बाबर का इतिहास व निबंध Babar history, essay in hindi
Babar history, essay in hindi
आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बाबर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं . चलिए अब हम इस लेख को पढ़ते हैं और बाबर के इतिहास के बारे में जानते हैं . बाबर मुगल साम्राज्य का संस्थापक था . भारत देश पर कम से कम 300 वर्ष तक मुगलों का शासन रहा था . जब बाबर के पिता की मृत्यु हुई थी तब बाबर की उम्र मात्र 12 वर्ष की थी और बाबर ने 12 वर्ष की उम्र में ही अपने पिता के सभी कामों को संभाल लिया था .
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सबसे पहले बाबर ने अपनी कम उम्र में ही तुर्किस्तान से युद्ध किया और तुर्किस्तान को जीत लिया था . बाबर तुर्किस्तान का राजा बन गया था . बाबर अपने आप को चंगेज खान के परिवार का बताते थे . चंगेज खान उनकी माता के वंशज थे . तैमूर के राजा चुगतार्क उनके पिता के वंशज थे . बाबर के शरीर में दो महान शासकों का खून था . इस वजह से बाबर एक महान योद्धा बना था . बाबर के अंदर बहुत ताकत थी . बाबर अपनी बुद्धि और ताकत से युद्ध लड़ता गया और उन युद्धों को जीतकर अपना शासन फैलाता गया था .
बाबर का पूरा नाम जहीर उद्दीन मोहम्मद बाबर था . जिसका जन्म 23 फरवरी 1483 को फरगना घाटी के तुर्किस्तान में हुआ था . उसकी माता का नाम कुतलुग निगार खानम एवं पिता का नाम उमर शेख मिर्जा था . बाबर की पत्नियां आयशा सुल्तान , जैनम सुल्तान , मासूमा सुल्तान , महम सुल्तान , दिलदार , मुबारका , गुलरूक बेगम , बेगा बेगम आदि . बाबर ने 11 शादियां की थी और बाबर के 20 बच्चे थे . बाबर के बच्चों के नाम हुमायूं , कामरान मिर्जा , अस्करी मिर्जा , हिन्दल अहमद , शाहरुख , गुलजार बेगम , गुलरंग , गुलबदन , गुलबर्ग आदि .
बाबर ने 1502 को अफगानिस्तान के काबुल को जीत लिया था . इसके बाद बाबर ने समरकंद , फरगना को भी जीत लिया था . जब बाबर मध्य एशिया में अपना साम्राज्य नहीं जमा पाया था तब बाबर की नजर भारत पर पड़ी थी . उस समय दिल्ली का सुल्तान इब्राहिम लोदी था जो एक सक्षम एवं ताकतवर शासक नहीं था . जब दिल्ली पर इब्राहिम लोधी का शासन था तब उस समय पंजाब के गवर्नर लोधी के कामकाज से खुश नहीं थे .
उस समय इब्राहिम लोदी के एक अंकल थे जिसको दिल्ली साम्राज्य का अगला राजा माना जा रहा था . दौलत खान और आलम खान ने बाबर को पानीपत की लड़ाई लड़ने के लिए न्योता दिया था . उस समय मेवाड़ का राजा राणा संग्राम सिंह ने भी बाबर को इब्राहिम लोदी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए कहा था और बाबर इब्राहिम लोधी के साथ पानीपत की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हो गया था . 1526 को बाबर ने अपनी सेना की शक्ति एवं अपनी बुद्धि से पानीपत की लड़ाई जीत ली थी .
इस युद्ध में जब लोधी ने देखा कि वह बुरी तरह से हार रहा है तब उसने अपने आप को मार लिया था . इसके बाद बाबर ने खंडवा की लड़ाई लड़ी . पानीपत की जीत के बाद भारत में बाबर की स्थिति ठीक नहीं थी . राजा संग्राम सिंह ने यह सोचा था कि पानीपत की लड़ाई के बाद बाबर वापस अफगानिस्तान चला जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ और 17 मार्च 1527 को बाबर ने खंडवा में अपनी सेना बल से राजपूतों की सेना को पूरी तरह से हरा दिया था और राजा संग्राम सिंह युद्ध में हार गये थे और अपने आप की हत्या कर ली थी .
इस युद्ध में बाबर के पास विशेषकर हथियार थे जिसके कारण बाबर ने यह युद्ध जीत लिया था . बाबर ने बिहार , बंगाल एवं अफगानिस्तान को जीत लिया था . मई 1529 को बाबर ने अफगानी शासक को भी हरा दिया था . बाबर ने अपने शासनकाल में बंगाल , दिल्ली , बिहार , पंजाब आदि राज्यों को जीत लिया था . भारत में बाबर का साम्राज्य चारों तरफ फैल चुका था . बाबर का निधन 26 दिसंबर 1530 को भारत के आगरा में हुआ था .
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