बोहरा समाज का इतिहास Bohra samaj history in hindi
Bohra samaj history in hindi
दोस्तों आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बोहरा समाज के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते है और बोहरा समाज के इतिहास को गहराई से पढ़ कर बोहरा समाज के इतिहास को जानते हैं ।
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बोहरा समाज एक मुस्लिम समाज है । बोहरा समाज के बारे में ऐसा कहा जाता है कि भारत में बोहरा समाज के लोगों का आगमन 15वीं शताब्दी में हुआ था । 15वीं शताब्दी को दाऊदी बोहरा समाज के लोग भारत में आए थे । बोहरा समाज के लोग बहुत ही शांत स्वभाव के होते हैं । बोहरा समाज के लोग अधिकतर व्यवसाय करते हैं ।बोहरा समाज पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए पौधारोपण करने में अपना योगदान देता हैं ।
साफ सफाई कि यदि बात करें तो बोहरा समाज बहुत ही साफ-सफाई से रहता हैं । भारत के गुजरात राज्य से लेकर कई अन्य राज्यों में बोहरा समाज के लोग रहते हैं । बोहरा समाज के लोग मध्य प्रदेश , राजस्थान , उत्तर प्रदेश , छत्तीसगढ़ , गुजरात एवं कई राज्यों में मौजूद है । बोहरा समाज को व्यापारिक कॉम भी कहा जाता है क्योंकि बोहरा समाज के अधिकतर लोग व्यापार करते हैं । बोहरा समाज एक समृद्ध समाज है ।
बोहरा समाज के लोगों के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जहां पर बोहरा समाज की कोम रहती है वहां पर अधिकतर बोहरा समाज के लोग एक समय का भोजन कोमल किचन से मंगाते हैं और कॉमन किचन की देखरेख बोहरा समाज के लोग ही करते हैं । मस्जिद की साफ सफाई , पर्यावरण के बारे में ख्याल रखना पूरे समाज के लोगों की आदत है । बोहरा समाज के अधिकतर घरों में कॉमन किचन के माध्यम से भोजन टिफिन से सभी के घरों में पहुंचाया जाता है ।
बोहरा समाज की जो मस्जिदें , मुसाफिरखाने , कब्रिस्तान , दरगाह होती है उनको बोहरा समाज के कई ट्रस्ट मिलकर संभालते हैं । बोहरा समाज के कई ऐसे ट्रस्ट हैं जिनके माध्यम से बोहरा समाज की समृद्धि एवं विकास के लिए कार्य किए जाते हैं उन ट्रस्टों के नाम सैफी फाउंडेशन, अंजुमन बुरहानी ट्रस्ट, शहीदा ट्रस्ट ,गंजे शहीदा ट्रस्ट एवं ऐसे कई और ट्रस्ट भी हैं जिनके माध्यम से बोहरा समाज को विकसित एवं विकासशील किया जाता है ।
यह सभी ट्रस्ट बोहरा समाज की मस्जिदों को एवं दरगाह को , कब्रिस्तान को सुरक्षित रखते हैं एवं इनकी देखरेख में जो भी पैसा लगता है वह पैसा ट्रस्टों के माध्यम से एकत्रित होता है । बोहरा समाज के लोगों की आस्था इमामो से जुड़ी हुई होती है । बोहरा समाज की विरासत फातिमी इमामो से ताल्लुक रखती है जोकि पैगंबर मोहम्मद के प्रत्यक्ष वंशज के रूप में जाने जाते हैं । दाऊदी बोहरा समाज के सभी लोग इमामो को अवश्य मानते हैं ।
दाऊदी बोहरा समाज के अंतिम एवं 21 वे इमाम तैयब अबुल कासिम थे । इसके बाद बोहरा समाज केे लोगोंं ने आध्यात्मिक गुरुओं की परंपरा प्रारंभ कर दी थी । यह परंपरा 1132 से प्रारंभ की गई थी । आध्यात्मिक गुरुओं को दाई अल मुतलक कहा जाता है । डॉ सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन को बोहरा समाज के द्वारा 52 बे अध्यात्मिक गुरु के रूप में चुना गया था ।
जब डॉक्टर सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन का निधन हो गया था तब उनकेे सुपुत्र डॉक्टर मुफद्दल सैफुद्दीन को बोहरा समाज केे द्वारा 53 बा दाई अल मुतलक के रूप में चुना गया था ।बोहरा समाज के लोग अधिकतर मजारों एवं सूफियों पर विश्वास रखते हैं ।
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