धौलपुर का इतिहास Dholpur history in hindi

Dholpur history in hindi

Dholpur – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से धौलपुर शहर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस जबरदस्त आर्टिकल को पढ़कर धौलपुर का इतिहास जानते हैं ।

Dholpur history in hindi
Dholpur history in hindi

Image source – https://en.m.wikipedia.org/wiki/Dholpur

धौलपुर के बारे में – धौलपुर भारत देश के राजस्थान राज्य का एक जिला है । जहां पर कई पर्यटक घूमने के लिए जाते हैं । भले ही राजस्थान का यह धौलपुर शहर छोटा है परंतु इस छोटे से शहर की सुंदरता दर्शनीय है । धौलपुर बलुआ पत्थर के लिए जाना जाता है क्योंकि धौलपुर से ही बलुआ पत्थर चारों तरफ जाता है । जिस बलुआ पत्थर से बड़ी-बड़ी इमारतें बनाई जाती हैं । यदि हम धौलपुर के इतिहास की बात करें तो धौलपुर का इतिहास काफी प्राचीन समय का है । धौलपुर शहर को प्राचीन शहर भी कहा जाता है ।

धौलपुर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि धौलपुर शिवि वंशी बमरोलिया जाटों की सबसे प्रसिद्ध रियासत है । धौलपुर जो शहर है वह प्राचीन समय में भरतपुर की एक रियासत थी और भरतपुर के अंडर में धोलपुर आता था । जब भारत देश में ब्रिटिश शासन था तब अंग्रेजों , जाटों और सिंधिया के मध्य में एक समझौता किया गया था । जिस समझौते के अनुसार  धौलपुर का जो क्षेत्र है उस क्षेत्र को गोहद के जाट राजाओं को सौप दिया था । इसीलिए धौलपुर के निर्माण के लिए धौलपुर की स्थापना में नागवंशी धौल्या जाटों का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है । वहां के कुछ लोगों का धौलपुर की स्थापना पर कुछ अलग ही कहना है ।

उनका कहना है कि धौलपुर शहर की जो स्थापना की गई है वह स्थापना धवल देव नामक शासक के द्वारा की गई है । परंतु ऐसा कोई प्रमाण मौजूद नहीं है । जिससे कि यह माना जाए कि धवल देव नामक शासक के द्वारा धौलपुर की स्थापना की गई हो । वहां के कुछ लोगों का यह भी कहना है कि धौलपुर शहर का निर्माण जादौन शासक दवलराय के द्वारा किया गया है । परंतु इस बात का भी कोई प्रमाण नहीं है कि धौलपुर का निर्माण जादौन शासक ने करवाया है ।धौलपुर प्रारंभ समय में सावंती राज्य का हिस्सा था । धीरे-धीरे समय बीत जाने के बाद धौलपुर को 1949 में राजस्थान प्रदेश का हिस्सा बना दिया गया था ।

जिसके बाद धौलपुर के विकास के कार्य राजस्थान सरकार के द्वारा कराए गए थे । धौलपुर के निकट एक प्रसिद्ध गुफा भी है । जिस गुफा में घूमने के लिए काफी पर्यटक आते हैं और अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं ।  उस प्रसिद्ध गुफा का नाम राजा मुचुकुंद हैैं । जिसके द्वारा इस प्रसिद्ध गुफा का निर्माण कराया गया था । अब हम आपको धौलपुर पर किस-किस राजा के द्वारा शासन किया गया है इसके बारे में बताने जा रहे हैं । सबसे पहले धौलपुर पर शासन करने वाला राजा राणा कीरत सिंह था । जिसने धौलपुर पर 1805 से 1835 तक शासन किया था ।

इसके बाद धौलपुर पर शासन करने वाले राजा का नाम राणा भगवंत सिंह था । जिसने धौलपुर पर 1835 से 1873 तक शासन किया था । इसके बाद धौलपुर पर राणा निहाल सिंह के द्वारा शासन किया गया था और राणा निहाल सिंह के द्वारा धौलपुर पर 1873 से 1901 तक शासन किया गया था । इसके बाद धौलपुर पर राणा राम सिंह के द्वारा 1901 से 1911 तक शासन किया गया था । इसके बाद धौलपुर पर राणा उदय भानु सिंह के द्वारा 1911 से 1949 तक शासन किया गया था ।

धौलपुर के शासनकाल के दौरान धौलपुर के शासकों के द्वारा धौलपुर की सुंदरता के लिए कई कार्य करवाए गए थे । धौलपुर शहर में कई पर्यटन स्थल भी हैं जहां पर घूमने के लिए पर्यटक आते हैं और घूम कर अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । धौलपुर शहर के पास में स्थित एक तसिमो गांव भी है जिसका इतिहास काफी प्रसिद्ध है । इस गांव के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस गांव के लोग बड़े साहसी  और निडर हैं । जब हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था तब इस गांव के कई लोगों ने देश की आजादी में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था ।

तसिमो गांव के रहने वाले शहीद छत्तर सिंह परमार और शहीद पंचम सिंह कुशवाह ने देश की आजादी के लिए अपनी कुर्बानी दे दी थी । जब पूरे देश में अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन चल रहा था तब इस गांव में भी अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए आंदोलन किया जा रहा था । तसिमो गांव के शहीद छत्तर सिंह परमार और शहीद पंचम सिंह कुशवाह को अंग्रेजों के सैनिकों के द्वारा गोली मार दी गई थी । परंतु उन्होंने हंसते हंसते हुए हुए अपनी जान न्योछावर कर दी थी । अंग्रेजों के सैनिकों के द्वारा इन दो शहीदों की जान इसलिए ली गई थी क्योंकि अंग्रेजो के द्वारा भारत में तिरंगे को लहराने से मना कर दिया था ।

परंतु इन दो शहीदों ने तिरंगा लहराया था । जिसके बाद अंग्रेजों के सैनिक ने वहां पर आकर इसका विरोध करने लगे थे ।  दोनों शहीदों ने अंग्रेजों का विरोध किया जिसके कारण अंग्रेजों के सैनिकों ने दोनों को गोली मारकर हत्या कर दी थी । धौलपुर शहर में कई घूमने के लायक पर्यटन स्थल भी है । धौलपुर का सबसे सुंदर पर्यटन स्थल चोपड़ा महादेव मंदिर है । जहां पर कई लोग दर्शनों के लिए जाते हैं और आनंद प्राप्त करते हैं । इसके बाद धौलपुर का शेरगढ़ किला भी देखने के लायक है ।

जो किला धौलपुर से 5 किलोमीटर दूरी पर चंबल की नदी के समीप स्थित है । इस किले के निर्माण के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस किले का निर्माण 1532 मे धौलपुर के नरेश मालदेव के द्वारा करवाया गया था ।

दोस्तों हमारे द्वारा लिखा गया यह जबरदस्त आर्टिकल धौलपुर का इतिहास Dholpur history in hindi यदि आपको पसंद आए जो सबसे पहले आप सब्सक्राइब करें इसके बाद अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों में शेयर करना ना भूले धन्यवाद ।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *