राघोगढ़ किले का इतिहास Raghogarh fort history in hindi

Raghogarh fort history in hindi

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से राघोगढ़ किले के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और राघोगढ़ किले के इतिहास को गहराई से जानते हैं ।

Raghogarh fort history in hindi
Raghogarh fort history in hindi

Image source – http://www.digvijayasingh.in/raghogarh.html

राघोगढ़ किले के बारे में About Raghogarh fort- राघोगढ़ का किला प्राचीन समय से ही दर्शनीय रहा है । राघोगढ़  का किला गुना जिले के विजयपुर में स्थित है । यह बहुत ही अच्छा और दर्शनीय किला है जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है ।प्राचीन समय का यह किला सभी चीजों से सुसज्जित है ।इस प्राचीन किले के अंदर भगवान के मंदिर बने हुए हैं । जो देखने के लायक है । किले में जो भी व्यक्ति घूमने के लिए जाता है वह अपने जीवन में आनंद प्राप्त करता है । राघोगढ़ किले की सुंदरता को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और इसकी सुंदरता को देखकर आनंद प्राप्त करते हैं ।

राघोगढ़  किला विजयपुर एवं गुना जिले की सुंदरता मे चार चांद लगा देता है । जब हम राघोगढ़  किले के अंदर प्रवेश करते हैं तब हम इसकी सुंदरता को देखकर मोहित हो जाते हैं । राघोगढ़ किले से आसपास की सुंदरता हरी-भरी दिखाई देती है । राघोगढ़ किले के ऊपरी मंजिल पर जाकर हम राघोगढ़ किले के आसपास की सुंदरता को देख सकते हैं । राघोगढ़ का किला प्राचीन समय से ही दर्शनीय रहा है ।

राघोगढ़ किले की कितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है । यदि हम राघोगढ़  शहर की बात करें तो राघोगढ़  शहर तकरीबन 109 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है ।जहां के लोग बहुत ही अच्छे हैं । राघोगढ़ शहर मे लोगों की जनसंख्या 19446 है ।

राघोगढ़ किले के निर्माण के बारे में – दोस्तों अब हम जानेंगे कि राघोगढ़ किले का निर्माण कैसे हुआ और राघोगढ़ किले के निर्माण में किन-किन लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है । तो राघोगढ़ किले का निर्माण 1673 मे किया गया था । राघोगढ़ किले का निर्माण चौहान खिचड़ी वंश के राजा के द्वारा किया गया था । राघोगढ़ किले का निर्माण ऊंची पहाड़ी एवं शांत इलाके में किया गया था ।जहां से हमला करने वाले दुश्मनों पर पूरी तरह से नजर रखी जाती थी । प्राचीन समय में राघोगढ़ किले की रक्षा सुरक्षा के लिए काफी सैनिक तैनात रहते थे ।

जब कोई राघोगढ़ किले पर हमला करता था तब राघोगढ़ किले की सुरक्षा के लिए बड़ी-बड़ी टोपे भी राघोगढ़ किले मे रखी गई थी । राघोगढ़ किले के निर्माण में धीरज सिंह का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा है । धीरज सिंह ने राघोगढ़ किले कि और भी सुंदरता बनाने के लिए 1697 से 1726 ईसवी में राघोगढ़ किले का पुनर्निर्माण  कराया था । राघोगढ़ किले के अंदर चित्रकला , हिंदू ग्रंथों की तस्वीरें और भी कई सुंदरता इस महल को दी गई है । राघोगढ़  किला पहाड़ियों पर होने के कारण और भी अधिक सुंदर दिखाई देता है ।

जब कोई व्यक्ति राघोगढ़ किले के अंदर जाता है तब वह अपने जीवन में आनंद प्राप्त करता है । राघोगढ़  शहर के निर्माण से पहले यह राघोगढ़ का किला बनाया गया था और इस किले का नाम राघोगढ़  किला रखा गया था । जब राघोगढ़ किले का निर्माण कराया गया था तब वहां पर निवासियों की संख्या बहुत कम थी । धीरे-धीरे समय बीतने के साथ-साथ राघोगढ़ किले के आसपास रह वासियों की संख्या बढ़ती गई और आज वहां पर तकरीबन 19446 लोग निवास करते हैं ।

