चोल वंश का इतिहास chol vansh history in hindi

chol vansh history in hindi

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से चोल वंश के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और चोल वंश के इतिहास को पढ़ते हैं ।चोल वंश की उत्पत्ति नवी शताब्दी में हुई थी । तमिल चोल साम्राज्य शासकों द्वारा एक शक्तिशाली हिंदू साम्राज्य का निर्माण किया गया था । चोल शासकों के द्वारा कई देशों पर आक्रमण करके जीत हासिल की गई थी । चोल शासक के ही द्वारा श्री लंका पर विजय प्राप्त की गई थी ।

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मालदीप दीपों पर भी चोल शासकों ने अपनी शक्ति एवं ताकत से अपना आधिपत्य स्थापित किया था ।  नवी सदी से चोल वंश का शासन प्रारंभ हुआ था । सबसे पहले मैं आपको बता दूं कि चोल वंश का संस्थापक विजयालय था । चोल वंश के संस्थापक विजयालय के बाद यहां पर वंशा गत राज चलता रहा । विजयालय के बाद तकरीबन 20 राजाओं ने 400 वर्ष तक अपना शासन चलाया था । अब हम आपको बताने जा रहे हैं कि कौन-कौन से राजाओं का शासन यहां पर चला था ।

आदित्य प्रथम ने 871 से 907 तक अपना राज संभाला था । इसके बाद परांतक प्रथम को इसका उत्तराधिकारी बनाया गया और परांतक प्रथम ने 907 से अपना शासन प्रारंभ किया और 955 तक अपना राज चलाया था । परांतक के द्वारा ही चोल वंश की शक्ति  मजबूत हुई थी । परांतक ने ही लंकापति उदय पर 945 से 953 तक आक्रमण किया लेकिन यह आक्रमण सफल नहीं हो पाया था । इसके बाद परांतक ने 949 को कृष्ण तृतीय के विरुद्ध युद्ध छेड़ा और राष्ट्रकूट सम्राट कृष्ण तृतीय को बुरी तरह से हराया ।

इसी दौरान चोल साम्राज्य की नीव बहुत बुरी तरह से हिल गई थी । परांतक के बाद यहां पर कई राजाओं ने अपना राज चलाया था। जैसेे कि गंडरादित्य , सुंदर चोल , अरिंजय इन राजाओं के द्वारा तकरीबन 32 वर्षों तक शासन किया गया था । इसके बाद 985 से 1014 तक राजराज प्रथम ने चोल वंश की नीव पुनः रखी थी । राजराज प्रथम ने सबसे पहले पश्चिमी राजा गंगो के खिलाफ युद्ध छेड़ा और पश्चिमी राजा गंगो को बहुत बुरी तरह से हराया था ।

हराने केेेे बाद गंगो का प्रदेश छिन लिया था । इसके बाद राजराज प्रथम ने केरल के राजा नरेश केे विरुद्ध युद्ध छेड़ा और केरल के नरेश को भी हराया था । केरल के नरेश को हराने के बाद राजराज प्रथम ने पांडयो को भी हराया था । इसके बाद राजराज ने सिंंहल को हराकर  उत्तरी क्षेत्र के प्रदेश को अपने  राज्य में मिला लिया था । राज राज ने अपनी पुत्री कुंदबा का विवाह शक्तविर्मन केेे छोटे भाई विमलादित्य से करवा दिया था । इसके बाद राज राज का पुत्र राजेंद्र प्रथम  बढ़ा हुआ और  उसको  उत्तराधिकारी बनाया गया था ।

राजेंद्र प्रथम  को  1012 में  उत्तराधिकारी बनाया गया था । जिसने 1012 से  1044 तक  अपना शासन चलाया था । राजेंद्र प्रथम भी बहुत शक्तिशाली एवं निडर राजा था । राजेंद्र प्रथम के द्वारा  चेर, पांडेय, सिंंहल पर हमला किया गया था और इन राज्यों को छीनकर  अपने राज्य में मिला दिया गया था । इसके बाद  राजेंद्र प्रथम  का उत्तराधिकारी  राजाधिराज  बना ।  उन्होंने 1018 से 1054 तक  अपना शासन चलाया था ।

राजाधिराज  का  अनंतर चालुक्य सोमेश्वर से हुए कोप्पम युद्ध में इसकी मौत हो गई थी ।इसकी मौत के बाद  यहां का आधिपत्य कुुलोतुंग केे हाथों मे चला गया था और 1070 से 1120 तक इसका ही शासन चला था । इसके बाद विक्रम चोल आया और विक्रम चोल नेे 1118 से 1133 तक अपना राज्य स्थापित किया था ।

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