सामाजिकता क्या है पर निबंध Samajikta kya hai essay in hindi
Samajikta kya hai essay in hindi
Samajikta – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से सामाजिकता क्या है पर लिखे निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं ? तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर सामाजिकता क्या है के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।
सामाजिकता के बारे में – समाज को सही रास्ता दिखाने और समाज के लोगों के हित में कार्य करने वाले व्यक्ति को सामाजिक कार्यकर्ता कहा जाता है । सामाजिकता का शाब्दिक अर्थ समाज हित में कार्य करना होता है । जब किसी समाज के द्वारा समाज की उन्नति के लिए नियम कानून बनाए जाते हैं और समाज के सभी प्रतिष्ठित लोग उन सभी नियमों को मानकर समाज हित में कार्य करते हैं तब समाज के अंदर मजबूत नीति बनती है । किसी समाज में चाहे वो किसी भी धर्म का हो सर्व स्वीकृत मूल्य मान्यताएं जो समाज के द्वारा दी जाती हैं वह मान्यताएं सामाजिक नैतिकता का आधार बन जाती हैं ।
सामाजिकता के साथ-साथ आध्यात्मिकता के फल स्वरुप व्यक्ति के अपने कुछ दार्शनिक मूल्य होते हैं । मैं आप लोगों से पूछना चाहता हूं कि यदि कोई व्यक्ति या समाज के कुछ लोग सामाजिकता का उल्लंघन करें तो क्या आध्यात्मिक चेतना का विकास समाज में हो सकता है ?नहीं हो सकता हैं । यह सोचना भी गलत है सामाजिकता का उल्लंघन करने के बाद समाज के अंदर आध्यात्मिक चेतना का उदय कभी हो ही नहीं सकता है । समाज के अंदर सामाजिकता , नैतिकता , सामाजिक एकता तब जागृत होती है जब समाज के सभी लोग आपस में प्रेम , परोपकार , भाईचारा , सहयोग , त्याग , ममता , अहिंसा की भावना के साथ समाज हित में कार्य करते हैं ।
समाज के लोगों के द्वारा सामाजिक नैतिकता के आधार पर समाज हित में जो कार्य किए जाते हैं वह कार्य समाज के सभी लोगों को उन्नति के रास्ते पर ले जाते हैं । आज हम देख रहे हैं कि समाज के लोग सामाजिक नैतिकता की जिम्मेदारी से पीछे भाग रहे हैं । समाज के लोगों ने अपने बच्चों का भविष्य स्कूल , कॉलेज के भरोसे छोड़ दिया है ।स्कूल कॉलेज में जो पढ़ाई कराई जाती है उस पढ़ाई से बच्चे को ज्ञान प्राप्त होता है , संस्कार प्राप्त नहीं होते हैं ।बच्चे को संस्कार माता-पिता और समाज के रहन-सहन से प्राप्त होते हैं ।
सामाजिक गतिविधियों को जब बच्चे देखते हैं तब वह एक अच्छे समाज की नींव रखने के लिए आगे बढ़ते हैं और एक अच्छे समाज का निर्माण होता है । समाज के वरिष्ठ लोगों के द्वारा सामाजिक नैतिकता के आधार पर समाज हित के लिए किए गए कार्य की एकाकी प्रयास किए जा सकते हैं । समाज से ही व्यक्ति का जीवन सुलभ बनता है । जब समाज मजबूत होता हैं तब उस समाज के सभी लोग मजबूत होते हैं । जब समाज मजबूत होता है तब राष्ट्र मजबूत होता है । राष्ट्र मजबूत कब होता है जब भारत देश की सभी समाज एकता के साथ रहती हैं । जब किसी तरह का कोई भी विद्रोह समाजों के बीच में नहीं होता है तब राष्ट्र एक शक्तिशाली मजबूत राष्ट्र बनता है ।
कहने का तात्पर्य यह है कि समाज के अंदर एकता होना बहुत ही जरूरी है । एकता के बिना एक समृद्ध शक्तिशाली समाज का बनना मुश्किल होता है । एकता का अर्थ हम यह नहीं मान सकते कि किसी विषय पर यदि कोई व्यक्ति मतभेद करता है तो उस विषय पर मतभेद हो ही नहीं सकते । मतभेद हो सकते हैं पर मतभेद होने के बावजूद जो सुखद समाज के हित में सोचें और उसकी सोच को सभी समाज स्वीकार करें यही वास्तविक सामाजिक एकता होती है । जब तक समाज के अंदर सामाजिक एकता नहीं होगी तब तक एक मजबूत शक्तिशाली समाज बनाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ।
समाज के अंदर जो द्वेष भावना जागृत हो जाती है तो समाज बिखर जाता है जिसका दुष्प्रभाव समाज के लोगों पर पड़ता है । हर व्यक्ति के सोचने समझने की मानसिकता अलग अलग होती है । परंतु जब समाज हित की बात होती है तो सभी लोगों को एक दृष्टि से सोचने की आवश्यकता होती है । जिस तरह से हम अपने परिवार के हित के लिए अच्छे विचार व्यक्त करते हैं उसी तरह से समाज को समृद्ध बनाने के लिए समाज के हित के लिए सोचना चाहिए । सामाजिकता सोच एक शक्तिशाली समाज की स्थापना कर सकती है ।
आज हम देख रहे हैं कि हम अपने बच्चों का भविष्य स्कूल , कॉलेज , ट्यूशन के भरोसे छोड़ देते हैं जिसके कारण बच्चों को उचित संस्कार प्राप्त नहीं हो सकते हैं । जो संस्कार समाज और घर के बड़े बुजुर्गों से प्राप्त होता है वह संस्कार बच्चा स्कूल ट्यूशन के माध्यम से प्राप्त नहीं कर सकता है । इसलिए एक समाज का होना बहुत ही जरूरी है । समाज के अंदर प्रतिष्ठित व्यक्तियों का होना बहुत ही जरूरी है । जो सामाजिक एकता में भरोसा रखता है वह व्यक्ति जब समाज के अंदर होता हैं तो एक मजबूत समाज का निर्माण होता है ।
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