धीरे-धीरे समय बीतने के साथ-साथ जब एक के बाद एक  राजाओं का राघोगढ़ किले पर आधिपत्य स्थापित हुआ वैसे वैसे ही इस किले की सुंदरता के लिए कार्य किए गए थे । राघोगढ़ किले की सुंदरता के लिए राजा महाराजाओं ने निरंतर काम किया है । इसलिए आज इस राघोगढ़ किले की सुंदरता बहुत ही सुंदर लगती है । प्राचीन समय की नक्काशी को देखकर हमें बड़ा आनंद आता है क्योंकि प्राचीन समय की नक्काशी बहुत ही सुंदर लगती है । इस किले के अंदर प्राचीन समय की नक्काशी हम सभी को देखने को मिलती है । इसीलिए राघोगढ़ किला बहुत सुंदर और अद्भुत दिखाई देता है ।

खिचड़ी वंश के राजाओं के द्वारा राघोगढ़ किले का निर्माण , राघोगढ़ किले की सुंदरता के लिए काम किया गया था ।

राघोगढ़ किले पर  किए गए शासन के बारे में – राघोगढ़ किले पर चौहान खिचड़ी वंश के कई राजाओं ने अपना शासन किया है । अब हम आपको प्रारंभ से लेकर अभी तक के शासन काल के बारे में बता रहे हैं । राघोगढ़ किले की स्थापना के बाद चौहान खिचड़ी वंश के राजपूत लाल सिंह ने राघोगढ़ किले के आसपास सन 1673 में राघोगढ़ शहर की स्थापना करने का विचार बनाया था और उन्होंने वहां पर राघोगढ़  शहर की स्थापना की थी क्योंकि राघोगढ़ किले के आसपास बहुत अच्छी सुंदरता थी और बहुत शांत इलाका था ।

इसी उद्देश्य से राघोगढ़ शहर की स्थापना 1673 में चौहान खिचड़ी वंश के राजपूत  के द्वारा की गई थी । इसके बाद राघोगढ़ किले एवं राघोगढ़  शहर पर शासन करने वाले तीसरे राजा गज सिंह थे जो धीरज सिंह के जेष्ठ पुत्र के रूप में पहचाने जाते थे । जब धीरज सिंह ने राघोगढ़ किले एवं राघोगढ़  शहर की रक्षा , सुरक्षा की जिम्मेदारी गज सिंह को दी तब उन्होंने पूरी मेहनत और लगन से राघोगढ़ किले की सुंदरता को कायम रखा और राघोगढ़  शहर के लोगों के विकास के लिए कई कार्य किए थे ।

राघोगढ़  शहर में जो जनता निवास करती थी वह खिचड़ी वंश के राजाओं का बहुत सम्मान करती थी क्योंकि चौहान खिचड़ी वंश के राजाओं के द्वारा वहां के लोगों के लिए बहुत विकास के  कार्य किए गए थे । इसके बाद राघोगढ़ किले पर  राजा विक्रमादित्य प्रथम का शासन प्रारंभ हुआ । विक्रमादित्य प्रथम के द्वारा राघोगढ़ किले पर 1730 से 1744 तक शासन किया गया था ।विक्रमादित्य प्रथम के वीरता के चर्चे आज भी दूर-दूर तक किए जाते हैं ।  विक्रमादित्य प्रथम ने अपने शासनकाल में छाबरा गुर्जर को अपनी ताकत और बुद्धिमानी से बंदी बना लिया था और भी कई वीरता के चर्चे विक्रमादित्य प्रथम के बारे में किए जाते हैं ।

विक्रमादित्य प्रथम की शादी के बाद विक्रमादित्य प्रथम की संतान हुई और विक्रमादित्य प्रथम के पुत्र का नाम बलभद्र सिंह प्रथम रखा गया था ।  विक्रमादित्य प्रथम का पुत्र जब बड़ा हुआ तब विक्रमादित्य प्रथम ने राघोगढ़ किले एवं राघोगढ़  शहर की रक्षा सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने पुत्र बलभद्र सिंह को दे दी थी । बलभद्र सिंह की मां अनूप कुंंवर गौड़ बहुत ही बहादुर और निडर महिला थी । बलभद्र सिंह ने जब राघोगढ़ किले में शासन करना प्रारंभ किया था तब उनकी मां ने उनका बहुत ही साथ दिया था । अपनी मां के साथ मिलकर बलभद्र सिंह के द्वारा कई विकास के कार्य राघोगढ़ किले मे किए गए थे ।

