अधर देवी मंदिर का इतिहास Adhar devi temple history in hindi
Adhar devi temple history in hindi
Adhar devi temple – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से अधर देवी मंदिर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर अधर देवी मंदिर के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।
अधर देवी मंदिर के बारे में – अधर देवी का मंदिर भारत देश का सबसे प्राचीन अद्भुत और चमत्कारी मंदिर है जिस मंदिर से हिंदू धर्म के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है । अधर देवी का यह अद्भुत चमत्कारी मंदिर भारत देश के राजस्थान राज्य के माउंट आबू पहाड़ी पर स्थित है जिसकी सुंदरता वाकई में देखने के लायक है । जिस मंदिर के दर्शनों के लिए भक्तगण जाते हैं और माता अधर देवी के दर्शन करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं ।आधर देवी का अद्भुत चमत्कारी मंदिर देश के उन 52 शक्तिपीठों में से एक है जिसे छठ वी शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है ।
अर्बुद पर्वत पर स्थित अधर देवी के मंदिर को अर्बुदा देवी मंदिर भी कहा जाता है । अधर देवी के मंदिर में भक्तगण अर्बुदा देवी की पूजा अर्चना करने के लिए जाते हैं । जब नवरात्रि का आरंभ होता है तब काफी भक्तगण अधर देवी के मंदिर के दर्शन के लिए राजस्थान जाते हैं और माउंट आबू की पहाड़ी पर स्थित मंदिर के दर्शन कर अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । नवरात्रि के 6 वे दिन इस मंदिर में विशेष भव्य आरती का आयोजन किया जाता है क्योंकि अधर देवी कात्यायनी का ही रूप है ।
अधर देवी के मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यहीं पर माता पार्वती के अधर गिरे थे इसीलए इस मंदिर का नाम अधर मंदिर रखा गया है । जब भगवान भोलेनाथ के द्वारा तांडव किया गया तब माता पार्वती का अधर यहीं पर गिर गया था । इस मंदिर के निर्माण के बारे में ऐसा कहा जाता है कि राजस्थान के माउंट आबू पहाड़ी पर स्थित अधर देवी का मंदिर तकरीबन 5 से 6 हजार साल पहले बनाया गया था जिस मंदिर की सुंदरता आज भी अद्भुत और चमत्कारी दिखाई देती है ।
मंदिर में माता अधर देवी के चरण पादुका भी स्थित है जिन चरण पादुका के दर्शनों के लिए भक्तगण जाते हैं और माता अधर देवी के चरण पादुका पर माथा टेक कर अपने जीवन में सुख समृद्धि प्राप्त करते हैं । अधर देवी के मंदिर में जो चरण पादुका स्थित है उन चरण पादुका के बारे में पौराणिक ग्रंथों में यह कथा बताई जाती है कि जब दैत्य राजा बासकली के द्वारा भोलेनाथ की तपस्या तकरीबन 1000 वर्ष तक की गई तब भोलेनाथ दैत्य राजा बासकली की तपस्या से बहुत खुश हुए थे ।
भोलेनाथ दैत्य राजा बासकली की तपस्या से खुश होकर भोलेनाथ में दैत्य राजा बासकली को दर्शन दिए थे । जब भोलेनाथ ने दैत्य राजा बासकली को दर्शन दिए तब दैत्य राजा बासकली नेे भोलेनाथ से अजेय होने का वर मांगा था । भोलेनाथ ने दैत्य राजा बासकली की तपस्या से खुश होकर उसको अजेय होने का वर दे दिया था । जब दैत्य राजा बासकली को अजेय होने का वर प्राप्त हुआ तब वह घमंड करने लगा था । दैत्य राजा बासकली ने अत्याचार करना प्रारंभ कर दिए थे । दैत्य राजा बासकली के द्वारा इंद्र लोक पर भी हमला किया गया और कई देवी-देवताओं को बंदी बना लिया गया था । कुछ देवता अपनी जान बचाकर जंगलों में जाकर छुप गए थे ।
जब दैत्य राजा बासकली के द्वारा अत्याचार बढ़ने लगे तब देवी देवताओं ने माता अर्बुदा देवी का कठिन तप किया और देवी देवताओं की इस तपस्या से खुश होकर माता अर्बुदा देवी ने देवी देवताओं को दर्शन दिए थेे । माता अर्बुदा देवी ने देवी देवताओं से कहा कि मैं तुम्हारी तपस्या से खुश हूं मांंगो क्या वरदान मांगते हो । देवी देवताओं ने माता अर्बुदा देवी से दैत्य राजा बासकली के अंत की गुहार लगाई गई थी । जब माता अर्बुदा देवी ने दैत्य राजा बासकली के द्वारा किए गए अत्याचार के बारे में जाना तब माता देवी ने सभी देवी देवताओं को यह कहा कि अब आप चिंता मत करो दैत्य राजा बासकली का अंत निश्चित है ।
यह कहकर माता अधर देवी के दैत्य राजा बासकली का अंत करने के लिए निकल पड़ी थी । माता अधर देवी ने दैत्य राजा बासकली को अपने चरण से कुचल कर मार दिया था । जिस स्थान पर माता अधर देवी के द्वारा दैत्य राजा बासकली का बध किया गया था उसी स्थान पर माता अधर देवी के चरण पादुका स्थित हो गए थे । जिस स्थान पर माता अधर देवी का मंदिर स्थापित किया गया था । जहां पर कई भक्त गढ़ जाकर माता अधर देवी के चरण पादुका पर माथा टेक कर अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । यदि हम अधर देवी के मंदिर के दर्शन करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें राजस्थान में स्थित माउंट आबू पर्वत पर स्थित अर्बुदा देवी के दर्शनों के लिए अवश्य जाना चाहिए ।
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