बहुचरा माता का इतिहास Bahucharaji temple history in hindi

Bahucharaji temple history in hindi

Bahucharaji temple – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भारत देश के बहुचरा माता मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर बहुचरा माता मंदिर के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।

Bahucharaji temple history in hindi
Bahucharaji temple history in hindi

बहुचरा माता मंदिर के बारे में – बहुचरा माता का अद्भुत चमत्कारी मंदिर भारत देश के गुजरात राज्य के मेहसाणा जिले के बेचराजी नामक कस्बे में स्थित है जिस मंदिर की सुंदरता बहुत ही अद्भुत और चमत्कारी दिखाई देती है ।मंदिर में बहुचरा माता की एक सुंदर प्रतिमा स्थित है जिस प्रतिमा की सुंदरता देखने के लायक है । भारत देश का यह बहुचरा माता का मंदिर मेहसाणा से तकरीबन 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । बहुचरा माता मंदिर और अहमदाबाद की दूरी 110 किलोमीटर है । जो व्यक्ति अहमदाबाद से होते हुए बहुचरा माता मंदिर के दर्शनों के लिए जाता है वह 110 किलोमीटर की यात्रा करते हुए बहुचरा माता मंदिर के दर्शन के लिए पहुंचता है ।

बहुचरा माता का जन्म चारण समाज में हुआ है । बहुचरा माता चारण बापल  दान की पुत्री थी । बहुचरा माता के मंदिर में बहुचरा माता का मुख्य वाहन मुर्गा है । बहुचरा माता मुर्गी पर विराजमान हैं । बहुचरा माता को लेकर एक कथा भी कही जाती है । उस कथा के अनुसार यह कहा जाता है कि एक बार बापल दान देथा  की पुत्री बहुचरा अपनी बहनों और सभी सहेलियों के साथ मिलकर एक काफिले के साथ यात्रा कर रही थी । जब काफिला जंगल से होते हुए गुजर रहा था तब जंगल के रास्ते में एक खूंखार डाकू जिसका नाम बपैया था उस खूंखार  डाकू ने काफिले पर हमला कर दिया था ।

जब डाकू के द्वारा काफिले पर हमला किया गया तब काफिले में स्थित लोगों ने उन सभी डाकुओं से मुकाबला किया था । परंतु डाकुओं की संख्या बहुत अधिक थी और लोगों की संख्या बहुत कम थी । जब बहुचरा  को लगा की उनका काफिला हारता जा रहा है तब बहुचरा ने अपनी सभी सहेलियों के साथ मिलकर आत्म देह  करने का निर्णय लिया था और बहुचरा माता  ने अपनी बहनों के साथ मिलकर अपने स्तन काट दिए थे और उस खूंखार डाकू बपैया  और उसकी सभी साथियों को यह श्राफ दे दिया था कि वह सभी नपुंसक हो जाएं ।

श्राफ देते ही  डाकुओं का काफिला नपुंसक हो गया था ।इसके बाद डाकुओं के सभी साथियों ने बहुचरा देवी से माफी मांगी थी । बहुचरा देवी ने उन सभी को श्राफ से मुक्ति पाने का उपाय बताया था और कहा था कि वह श्राफ से मुक्त होने के लिए एक महिला की तरह सज कर महिला के जैसा हावभाव रखकर मां को प्रसन्न करें तब जाकर के वह मुक्ति प्राप्त करेंगे । इस कथा के साथ साथ बहुचरा माता के बारे में एक और कथा कहीं जाती है उस कथा के अनुसार यह कहा जाता है कि जब एक राजा जिसके कोई भी संतान नहीं थी वह संतान प्राप्ति के लिए माता की पूजा आराधना करने लगा तब उसे माता की कृपा से  एक पुत्र की प्राप्ति हुई थी ।

परंतु वह पुत्र नपुंसक निकला था ।  राजा के उस पुत्र का नाम जेथो रखा गया था । एक बार जब राजकुमार सो रहा था तब माता बहुचरा देवी ने उस राजकुमार को एक सपना दिया और कहा था कि तुम बहुचरा देवी की पूजा अर्चना करो तुम्हें मुक्ति प्राप्त होगी और राजा के साथ-साथ सभी नपुंसक लोगों ने बहुचरा देवी की आराधना करना प्रारंभ कर दिया था । कहते हैं कि किन्नर समाज की आस्था इसी कारण से माता बहुचरा देवी से जुड़ी हुई है । किन्नर समाज माता बहुचरा देवी को पूजता हैं ।

बहुचरा देवी के दर्शनों के लिए किन्नर समाज ही नहीं बल्कि पुत्र प्राप्ति के उद्देश्य से भारत देश के कोने कोने से लोग बहुचरा माता मंदिर के दर्शन करने के लिए जाते हैं और मंदिर के दर्शन करके संतान प्राप्ति का आशीर्वाद माता बहुचरा देवी से प्राप्त करते हैं । जो भी भक्तगण बहुचरा  माता मंदिर के दर्शन करने के लिए जाता है वह बहुचरा देवी के मंदिर की सुंदरता , मंदिर की नक्काशी और आसपास की हरियाली को देखकर अपने जीवन में आनंद प्राप्त करता है । जिस तरह से लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है उसी तरह से ऐसा प्रतीत होता है कि माता बहुचरा देवी भी इन सभी भक्तों से जुड़ी हुई हैं ।

बहुचरा माता इन सभी भक्तों की आराधना स्वीकार करके उनको खुशी प्रदान करती हैं । यदि आप लोग बहुचरा माता मंदिर की सुंदरता को देखना चाहते हो , सुंदरता महसूस करना चाहते हो तो गुजरात राज्य के बेचराजी नामक कस्बे में स्थित बहुचरा माता मंदिर के  दर्शन करने के लिए अवश्य जाना चाहिए ।

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