धौलपुर का इतिहास Dholpur history in hindi
Dholpur history in hindi
Dholpur – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से धौलपुर शहर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस जबरदस्त आर्टिकल को पढ़कर धौलपुर का इतिहास जानते हैं ।
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धौलपुर के बारे में – धौलपुर भारत देश के राजस्थान राज्य का एक जिला है । जहां पर कई पर्यटक घूमने के लिए जाते हैं । भले ही राजस्थान का यह धौलपुर शहर छोटा है परंतु इस छोटे से शहर की सुंदरता दर्शनीय है । धौलपुर बलुआ पत्थर के लिए जाना जाता है क्योंकि धौलपुर से ही बलुआ पत्थर चारों तरफ जाता है । जिस बलुआ पत्थर से बड़ी-बड़ी इमारतें बनाई जाती हैं । यदि हम धौलपुर के इतिहास की बात करें तो धौलपुर का इतिहास काफी प्राचीन समय का है । धौलपुर शहर को प्राचीन शहर भी कहा जाता है ।
धौलपुर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि धौलपुर शिवि वंशी बमरोलिया जाटों की सबसे प्रसिद्ध रियासत है । धौलपुर जो शहर है वह प्राचीन समय में भरतपुर की एक रियासत थी और भरतपुर के अंडर में धोलपुर आता था । जब भारत देश में ब्रिटिश शासन था तब अंग्रेजों , जाटों और सिंधिया के मध्य में एक समझौता किया गया था । जिस समझौते के अनुसार धौलपुर का जो क्षेत्र है उस क्षेत्र को गोहद के जाट राजाओं को सौप दिया था । इसीलिए धौलपुर के निर्माण के लिए धौलपुर की स्थापना में नागवंशी धौल्या जाटों का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है । वहां के कुछ लोगों का धौलपुर की स्थापना पर कुछ अलग ही कहना है ।
उनका कहना है कि धौलपुर शहर की जो स्थापना की गई है वह स्थापना धवल देव नामक शासक के द्वारा की गई है । परंतु ऐसा कोई प्रमाण मौजूद नहीं है । जिससे कि यह माना जाए कि धवल देव नामक शासक के द्वारा धौलपुर की स्थापना की गई हो । वहां के कुछ लोगों का यह भी कहना है कि धौलपुर शहर का निर्माण जादौन शासक दवलराय के द्वारा किया गया है । परंतु इस बात का भी कोई प्रमाण नहीं है कि धौलपुर का निर्माण जादौन शासक ने करवाया है ।धौलपुर प्रारंभ समय में सावंती राज्य का हिस्सा था । धीरे-धीरे समय बीत जाने के बाद धौलपुर को 1949 में राजस्थान प्रदेश का हिस्सा बना दिया गया था ।
जिसके बाद धौलपुर के विकास के कार्य राजस्थान सरकार के द्वारा कराए गए थे । धौलपुर के निकट एक प्रसिद्ध गुफा भी है । जिस गुफा में घूमने के लिए काफी पर्यटक आते हैं और अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । उस प्रसिद्ध गुफा का नाम राजा मुचुकुंद हैैं । जिसके द्वारा इस प्रसिद्ध गुफा का निर्माण कराया गया था । अब हम आपको धौलपुर पर किस-किस राजा के द्वारा शासन किया गया है इसके बारे में बताने जा रहे हैं । सबसे पहले धौलपुर पर शासन करने वाला राजा राणा कीरत सिंह था । जिसने धौलपुर पर 1805 से 1835 तक शासन किया था ।
इसके बाद धौलपुर पर शासन करने वाले राजा का नाम राणा भगवंत सिंह था । जिसने धौलपुर पर 1835 से 1873 तक शासन किया था । इसके बाद धौलपुर पर राणा निहाल सिंह के द्वारा शासन किया गया था और राणा निहाल सिंह के द्वारा धौलपुर पर 1873 से 1901 तक शासन किया गया था । इसके बाद धौलपुर पर राणा राम सिंह के द्वारा 1901 से 1911 तक शासन किया गया था । इसके बाद धौलपुर पर राणा उदय भानु सिंह के द्वारा 1911 से 1949 तक शासन किया गया था ।
धौलपुर के शासनकाल के दौरान धौलपुर के शासकों के द्वारा धौलपुर की सुंदरता के लिए कई कार्य करवाए गए थे । धौलपुर शहर में कई पर्यटन स्थल भी हैं जहां पर घूमने के लिए पर्यटक आते हैं और घूम कर अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । धौलपुर शहर के पास में स्थित एक तसिमो गांव भी है जिसका इतिहास काफी प्रसिद्ध है । इस गांव के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस गांव के लोग बड़े साहसी और निडर हैं । जब हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था तब इस गांव के कई लोगों ने देश की आजादी में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था ।
तसिमो गांव के रहने वाले शहीद छत्तर सिंह परमार और शहीद पंचम सिंह कुशवाह ने देश की आजादी के लिए अपनी कुर्बानी दे दी थी । जब पूरे देश में अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन चल रहा था तब इस गांव में भी अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए आंदोलन किया जा रहा था । तसिमो गांव के शहीद छत्तर सिंह परमार और शहीद पंचम सिंह कुशवाह को अंग्रेजों के सैनिकों के द्वारा गोली मार दी गई थी । परंतु उन्होंने हंसते हंसते हुए हुए अपनी जान न्योछावर कर दी थी । अंग्रेजों के सैनिकों के द्वारा इन दो शहीदों की जान इसलिए ली गई थी क्योंकि अंग्रेजो के द्वारा भारत में तिरंगे को लहराने से मना कर दिया था ।
परंतु इन दो शहीदों ने तिरंगा लहराया था । जिसके बाद अंग्रेजों के सैनिक ने वहां पर आकर इसका विरोध करने लगे थे । दोनों शहीदों ने अंग्रेजों का विरोध किया जिसके कारण अंग्रेजों के सैनिकों ने दोनों को गोली मारकर हत्या कर दी थी । धौलपुर शहर में कई घूमने के लायक पर्यटन स्थल भी है । धौलपुर का सबसे सुंदर पर्यटन स्थल चोपड़ा महादेव मंदिर है । जहां पर कई लोग दर्शनों के लिए जाते हैं और आनंद प्राप्त करते हैं । इसके बाद धौलपुर का शेरगढ़ किला भी देखने के लायक है ।
जो किला धौलपुर से 5 किलोमीटर दूरी पर चंबल की नदी के समीप स्थित है । इस किले के निर्माण के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस किले का निर्माण 1532 मे धौलपुर के नरेश मालदेव के द्वारा करवाया गया था ।
- जोधपुर किला का इतिहास Jodhpur kila history in hindi
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