जहां पर आज भी उनके द्वारा किए गए कार्य की सुंदरता दिखाई देती है । इसके बाद राघोगढ़ किले एवं राघोगढ़  शहर पर राजा बलवंत सिंह ने अपना आधिपत्य स्थापित किया था । राजा बलवंत सिंह के द्वारा सन् 1770 से 1797 तक राघोगढ़ किले पर शासन किया गया था । राजा बलवंत सिंह राघोगढ़ किले पर शासन करने वाले छठवें राजा के रूप में जाने जाते हैं । छठवें राजा के रूप में राजा बलवंत सिंह ने राघोगढ़  शहर की सुंदरता में चार चांद लगाए थे । राजा बलवंत सिंह के बाद राघोगढ़ किले  की जिम्मेदारी हिंदुपत राजा जयसिंह को दी गई थी ।

हिंदुपत राजा जयसिंह ने राघोगढ़ किले पर 1797 से 1818 तक अपना शासन प्रारंभ किया था जो राघोगढ़ किले के सातवें राजा के रूप में पहचाने जाते हैं । राजा जयसिंह ने राघोगढ़ किले  की सुंदरता के काम को आगे बढ़ाया और किले के आस पास की सुंदरता के काम प्रारंभ किए थे । इसके बाद राघोगढ़ किले पर राजा अजीत सिंह का शासन आया और राजा अजीत सिंह ने अपने शासनकाल में राघोगढ़ किले की सुंदरता के लिए एवं राघोगढ़  शहर की सुंदरता के लिए कार्य किए थे । राजा अजीत सिंह राघोगढ़ किले के आठवें राजा के रूप में पहचाने जाते थे ।

राजा अजीत सिंह बहुत ही अच्छे राजा के रूप में पहचाने जाते थे । राजा अजीत सिंह के द्वारा राघोगढ़ किले के लोगों के लिए कई विकास कार्य किए गए थे । राजा अजीत सिंह को कवियों एवं पंडितों से बहुत लगाव था । जिसकी छवि आज हम राघोगढ़ किले के अंदर देख सकते हैं । पंडितों एवं कई प्राचीन कवियों के चित्र राघोगढ़ किले के अंदर राजा अजीत सिंह के द्वारा बनवाए गए थे । इसके बाद राघोगढ़ किले  पर एवं राघोगढ़  शहर पर राजा जय मंडल सिंह का शासन प्रारंभ हुआ था ।

राजा जय मंडल सिंह ने राघोगढ़ किले पर 1856 से शासन करना प्रारंभ किया था और 1900 तक राजा जय मंडल सिंह ने राघोगढ़ किले पर अपना शासन किया था । राजा अजीत सिंह के बाद जब राजा जय मंडल सिंह के ऊपर राघोगढ़ किले की जिम्मेदारी आई थी तब राजा जय मंडल जी ने राघोगढ़ किले के आसपास  जो पुरानी परंपरा थी जो सही नहीं थी उन परंपराओं को बंद करने का निर्णय राजा जय मंडल ने लिया था । उन परंपराओं मे  से एक परंपरा दशहरे के दिन बकरों को काटने की थी ।

जब राजा जय मंडल  को राघोगढ़ किले का 9 वांं राजा नियुक्त किया गया था तब उन्होंने बकरों के कटने की परंपरा पर रोक लगा दी थी और राघोगढ़  के निवासियों को दशहरे पर नाच गाना जैसे कार्यक्रम करने के लिए कहा था । जिसके बाद राघोगढ़ किले के आसपास आज तक किसी ने भी दशहरे पर बकरा नहीं कांटा है । आज भी राघोगढ़ किले में दशहरे के दिन नाच गाना करके वहां के लोग खुशियां मनाते हैं । राजा जय मंडल सिंह पढ़ाई लिखाई में बहुत लगाव रखते थे ।

