संस्कृति के नगर हैं । इन सभी महानगरों में से सिर्फ भारत में दो महानगर ही हैं जिसमें लोथल और धोलावीरा हैं बाकी के महानगर पाकिस्तान के बंटवारे के समय पाकिस्तान में चले गए थे ।
धोलावीरा महानगर के खनन के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस महानगर का खनन पुरातत्व विभाग के अधिकारी डॉ आर एस के द्वारा किया गया था । यह धोलावीरा प्राचीन संस्कृति के लिए जाना जाता है जिसकी सुंदरता आज ही सुंदर और अद्भुत चमत्कारी दिखाई देती है । धोलावीरा की सुंदरता को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं । भारत देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक इस नगर की सुंदरता को देखने के लिए आते हैं । धोलावीरा नगर मे उत्तर से मनसर नदी का पानी आता है और दक्षिण से मनहर नदी से पानी आता है ।
धोलावीरा मे आने वाली यह दोनों नदियां छोटी हैं । धोलावीरा नगर की प्राचीन सभ्यता को देखने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि यह नगर प्राचीन समय का सबसे सुंदर नगर था । यह धोलावीरा नगर 100 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ है जिस धोलावीरा नगर में प्रांत के अधिकारियों के विभाग भी थे जो विभाग मजबूत पत्थर के माध्यम से बनाए गए थे । धोलावीरा के नगर में आम इंसानों के मकान कच्ची मिट्टी के बने हुए थे । धोलावीरा के जो प्रांत अधिकारियों के विभाग थे उन सभी विभागों को एक विशेष पत्थर से बनाया गया था । विभागों की दीवार बहुत मजबूत थी ।
आज उन दीवारों की मजबूती को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि यह पत्थर बहुत मजबूत है । धोलावीरा का जब निर्माण कराया गया तब धोलावीरा को चौकोर एवं आयताकार पत्थरों से निर्माण कराया गया था । भारत के इस प्राचीन नगर को देखने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि यहां की हड़प्पा संस्कृति बहुत ही सुंदर रही होगी । जब धोलावीरा की खुदाई की गई तब यहां से कई ऐसे चिन्न मिले हैं जो हड़प्पा संस्कृति की सुंदरता को दर्शाते हैं । धोलावीरा की सुंदरता और भी सुंदर बनाने के लिए पुरातत्व विभाग की ओर से कार्य किए जा रहे हैं क्योंकि धोलावीरा से कई लोगों की आस्था जुड़ी हुई है ।
कई पर्यटक धोलावीरा की सुंदरता को देखने के लिए आते हैं और इसकी सुंदरता को देखकर आनंद प्राप्त करते हैं ।धोलावीरा नगर आज से तकरीबन 5000 साल पहले बसा हुआ विश्व का सबसे सुंदर , अद्भुत प्राचीन नगर था जिस नगर में तकरीबन 50000 से भी ज्यादा लोग निवास करते थे । जब धोलावीरा नगर का पतन 4000 साल पहले हुआ तब धोलावीरा नगर पूरी तरह से बर्बाद हो गया था । इसके बाद सन 1450 में धोलावीरा नगर में पुनः मनुष्य बसने लगे थे । धीरे धीरे धोलावीरा के रहस्य की परतें खुलने लगी और धोलावीरा के रहस्य की जानकारी प्राप्त करने के लिए पुरातत्व विभाग की ओर से यहां की खुदाई की गई थी । खुदाई करने के बाद हड़प्पा संस्कृति की कई पहचान यहां मिली थी ।
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