किराडू मंदिर बाड़मेर का इतिहास Kiradu temple barmer history in hindi
Kiradu temple barmer history in hindi
Kiradu temple – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से किराडू मंदिर बाड़मेर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर किराडू मंदिर बाड़मेर के इतिहास के बारे में जानते हैं ।
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किराडू मंदिर बाड़मेर के बारे में – किराडू बाड़मेर मंदिर भारत का सबसे अच्छा और प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है । जहां पर भारत देश से एवं विदेशों से कई पर्यटक आकर यहां की सुंदरता का आनंद लेते हैं । किराडू का यह मंदिर खजुराहो की तरह दिखाई देता है । इसलिए किराडू के इस मंदिर को राजस्थान का खजुराहो भी कहा जाता है । किराडू का यह मंदिर धोरो के गढ़ बाड़मेर में स्थित है ।किराडू मंदिर राजस्थान का सबसे अच्छा और प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है । जहां पर लाखों की संख्या में लोग घूमने के लिए जाते हैं । किराडू के मंदिर के इतिहास के बारे में यदि हम बात करें तो यहां का इतिहास काफी दिलचस्प रहा है ।
यहां के इतिहास की हम जितनी खोज करें उतनी कम है । इसके इतिहास की परतें बहुत ही दबी हुई हैं । राजस्थान का यह किराडू मंदिर दक्षिण भारतीय शैली का बना हुआ है । जब कोई पर्यटक किराडू मंदिर की कला और इसकी बनावट देखता है तब वह अपने जीवन में बहुत ही आनंद प्राप्त करता है क्योंकि यहां की कलाकृति देखने के लायक है । राजस्थान का यह किराडू मंदिर बाड़मेर से तकरीबन 43 किलोमीटर दूर एक हात्मा गांव में स्थित है । यहां के आसपास की सुंदरता बहुत ही देखने के लायक है । राजस्थान राज्य मरुस्थलीय भूमि के लिए जाना जाता है ।
यहां के आसपास की हरियाली और पर्यटकों की भीड़ देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि यह किराडू मंदिर भारत का गौरव बढ़ाता है क्योंकि विदेशी पर्यटक जब भी भारत में घूमने के लिए आते हैं वह राजस्थान राज्य के बाड़मेर में स्थित किराडू मंदिर को देखने के लिए अवश्य जाते हैं । किराडू मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि 1161 ईसा पूर्व के समय किराडू मंदिर के आसपास के स्थान का नाम विराट कूप था । किराडू में स्थित मंदिरों के बारे में इतिहासकार और वहां के आसपास के लोगों का यह कहना है कि यहां पर 1000 ईसवी में तकरीबन 5 मंदिरों का निर्माण करवाया गया था ।
इस मंदिर के निर्माण में वहां के आसपास के लोगों का महत्वपूर्ण योगदान था । जब कोई व्यक्ति किराडू के मंदिर की बनावट को देखता है तब वह अपने जीवन में आनंद प्राप्त करता है । मंदिर के निर्माण की बात करें तो मंदिर की बनावट को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो मंदिर का निर्माण गुप्त वंश एवं गुर्जर प्रतिहार वंश एवं संगम वंश के द्वारा करवाया गया होगा । परंतु इस मंदिर के निर्माण के बारे में यह पुख्ता प्रमाण नहीं है कि यह मंदिर किसने बनवाए हैं । किराडू में स्थित यह मंदिर विष्णु भगवान एवं शिव भगवान को समर्पित हैं ।
आज की स्थिति में विष्णु भगवान और शिव भगवान के जो मंदिर हैं वह मंदिर ही अच्छी हालत में है बाकी के जो मंदिर है वह क्षतिग्रस्त हो गए हैं जो खंडहर के समान दिखाई देते हैं ।शिव मंदिर एवं विष्णु मंदिर को देखने , दर्शन करने के लिए काफी लोग वहां पर आते हैं और भगवान शिव एवं विष्णु के चरणों में माथा टेककर आनंद प्राप्त करते हैं ।किराडू का यह मंदिर राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे भारत का गौरव , मान सम्मान बढ़ाता है । किराडू का यह मंदिर बाड़मेर की सुंदरता में चार चांद लगाता है ।
जब कोई पर्यटक किराडू के मंदिरों को देखता है तब वह फिर से इस मंदिर को देखने की कामना करता है क्योंकि इस मंदिर को देखने के बाद वहां से वापस आने का मन ही नहीं करता है । विदेशों से आने वाले पर्यटक इस मंदिर से इतने प्रभावित हैं कि वह कई दिनों तक कहां पर रुक कर किराडू के मंदिर का आनंद लेते हैं और जब भी उनको दोबारा भारत आने का मौका मिलता है तब वह अपने परिवार के साथ किराडू के इस मंदिर को देखने के लिए अवश्य जाते हैं और अपने परिवार के साथ इस मंदिर को देखकर आनंद प्राप्त करते हैं ।