राजा जय मंडल सिंह को रसायन विज्ञान , एथलेटिक्स , आध्यात्मिक गतिविधियों मे बहुत रूचि थी । राजा जय मंडल सिंह आध्यात्मिक गतिविधियों में अपना अधिक समय व्यतीत करते थे । राजा जय मंडल सिंह खेलकूद में भी अपनी रूचि रखते थे । राजा जय मंडल सिंह के द्वारा आयुर्वेद के लिए भी कई कार्य किए गए हैं । राजा जय मंडल सिंह खगोल विज्ञान में भी अपनी रुचि रखते थे ।राजा जय मंडल सिंह अपने राज्य की प्रजा से योग करने के लिए भी कहते थे  क्योंकि राजा जय मंडल सिंह भी किले के अंदर सुबह उठकर योग करते थे ।

किले के अंदर जब राजा जय मंडल सिंह योग करते थे तब उनके काफी मित्र उनके साथ में मिलकर  किले के अंदर योग करते थे । इसके बाद राघोगढ़ किले पर राजा विक्रमजीत सिंह द्वितीय का शासन काल आया था । राजा विक्रमजीत सिंह द्वितीय को राघोगढ़ किले केे दसवें राजा के रूप में नियुक्त किया गया था । राजा विक्रमजीत सिंह के द्वारा राघोगढ़ किले पर सन 1900 से 1902 तक शासन किया गया था । जिन्होंने राघोगढ़ किले के निर्माण में अपना योगदान दिया था ।

राघोगढ़ किले को और भी सुंदर बनाने के लिए दूर-दूर से नक्काशी  को बुलाया गया था । जिनके माध्यम से राघोगढ़ किले की सुंदरता के लिए कई कार्य किए गए थे । इसके बाद राघोगढ़ किले की जिम्मेदारी राजा बहादुर सिंह के ऊपर आ गई थी । राजा बहादुर सिंह को राघोगढ़ किले का 11 वा राजा के रूप में चुना गया था । जिन्होंने 1902 से 1945 तक राधौगढ़ की सुंदरता के लिए कार्य किए गए थे । जिसकी सुंदरता को आज की किले के अंदर देखी जाती है । राजा बहादुर सिंह ने 11 वे राजा के रूप में राघोगढ़ किले की जिम्मेदारी संभाली थी और कई कार्य राघोगढ़ किले की सुंदरता के लिए किए गए थे ।

इसके बाद राघोगढ़ किले  पर राजा बलभद्र सिंह द्वितीय का शासन काल प्रारंभ हुआ था । जिन्होंने राघोगढ़ किले पर 1945 से 1967 तक अपना शासन काल चलाया था ।राजा बलभद्र सिंह को राघोगढ़ किले का 12 वे राजा के रूप में चुना गया था । जिन्होंने अपनी काबिलियत और मेहनत से राघोगढ़ किले   की रक्षा , सुरक्षा एवं सुंदरता के लिए कई कार्य किए गए थे । इसके बाद राघोगढ़ किले की जिम्मेदारी महाराज दिग्विजय सिंह के ऊपर आई थी ।जिन्होंने राघोगढ़  शहर की जनता के साथ मिलकर राघोगढ़  शहर एवं राघोगढ़ किले के विकास के लिए कई कार्य किए थे ।

दिग्विजय सिंह की बात करें तो महाराज दिग्विजय सिंह ने राघोगढ़ किले से राजनीति में अपने कैरियर की धमाकेदार शुरुआत की थी । आज भी राघोगढ़  दिग्विजय सिंह का गढ़ माना जाता है । राघोगढ़  की जनता राघोगढ़  के राजा दिग्विजय सिंह को पसंद करती है । दिग्विजय सिंह के बाद राघोगढ़  किले की जिम्मेदारी दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन पर है । जो हाल ही में राघोगढ़  के विधायक हैं और मध्यप्रदेश शासन में मंत्री हैं । इस तरह से चौहान खिचड़ी वंश के द्वारा राघोगढ़ किले पर शासन किया गया है और राघोगढ़ किले  की सुंदरता को बढ़ाया गया है ।

दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह जब  भी राघोगढ़ आते हैं वह सुबह उठकर सबसे पहले राघोगढ़ किले के अंदर स्थित मंदिरों की पूजा करते हैं । इसके बाद जनता से मिलते हैं और किले पर ही राघोगढ़  की जनता से बातचीत करते हैं ।

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