बेहरामजी मलबारी की जीवनी Behramji malabari biography in hindi

Behramji malabari biography in hindi

दोस्तों आज हम आपको भारत के पूर्व समाज सेवक बेहराम जी मलाबारी के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने समाज को सही रास्ता दिखाने के लिए भारत में फैली गलत प्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाई थी । चलिए अब हम इस लेख के माध्यम से बेहराम जी मलाबारी के जीवन के बारे में जानेंगे ।

Behramji malabari biography in hindi
Behramji malabari biography in hindi

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जन्म स्थान व् परिवार – बेहरामजी मलाबारी का जन्म 18 मई 1853 को बड़ौदा में हुआ था जो अभी गुजरात राज्य में आता है । इनके पिता का नाम धनजी भाई मेहता था  जो एक पारसी क्लर्क थे । बेहरामजी मलाबारी के पिता की मृत्यु के बाद इनकी मां इनको सूरत ले गई थी जहां पर इनका पालन पोषण किया गया था । इनके पिता की मृत्यु के बाद इनकी मां दर-दर की ठोकरें खा रही थी ।इनकी मां की मुलाकात मर्वान जी नाना भाई मालाबारी से हुई और मर्वान जी नाना भाई मालाबारी ने बेहरामजी मलाबारी को अपना लिया था ।

मर्वान जी नाना भाई मालाबारी की दवाई की दुकान थी । मर्वान जी नाना भाई मालाबारी पहले से तीन शादी कर चुके थे लेकिन उनकी तीनों पत्नियों का देहांत हो गया था । मर्वान जी नाना भाई मालाबारी जी मालाबार से मसालों और चंदन का व्यापार भी किया करते थे । यह एक अच्छे व्यापारी भी थे इनकी कोई भी संतान नहीं थी इसलिए इन्होंने बेहरामजी मलाबारी को अपना लिया था ।

शिक्षा –  बेहरामजी मलाबारी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई सूरत से की थी । इनके पिता की मृत्यु के बाद इनकी मां इनको सूरत लेकर आ गई थी और सूरत के आयरिश प्रेसबेटेरियन मिशन स्कूल में इनकी माता ने इनको भर्ती कराया था । इसी स्कूल से बेहरामजी मलाबारी जी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई की थी ।

समाज सुधारक – बेहरामजी मलाबारी जी ने समाज को सुधारने के लिए कई प्रयास किए थे । बेहरामजी मलाबारी जी अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद समाज में फैली हुई गलत प्रथाओं को खत्म करना चाहते थे । बेहरामजी मलाबारी जी ने जाति प्रथा , बाल विवाह , सती प्रथा जैसी गलत प्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाई थी । वह देश में स्त्री शिक्षा को बढ़ावा देना चाहते थे । उन्होंने स्त्री शिक्षा को मजबूत करने के लिए कई किताबें लिखी थी ।

वह हमेशा अपने लेख के माध्यम से समाज को जागरूक किया करते थे । वह अपने लेख के माध्यम से पैसा नहीं कमाना चाहते थे बल्कि समाज को सुधारना चाहते थे ।समाज सुधारक के रूप में उन्होंने दादाभाई नरोजी , दिनशा वाचा , एम.जी.रानाडे के साथ मिलकर काम किया था । उन्होंने समाज सेवा करने के उद्देश्य से सेवासदन नामक संस्था की भी स्थापना की थी । इस संस्था के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाता था ।

प्रमुख पत्रिकाएं – बेहरामजी मलाबारी ने इंडियन स्पैक्टेटर नमक सप्ताहिक पत्रिका प्रकाशित की थी । इस पत्रिका के माध्यम से उन्होंने ब्रिटिश सरकार की कुरीतियों को सबके सामने रखा था । यह पत्रिका देश के साथ साथ कई देशों तक पहुंची थी । 1875 को बेहरामजी मलाबारी ने गुजराती भाषा में  पत्रिका प्रकाशित की थी । बेहरामजी मलाबारी ने 1877 में इंडियन म्यूजियम इन इंग्लिश पत्रिका भी प्रकाशित की थी । यह 1901 में मासिक पूर्व और पश्चिम आदि पत्रिका के संपादक भी बने थे ।

इन्होंने अपने लेख के माध्यम से ब्रिटिश शासन कि गलत प्रणाली को सबके सामने रखा था । भारत देश में फैली कुरीतियों को खत्म करने के लिए इन्होंने कई लेख लिखे थे । इनके लेख को पढ़कर भारत के कई लोग जागरूक हुए थे । जो पढ़े लिखे थे उन्होंने इनके लेख को पढ़कर बाल विवाह , सती प्रथा जैसी प्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाई थी । इन्होंने अपने लेख के माध्यम से ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई थी ।

मृत्यु – बेहरामजी मलाबारी का निधन 12 जुलाई 1912 को हुआ था ।

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