किराडू एवं बाड़मेर का वैभव – किराडू की सुंदरता की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है । वहां के मंदिरों की सुंदरता हमारे जीवन में आनंद उमंग भर देती है । हमें अपने परिवार के साथ में बाड़मेर की सुंदरता और किराडू मंदिर की सुंदरता को देखने के लिए अवश्य जाना चाहिए ।किराडू का मंदिर भारत का वैभव है । किराडू का यह मंदिर विदेशों में भारत की एक नई पहचान बनाने का काम करता हैं । प्राचीन समय में किराडू पर जो राजा , महाराजा शासन करते थे वह किराडू के वैभव को किराडू की सुंदरता से सभी लोगों को परिचित कराने का काम करते थे ।
किराडू पर शासन करने वाले राजपूत चालूक्यों के सामंत कहे जाते थे और राजपूत चालूक्यों के सामंत के माध्यम से यहां पर काफी विकास किया गया था । जो आज हम वहां की कलाकृति को देखकर यह अनुमान लगा सकते हैं की प्राचीन समय के राजपूत राजा महाराजाओं ने यहां की कलाकृति को सुंदर बनाने के लिए कितने अथक प्रयास किए होंगे । जिसकी सुंदरता को देखकर किराडू मंदिर एवं बाड़मेर का गौरव चारों तरफ फैल रहा है ।
किराडू में स्थित शिव मंदिर एवं विष्णु मंदिर की सुंदरता तो प्राचीन समय से ही प्रसिद्ध है लेकिन आज भी वहां के लोगों की आस्था किराडू के विष्णु मंदिर एवं शिव मंदिर से जुड़ी हुई है । जो वहां के आसपास के लोगों के अथक प्रयास से यहां की सुंदरता को बढ़ाने का काम किया जाता रहा है और आज भी किया जा रहा है । लोगों के साथ-साथ भारतीय प्रशासन एवं पर्यटन विभाग की ओर से यहां की सुंदरता और भी बढ़ाई जा रही है । भारत देश की सरकार , पर्यटन विभाग काफी पैसा किराडू के विकास में खर्च कर रही है ।
यह सब किराडू एवं बाड़मेर का वैभव एवं सुंदरता को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है । जब किराडू के मंदिर का गौरव विदेशों में फैलेगा तब देश का गौरव बढ़ेगा ।
बाड़मेर में स्थित किराडू मंदिर के रहस्य के बारे में – भारत देश के राज्य राजस्थान राज्य के बाड़मेर में स्थित किराडू मंदिर का रहस्य काफी दिलचस्प है । यह कहा जाता है कि राजस्थान में स्थित बाड़मेर में स्थित किराडू मंदिर अपनी शिल्पकला के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं और अपनी ख्याति पूरी दुनिया में बना चुका है । परंतु इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर तकरीबन 900 सालों से वीरान पड़ा हुआ है । यहां पर स्थित कई मंदिर जो कि खंडहर में बदल चुके हैं । बाड़मेर में स्थित किराडू का यह मंदिर लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना है ।
इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि किराडू में दिन में चहल पहल रहती है । काफी लोग दिन में इन मंदिरों को देखने के लिए आते हैं और अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । परंतु जैसे ही सूर्यास्त का समय पास में आता जाता है यहां पर चहल-पहल दिखना बंद हो जाती है क्योंकि यह कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति किराडू के आसपास सूर्यास्त के समय रुकता है वह पत्थर की प्रतिमा बन जाता है । इसी कारण से इस मंदिर को देखने के लिए , इसके रहस्य को जानने के लिए आते हैं ।
किराडू मंदिर को देखने के लिए आने वाले पर्यटक दिन में ही इन सभी मंदिरों का भ्रमण करते हैं और सूर्यास्त के समय से पहले वापस लौट जाते हैं । बाड़मेर में स्थित किराडू मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह प्राचीन समय में काफी सुख सुविधाओं से लेस था । यहां पर दूर-दूर से लोग व्यापार करने के लिए आते थे और चारों तरफ चहल-पहल दिखाई देती थी । पूरा गांव एवं बाड़मेर के आसपास में स्थित लोग बहुत ही धनवान थे । यहां के आसपास की सुंदरता देखने के लायक थी ।
परंतु समय बीतने के साथ-साथ यहां के आसपास की जगह बंजर होने लगी । मंदिर खंडहर होने लगे और रात के समय यहां पर ऐसा लगता है कि यह एक वीरान जगह है । जहां पर कोई भी व्यक्ति नहीं है , यहां पर भूतों का साया हो । इस बात के पीछे काफी रहस्य हैं । परंतु इतिहासकारों का कोई भी पुख्ता जवाब इस बात के लिए नहीं है । वहां के आसपास के लोगों का कहना है कि यह जगह श्राप युक्त है इसीलिए यहां पर कोई सूर्यास्त के बाद रुकता नहीं है और जो भी व्यक्ति सूर्यास्त के बाद यहां पर रुकता है वह पत्थर की प्रतिमा बन जाता है ।
इसी डर के कारण सूर्यास्त के बाद यहां पर कोई भी दिखाई नहीं देता है । पूरा का पूरा किराडू मंदिर एवं आसपास की जगह विराम बन जाती है । किराडू के मंदिर के इस रहस्य को जानने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि यह भारत की सबसे सुंदर जगह है । जहां पर लाखों पर्यटक आते हैं । परंतु कोई सालों से फैली यह अफवाह ना जाने सच है या झूठी क्योंकि इतिहासकारों ने भी इस रहस्य का खुलासा नहीं किया है । जो कि अभी भी एक रहस्य बना हुआ है ।
कोई भी व्यक्ति इस रहस्य की खोजबीन करने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि कोई भी व्यक्ति पत्थर की प्रतिमा बन जाने से डरता है । इस रहस्य का खुलासा पूरी तरह से तब तक नहीं हो पाएगा जब तक कोई व्यक्ति किराडू मंदिर एवं वहां के आसपास के स्थानों की , किराडू मंदिरों की खोजबीन पूरी तरह से नहीं कर लेता । कुछ भी हो , कुछ भी रहस्य हो परंतु काफी लोगों की आस्था बाड़मेर के किराडू मंदिर से जुड़ी हुई है । जो लोग किराडू मंदिर के दर्शन को देखने के लिए जाता है वह किराडू मंदिर के रहस्य को छोड़कर वहां की सुंदरता का आनंद लेता है ।
किराडू मंदिर के रहस्य से जुड़ी एक कहानी के बारे में – किराडू मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि कोई भी व्यक्ति सूर्यास्त के बाद वहां पर रुक नहीं सकता है । यदि कोई व्यक्ति रुकता है तो वह पत्थर की प्रतिमा बन जाएगा इस तरह का रहस्य है । वहां के लोगों के द्वारा यह कहा जाता है कि यह किराडू मंदिर एवं आसपास का स्थान श्राप युक्त है । यहां पर एक ऋषि ने श्राप दिया था । जो आज भी श्राप युक्त है । इस रहस्य के बारे में वहां के लोगों का मानना है कि एक बार एक बहुत बड़े ऋषि किराडू मे अपने शिष्यों के साथ पधारे हुए थे ।
जब ऋषि अपने शिष्यों के साथ किराडू में पधारे थे तब वहां के लोगों ने उनका एवं ऋषि के शिष्यों का स्वागत बहुत ही अच्छी तरह से किया था । कई दिनों तक ऋषि अपने शिष्यों के साथ किराडू में रुके थे । इसके बाद ऋषि ने किराडू के आसपास के स्थानों का भ्रमण करने का विचार बनाया और अपने शिष्यों से ऋषि ने यह कहा था कि तुम यहां पर रहो मैं अकेला आसपास के स्थानों पर भ्रमण करने के लिए जा रहा हूं । इस तरह से अपने शिष्यों को आशीर्वाद देकर ऋषि वहां से भ्रमण के लिए निकल गए थे ।
कुछ समय पश्चात उस गांव पर एक बीमारी का साया मंडराया था और वह बीमारी का साया ऋषि के शिष्यों पर छाया और ऋषि के सभी शिष्य रोग ग्रस्त हो गए थे । परंतु गांव के किसी भी व्यक्ति ने ऋषि के शिष्यों की सहायता नहीं की थी । पूरे गांव में सिर्फ एक कुम्हारीन थी जिसने जितनी हो सकी उतनी मदद सभी शिष्यों कि की थी । जब ऋषि भ्रमण करके गांव में आए तब अपने शिष्यों की खराब हालत को देखकर बहुत चिंतित हो गए और शिष्यों से पूरी कहानी की जानकारी ली ।
जब ऋषि को यह पता चला कि उनके शिष्यों की गांव में रहने वाले लोगों ने किसी तरह की कोई भी सहायता नहीं की तब ऋषि को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने गांव वालों को यह श्राप दे दिया था कि जिस तरह से तुम मेरे शिष्यों को बुरी हालत में देखकर एक पत्थर की भांति चुपचाप रहे , उनकी मदद नहीं की उसी तरह से मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि तुम भी पाषाण भाती हो जाओगे । जाओ मैं तुम्हें ऐसा श्राप दे रहा हूं कि तुम सभी पाषाण बन जाओगे और पूरा गांव पाषाण युक्त हो जाएगा ।
इसके बाद ऋषि ने उस बृद्धा से कहा कि तुम शाम ढलने से पहले यहां से प्रस्थान कर जाओ और पीछे मुड़कर मत देखना अन्यथा तुम एक पत्थर की प्रतिमा बन जाओगी ।इस तरह से ऋषि ने पूरे गांव को श्राप देकर वहां से अपने शिष्यों के साथ चले गए थे । वह वृद्धा अपने घर पर गई और घर से वह स्थान छोड़कर जाने लगी परंतु रास्ते में उसे अपने घर का मोह हुआ और उस वृद्ध महिला ने पीछे मुड़ कर देख लिया और वह वृद्धा पत्थर की प्रतिमा बन गई थी । तभी से वहां के आसपास का स्थान श्राप युक्त हो गया था ।
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