यमनोत्री मंदिर का इतिहास Yamunotri temple history in hindi

Yamunotri temple history in hindi

Yamunotri temple – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से यमनोत्री मंदिर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस बेहतरीन आर्टिकल को पढ़कर यमनोत्री मंदिर के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।

Yamunotri temple history in hindi
Yamunotri temple history in hindi

image source-https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Devotees_at_Yamunotri_Temple.jpg

यमनोत्री मंदिर के बारे में –  यमनोत्री का यह मंदिर भारत देश का सबसे सुंदर मंदिर है । इस मंदिर की सुंदरता के चर्चे भारत देश के कोने कोने में किए जाते हैं । प्रतिवर्ष यमनोत्री के इस पावन मंदिर के दर्शनों के लिए लाखों करोड़ों की संख्या में लोग आते हैं और यमनोत्री मंदिर के दर्शन करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । भारत देश का यह पावन यमनोत्री मंदिर गढ़वाल हिमालय के पश्चिम में समुद्र तल से तकरीबन 3235 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है । जो भी भक्तगण यमनोत्री मंदिर के दर्शनों के लिए जाता है वह यमनोत्री मंदिर के दर्शन करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करता है ।

मैं आपको यमनोत्री मंदिर के बारे में बता दूं कि यह मंदिर हिंदू धर्म के चार धाम की यात्रा में शामिल है । यमनोत्री मंदिर के निर्माण के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1919 में टिहरी गढ़वाल के राजा प्रताप शाह के द्वारा कराया गया था । इस मंदिर में देवी यमुना की प्रतिमा स्थापित की गई है और प्रतिदिन इस मंदिर में स्थित देवी यमुना की प्रतिमा की पूजा अर्चना की जाती है । जब इस मंदिर का निर्माण किया गया तब कुछ समय बाद वहां पर भूकंप आ गया था । जिस भूकंप में मंदिर पूरी तरह से तहस-नहस हो गया था ।

इसके बाद जब मंदिर की सुंदरता के बारे में जयपुर की महारानी को पता चली तब जयपुर की महारानी गुलेरिया के द्वारा इस मंदिर का पुनः निर्माण कराया गया था ।यमनोत्री के मंदिर का पुनः निर्माण जयपुर की महारानी गुलेरिया के द्वारा कराया गया था जो 19वीं सदी में कराया गया था । मंदिर में जो मूर्ति की प्रतिमा स्थित हैं उन सभी प्रतिमाओं को काले संगमरमर के पत्थरों से तराशा गया है । यमनोत्री मंदिर पर भारतीय ग्रंथों में एक कथा भी बताई गई है । कथा में यह बताया गया है कि यमुना नदी सूर्य देव की पुत्री है । यमुना जी मृत्यु के देवता यम देवता की बहन है ।

जो भी भक्तगण भाई दूज के दिन यमनोत्री की नदी में स्नान करके यमनोत्री मंदिर के दर्शन करने के लिए जाता है वह अपने जीवन में आनंद ही आनंद प्राप्त करता है । इसी कारण से मंदिर में यम की पूजा अर्चना भी पूरी विधि विधान के साथ की जाती है । जब यमुना नदी में स्नान करने के बाद यम देवता और यमनोत्री मंदिर में स्थित सभी देवी देवताओं की पूजा अर्चना कर ली जाती है तब व्यक्ति यमत्रास से मुक्ति प्राप्त कर लेता है । भारत देश के कूमेपुराण , ऋग्वेद , ब्रह्मांड पुराण मे भी यमनोत्री के मंदिर के बारे में बताया गया है , मंदिर की सुंदरता के बारे में बताया गया है ।

महाभारत के अनुसार यह बताया गया है कि जब पांडव उत्तराखंड की यात्रा करने के लिए निकले थे तब पांडवों के द्वारा गंगोत्री , यमनोत्री , केदारनाथ , बद्रीनाथ की यात्रा की गई थी । यमनोत्री धाम की यात्रा हिंदू धर्म से जुड़े हुए लोगों के द्वारा की जाती है । इन सभी चारों धाम की यात्रा करने के बाद हिंदू धर्म के लोग अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । यमनोत्री का यह सुंदर अद्भुत चमत्कारी मंदिर गढ़वाल हिमालय के पश्चिम भाग में स्थित होने के कारण और भी अधिक सुंदर दिखाई देता है । यहां पर जमी हुई बर्फ की झील भी स्थित है जो देखने में बहुत अधिक सुंदर दिखाई देती है ।

यमनोत्री का यह पावन मंदिर समुद्र तल से तकरीबन 4421 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कालिंद पर्वत पर स्थित है । यहां के आसपास की सुंदरता भी बहुत ही दर्शनीय हैं । इस मंदिर की यात्रा के लिए प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में भक्तगण पहुंचते हैं और यमनोत्री मंदिर के दर्शन करके , मंदिर के आसपास की सभी जगह  को देख , कर घूम कर अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । यदि हम यमनोत्री मंदिर की सुंदरता को देखना चाहते हैं तो हमें यमनोत्री मंदिर के दर्शनों के लिए अवश्य जाना चाहिए । जब हम यमनोत्री मंदिर की सुंदरता अपनी आंखों से देखेंगे तब हमें यमनोत्री मंदिर की सुंदरता के बारे में पता चलेगा ।

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