सिद्धिविनायक मंदिर का इतिहास Siddhivinayak temple history in hindi
Siddhivinayak temple history in hindi
Siddhivinayak temple – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से सिद्धिविनायक मंदिर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर सिद्धिविनायक मंदिर के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।

सिद्धिविनायक मंदिर के बारे में – सिद्धिविनायक का यह चमत्कारी और पवित्र मंदिर भारत देश के महाराष्ट्र राज्य के मुंबई शहर में स्थित है । यह मंदिर बहुत ही सुंदर जगह पर स्थित है । जब कोई भक्तगण सिद्धिविनायक मंदिर के दर्शन के लिए जाता है वह अपने जीवन में आनंद प्राप्त करता है । सिद्धिविनायक के इस मंदिर में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई है । गणेश जी की प्रतिमा की पूजा अर्चना दर्शन करने के लिए लोग सिद्धिविनायक मंदिर पर जाते हैं और सिद्धि विनायक भगवान यानी गणेश जी की पूजा अर्चना करके अपने जीवन में सुख समृद्धि और शांति प्राप्त करते हैं ।
सिद्धिविनायक मंदिर के निर्माण के बारे में ऐसा कहा जाता है कि मुंबई में सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 19 नवंबर 1801 को कराया गया था ।सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण मुंबई में प्रभादेवी इलाके में कराया गया था । कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस मंदिर के निर्माण की शिला 1612 ईस्वी में रखी गई थी । इस मंदिर के दर्शनों के लिए बड़े-बड़े फिल्म स्टार , उद्योगपति और राजनेता जाते हैं और इस मंदिर के निर्माण के लिए धन दान देते हैं ।
महाराष्ट्र राज्य की सरकार के द्वारा इस मंदिर की सुंदरता को और भी अद्भुत , चमत्कारी बनाने के लिए 1991 में महाराष्ट्र सरकार के द्वारा 20000 वर्ग फिट की जमीन भी इस मंदिर ट्रस्ट को दी गई थी । सिद्धिविनायक मंदिर पांच मंजिला इमारत की बनी हुई है । सिद्धिविनायक मंदिर के प्रवचन ग्रह , गणेश संग्रहालय की सुंदरता अद्भुत और चमत्कारी है । जहां पर अधिक संख्या में लोग पधारकर प्रवचन करके सुख शांति प्राप्त करते हैं । सिद्धिविनायक मंदिर के इस पावन धाम में लिफ्ट की सुविधा भी भक्तों के लिए दी गई है जिससे कि वह आसानी के साथ सिद्धिविनायक मंदिर के दर्शन कर सकें ।
सिद्धिविनायक भगवान गणेश जी की जो लोकप्रिय मूर्ति मंदिर में स्थित है वह बहुत ही सुंदर और अद्भुत दिखाई देती है । जिसमें गणेश जी की सूंड दाई ओर मुड़ी हुई है ।यह मूर्ति सिद्ध पीठ कहलाती है इसीलिए इस मंदिर का नाम सिद्धिविनायक मंदिर रखा गया है । सिद्धिविनायक मंदिर का सर्वप्रथम निर्माण 19 नवंबर 1801 को लक्ष्मण विथु पाटिल के द्वारा कराया गया था जो एक ठेकेदार था ।जब ठेकेदार के द्वारा मंदिर के निर्माण के लिए राशि एकत्रित की गई तब मंदिर के निर्माण के लिए सबसे अधिक धनराशि एक कृषक महिला के द्वारा दी गई थी क्योंकि उस कृषक महिला के कोई भी संतान नहीं थी ।
जो भक्त गण सिद्धिविनायक मंदिर के दर्शनों के लिए जाता है वह सुख समृद्धि शांति प्राप्त करता है । जो भक्तगण मंगलवार के दिन मंदिर के दर्शनों के लिए जाता है उसे आरती में शामिल होने का मौका प्राप्त होता है ।मंगलवार के दिन सिद्धिविनायक मंदिर पर भव्य आरती का आयोजन किया जाता है । जब शुरुआत में सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण कराया गया था तब इसकी मूल संरचना बहुत छोटी थी जिसका आकार बहुत छोटा था और इस मूल संरचना को ईटों के माध्यम से बनाया गया था ।
जब इस मंदिर का पुनः निर्माण किया गया तब इसे संगमरमर के पत्थरों के द्वारा सजाया गया था । सिद्धिविनायक का यह सुंदर मंदिर भारत देश का सबसे धनी मंदिर हैं । भारत देश के सिद्धिविनायक मंदिर में लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं और सिद्धिविनायक मंदिर में धन दान देकर अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । प्रतिवर्ष सिद्धिविनायक मंदिर पर श्रद्धालुओं के द्वारा तकरीबन 100 मिलियन से 150 मिलियन की धनराशि दान के रूप में चढ़ाई जाती है और उस धनराशि से मंदिर का निर्माण कराया जाता है ।
इस मंदिर के निर्माण और सुंदरता निरंतर बढ़ाने के लिए , इस मंदिर की देखरेख करने के लिए एक संस्था बनाई गई है और वह संस्था मुंबई की सबसे अमीर ट्रस्ट में से एक है । जिस ट्रस्ट के माध्यम से मंदिर के कार्यों को सुचारू रूप से चलाया जाता है ।मंदिर में जो भगवान की प्रतिमा बनी हुई है वह प्रतिमा काले पत्थरों की बनी हुई है । भगवान सिद्धिविनायक के दोनों तरफ उनकी दोनों पत्नियां रिद्धि और सिद्धि की मूर्ति भी स्थित है । जो देखने में बहुत अधिक सुंदर दिखाई देती है । मंदिर में चांदी से बना हुआ एक बड़े चूहे की मूर्ति भी स्थित है जिसकी सुंदरता भी देखने के लायक है ।
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