अठै क उठै का इतिहास Athe k uthe history in hindi

Athe k uthe history in hindi

Athe k uthe – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से अठै क उठै के इतिहास  के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर अठै क उठै के इतिहास के  बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।

Athe k uthe history in hindi
Athe k uthe history in hindi

अठै क उठै के बारे मे – जयपुर के शासक राव मालदेव के साथ लंबे समय तक युद्ध करने के बाद उस जमाने के कई मेड़ता के शासक एवं योद्धा से राव जयमल को काफी जान मान के साथ धन का बहुत अधिक नुकसान हुआ था । इसके बाद मुगलों के बागी सेनापति सैफुद्दीन को जयमल द्वारा शरण दी गई थी जिस कारण से अकबर नाराज हो गया था । इसके बाद अकबर की सेना ने मेड़ता पर आक्रमण कर दिया था । जब इस बात का समाचार जयमल को मिला तब वह यह सोचने लगा कि वह पिछले युद्ध में काफी धन जान माल की हानि झेल चुका है । अब हम युद्ध लड़ने में सक्षम नहीं हैं और पिछले युद्धों में उसकी जनता के घर भी उजड़ गए थे ।

यह सोचकर उसने अपने साथियों के साथ मेड़ता खाली करने का विचार बना लिया था । इसके बाद जब शाही सेना मेड़ता पहुंची तब जयमल ने यह सोचा कि यदि सेनापति से बातचीत की जाए तो मामला सुलझ सकता है । इसके बाद जयमल ने शाही सेनापति हुसैनकुलीखां से बातचीत की उसे काफी समझाने का प्रयास किया परंतु वह समझने के लिए तैयार नहीं था । जिसके बाद जयमल के द्वारा मेड़ता सेनापति को सौंप दिया गया था । इसके बाद जयमल अपने पूरे परिवार और अपने साथियों सहित वहां से निकल गया था । वहां से निकलने के बाद वह तीर्थ स्थली चित्तौड़ की ओर चल दिया था ।

जब जयमल का काफिला मेवाड़ की पहाड़ी जंगलों से होते हुए निकल रहा था तब अचानक से ही जयमल रास्ते में  डाकू के द्वारा उनके काफिले को घेर लिया गया था । जिसके बाद राव जयमल के एक साथी सरदार ने जयमल से पूछा कि अठै क उठै ? जब राव जयमल  से यह सवाल पूछा गया तब जयमल के द्वारा इस सवाल का जवाब दिया गया कि उठै । इसके बाद जयमल के काफिले के सरदार के द्वारा धन की पोटरी डाकू के सरदार को दे दी गई थी । इसके बाद जयमल का काफिला आगे की ओर बढ़ गया था ।

इसके बाद डाकुओं का सरदार यह सोचने लगा कि इस काफिले के पास एक से एक योद्धा थे और सभी योद्धा के पास हथियार भी थे परंतु उन्होंने युद्ध किए बिना ही धन हमको दे दिया गया । यह बात उसको समझ में नहीं आ रही थी ।उसके बाद वह डाकू अपने साथियों के साथ उस काफिले का  पीछा करने के लिए निकल गया था । जब डाकू जयमल के पास पहुंचा तब वह डाकूू जयमल से सवाल पूछने लगा कि जब तुमने अपने सैनिक से यह पूछा की अठै क उठै  तब आपने इसका जवाब दिया की उठै । इसके बाद आप के सैनिक ने धन की पोटली हमेंं दे दी थी ।

परंतु आपके पास इतने अच्छे योद्धा थे जिनके पास हथियार भी थे तुम युद्ध करके हम को हरा सकते थे । यह सुनकर राव जयमल यह कहने लगा कि हम हमारी मातृभूमि चित्तौड़ को  स्वतंत्र करानेेे के लिए जा रहे हैं । मेरे सैनिक ने मुझसे यही पूछा था कि युद्ध  यहीं पर लड़ना है कि वहां पर तब मैंने उत्तर दिया कि थोड़े से धन के पीछेेे हम अपनी जान नहीं गबाएंगे । जिसके बाद मेरे सैनिक ने  धन की पोटली तुम्हारे सुपुर्द कर दी थी । यह सुनकर भील डाकू  राव जयमल  के चरणों में गिर गया था । इसके बाद वह जयमल की सेना में शामिल हो गया था और वह 1567 को अकबर की सेना से लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गया था ।

दोस्तों हमारे द्वारा लिखा गया यह बेहतरीन आर्टिकल अठै क उठै का इतिहास Athe k uthe history in hindi यदि आपको पसंद आए तो सबसेे पहले आप सब्सक्राइब अवश्य करें इसके बाद अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों में शेयर करना ना भूले । दोस्तोंं यदि आपको इस आर्टिकल में  पढ़ने के बाद कुछ गलती या कमी नजर आती है तो आप कृपया कर हमें उस गलती के बारे में हमारी  ईमेल आईडी पर अवश्य बताएं  जिससे कि हम उस गलती को सुधार कर यह आर्टिकल आपके समक्ष पुनः प्रस्तुत कर सकें धन्यवाद ।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *