बजरंगगढ़ गुना के किले का इतिहास Bajrangarh fort guna history in hindi

Bajrang garh ka kila guna in hindi

Bajrangarh fort guna – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बजरंगगढ़ गुना के किले के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और गुना के बजरंगगढ़ किले के बारे में जानते हैं ।

Bajrangarh fort guna history in hindi
Bajrangarh fort guna history in hindi

Image source – https://commons.m.wikimedia.org/wiki/File:Bajrangarh_Fort_-_Guna_(8002712938).jpg

गुना का सबसे सुंदर बजरंगगढ़ किला – गुना से तकरीबन 8 किलोमीटर दूर यह बजरंगगढ़ किला स्थित है । इस किले की सुंदरता देखने के लायक है । इस किले का इतिहास काफी प्राचीन समय का है । यह किला सबसे सुंदर और अद्भुत दिखाई देता है । इसकी जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है । यह किला 92.2 मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया है । जिससे इसकी सुंदरता और भी सुंदर लगती है । ऊंची पहाड़ी पर यह किला इसलिए बनवाया है जिससे कि कई वर्षों तक इस किले की सुंदरता बरकरार रहे ।

किले के मुख्य द्वार से लेकर तोपखाना , मोती महल , रंग महल बहुत सुंदर है । जब कोई बजरंगगढ़ किले के रंग महल को देखने के लिए जाता है तब वह उस रंग महल को देखकर मोहित हो जाता है । बजरंगगढ़ किले की तोप खाने के पास एक बहुत बड़ा कुआ भी है । उस कुएं में लंबी सीढ़ियां भी लगी हुई है । तोपखाने के पास स्थित कुएं के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह कुआं घोड़ों के लिए पानी एकत्रित करने के लिए बनाया गया था । जिससे बहा पर घोड़ों को पानी पिलाया जाता था ।

जब हम गुना से 8 किलोमीटर दूर स्थित इस किले को देखने के लिए जाते हैं तब हमें बड़ा गर्व महसूस होता है । क्योंकि यह हमारे मध्य प्रदेश का एवं गुना जिला का सबसे सुंदर और प्राचीन किला है । इस किले में हनुमान मंदिर भी स्थित है ।जहां पर गुना जिले के लोग एवं आरोन के लोग एवं आसपास के लोग दर्शन के लिए जाते हैं । इस किले के अंदर एक सुंदर पार्क भी बना हुआ है । उस पार्क में हरी दूबा , रंग-बिरंगे फूल और कई तरह के ऐसे हरे पौधे लगे हुए हैं जिसको देखने पर वहां की सुंदरता और भी अच्छी लगने लगती है ।

बजरंगगढ़ के किले में विकास कार्य चालू है । जब से इस किले को पुरातत्व विभाग में शामिल किया है तब से गुना के बजरंगगढ़ किले का विकास कार्य चालू है और बजरंगगढ़ किले के जिस हिस्से का नुकसान हो गया था , टूट-फूट हो गई थी उस छतिग्रस्त भाग की पुरातत्व विभाग एवं पर्यटन विकास निगम के द्वारा पुनः से मरम्मत कराई जा रही है । जिसके बाद इस किले की सुंदरता और भी अच्छी लगने लगी है । जो भी व्यक्ति एक बार बजरंगगढ़ किले को देखने के लिए जाता है वह उस बजरंगगढ़ किले को बार बार देखने के लिए अवश्य जाता है ।

बजरंगगढ़ किले का निर्माण कार्य – बजरंगगढ़ किले का निर्माण कार्य मराठा शासकों के राजा विक्रमादित्य ने शुरू करवाया था । विक्रमादित्य राधौगढ़ के शासक धीरज सिंह के पुत्र थे । विक्रमादित्य के पिता धीरज सिंह ने बजरंगगढ़ की विरासत राजा विक्रमादित्य को सौंप दी थी । जब विक्रमादित्य के पास बजरंगगढ़ की विरासत आई तब विक्रमादित्य ने बजरंगढ़ में किला बनवाया था । राजा विक्रमादित्य ने सन 1710 में बजरंगगढ़ के किले का काम प्रारंभ किया था और 1720 तक बजरंगगढ़ किला बनकर तैयार हो गया था ।

राजा विक्रमादित्य ने बजरंगगढ़ केे किले को बनाने के लिए जी जान से मेहनत की थी और कई महान कलाकारों को इस किले की डिजाइन बनाने के लिए बुलवाया था । जब इस बजरंगगढ़ के किले को बनाकर तैयार कर दिया गया था तब इस किले की सुंदरता देखने के लायक थी । राजा विक्रमादित्य बहुत ही साहसी राजा था । जिन्होंने अपने साहस से कई लड़ाइयां जीती थी । राजा विक्रमादित्य ने ऊंची पहाड़ी पर यह किला बनवाया था ।

बजरंगगढ़ किले के अंदर मुख्य द्वार का निर्माण – बजरंगगढ़ किले के अंदर मुख्य द्वार का निर्माण 1776 में करवाया गया था । बजरंगगढ़ किले के अंदर मुख्य द्वार का निर्माण बलवंत सिंह ने करवाया था । क्योंकि वह बजरंगगढ़ किले की सुंदरता से मोहित हो चुके थे । बलवंत सिंह ने बजरंगगढ़ किले में भव्य मुख्य द्वार बनाने का फैसला किया था । बलवंत सिंह के द्वारा बजरंगगढ किले के मुख्य द्वार का निर्माण कराया गया था । जब यह मुख्य द्वार बनकर तैयार हो गया था तब बजरंगगढ़ किले की सुंदरता उस मुख्य द्वार से और भी अच्छी लगने लगी थी ।

गुना जिले के बजरंगगढ़ किले का तोपखाना – गुना के बजरंगगढ़ किले का इतिहास काफी पुराना है । इस किले में तोप खाना भी बनवाया गया था । जिसमें तोपे रखी जाती थी । यह बजरंगगढ़ किला प्राचीन समय से ही सुंदरता के लिए जाना जाता है । बजरंगगढ़ किले की सुंदरता के चर्चे कई दूर-दूर तक हैं । काफी पर्यटक देश , विदेशों से बजरंगगढ़ किले को देखने के लिए आते हैं । बजरंगगढ़ किले के आसपास की सुंदरता की बात करें तो बहुत अच्छी सुंदरता है । गुना जिले से लेकर दूर-दूर के लोग बजरंगगढ़ किले के बारे में जानते हैं । क्योंकि यह  बजरंगगढ़ किला गुना का सबसे सुंदर किला है ।

बजरंगगढ़ किले के अंदर तोपखाने को देखने के लिए कई लोगों की रूचि रहती है और तोपखाने को देखने के लिए बजरंगगढ़ किले में आते हैं और तोपखाने को देखते हैं ।  कई लोग बजरंगगढ़ किले में आते हैं और अपने कैमरे में    फोटो उतार  कर ले जाते हैं क्योंकि बजरंगगढ़ किले के तोपखाने की सुंदरता बहुत ही सुंदर लगती है ।

गुना के बजरंगगढ़ किला में रंग महल , तोपखाना और मोती महल का निर्माण – गुना से तकरीबन 8 किलोमीटर दूरी पर स्थित बजरंगगढ़ किले में तोपखाना , रंग महल , मोती महल का निर्माण 1775 में कराया गया था । बजरंगगढ़ किले में तोपखाना , रंग महल , मोती महल का निर्माण मराठा शासकों के द्वारा करवाया गया था । जब बजरंगगढ़ किले के अंदर मोती महल बनवाया गया था तब बजरंगगढ़ किले की सुंदरता और भी सुंदर लगने लगी थी ।आज यह बजरंगगढ़ किला बहुत ही अद्भुत और सुंदर दिखाई देता है । काफी पर्यटक बजरंगगढ़ किले को देखने के लिए गुना शहर के आसपास से लोग आते हैं और इसकी सुंदरता को देखकर मोहित हो जाते हैं ।

गुना से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बजरंगगढ़ किले का पार्क – गुना से 8 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ी पर स्थित बजरंगगढ़ किले में एक पार्क भी है जिसकी सुंदरता देखने के लायक है । पार्क में चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है । बजरंगगढ़ किले के पार्क में पानी के कुंड भी बनाए गए हैं । जिस कुंड में कमल के फूल लगे हुए हैं । जब वह कमल खिलते हैं तब बजरंगगढ़ किले की सुंदरता और भी अच्छी लगने लगती है । दूर-दूर से बजरंगगढ़ किले के अंदर पार्क में घूमने के लिए लोग आते हैं और वहां पर घूम कर आनंद प्राप्त करते हैं ।

बजरंगगढ़ किले के पार्क में तरह-तरह के लोग आकर आनंद प्राप्त करते हैं । बजरंगगढ़ किले के पार्क में बंदर भी दिखाई देते हैं । पार्क का सौंदर्यीकरण के लिए निरंतर काम किया जाता है । बजरंगगढ़ किले के पार्क की सुरक्षा के लिए एक सिक्योरिटी गार्ड भी रखा गया है जिससे कि पार्क में किसी तरह का कोई नुकसान ना करें । जब बजरंगगढ़ किले के पार्क में कोई घूमने के लिए आता है तब वहां की हरी दूबा में घूमकर आनंद महसूस करता है ।

जब छुट्टियों का समय होता है तब गुना शहर के आसपास के लोग अपनी फैमिली के साथ वहां पर घूमने के लिए जाते हैं और उस पार्क में पिकनिक मना कर खुशी का अनुभव करते हैं ।

बजरंगगढ़ किले में हनुमान जी का मंदिर – बजरंगगढ़ किले के अंदर एक हनुमान जी का मंदिर भी है । जहां पर जाकर बहुत अच्छा लगता है । गुना शहर एवं आरोन के आसपास के लोग बजरंगगढ़ किले में घूमने के लिए आते हैं और बजरंगगढ़ किले में स्थित हनुमान जी के मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते हैं । हनुमान जी का मंदिर बहुत अच्छा और सुंदर है । वहां के आसपास का वातावरण बहुत अच्छा है । हाल ही में उस मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ है । उस मंदिर की सुंदरता धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है क्योंकि पुरातत्व विभाग के योगदान से उस मंदिर का पुनर्निर्माण किया जा रहा है ।

जो भी व्यक्ति बजरंगगढ़ किले में घूमने के लिए जाता है वह बजरंगगढ़ किले के अंदर स्थित हनुमान जी के मंदिर के दर्शनों के लिए अवश्य जाता है । बजरंगगढ़ किले के अंदर स्थित हनुमान जी के मंदिर में हनुमान जी महाराज की मूर्ति सबसे पुरानी मूर्ति है और गुना के आसपास के लोगों की आस्था उस मंदिर से जुड़ी हुई है ।

गुना से 8 किलोमीटर दूरी पर स्थित बजरंगगढ़ किले के अंदर राम , सीता और लक्ष्मण जी का मंदिर – गुना के बजरंगगढ़ किले के अंदर राम जानकी का मंदिर बना है ।जब हम किले के मुख्य द्वार से प्रवेश करते हैं और आगे की ओर बढ़ते हैं तब जीनो के माध्यम से हम राम जानकी मंदिर पर दर्शन करने के लिए जाते हैं । जब हम राम जानकी मंदिर के दर्शन के लिए जाते हैं तब जीनों पर रखी हुई तोप हमें दिखाई देती है । जो लोग बजरंगगढ़ किले के अंदर घूमने के लिए जाता है एवं राम जानकी मंदिर के दर्शनों के लिए जाता है वह जीनों पर रखी हुई तोप को देखकर आनंद प्राप्त करता है ।

कई लोग उस तोप की फोटो भी खिंचवाते हैं । यह तोप काफी पुरानी है । प्राचीन समय में बजरंगगढ़ किले को झारकोन के नाम से सभी लोग जानते थे ।

गुना से 8 किलोमीटर दूरी पर स्थित बजरंगगढ़ का किला हुआ था खंडहर – जब राजा विक्रमादित्य के द्वारा किले का निर्माण कराया गया था तब यह किला बहुत ही सुंदर दिखाई देता था । बजरंगगढ़ किले की सुंदरता आसपास के क्षेत्रों में भी प्रसिद्ध थी । समय बीतने के साथ-साथ इस बजरंगगढ़ किले को काफी क्षति पहुंची है । बजरंगगढ़ किले के अंदर स्थित रंग महल , तोपखाना नष्ट होते जा रहे थे । जब गुना के आसपास में रहने वाले लोगों ने यह देखा कि इतना अच्छा किला है लेकिन बजरंगगढ़ किले की देखरेख नहीं हो पा रही है तब बहा के आसपास में रहने वाले लोगों ने मिलकर एक टीम बनाई और 1982 में बजरंगगढ़ किले को सुंदर बनाने के लिए अथक प्रयास करना प्रारंभ कर दिया था ।

धीरे धीरे विकास कार्य वहां के आसपास में रहने वाले लोगों के द्वारा किया जा रहा था क्योंकि इतना सुंदर बजरंगगढ़ का किला नष्ट होने के कगार पर खड़ा था । यह हमारी पुरानी विरासत है इसको संभालना हम सभी का परम कर्तव्य है । यह बजरंगगढ़ किला हमारे भारत देश की शान है । यहां पर कई पर्यटक आते हैं और बजरंगगढ़ किले के अंदर घूम कर आनंद की अनुभूति करते हैं ।

बजरंगगढ़ किले को दोबारा से सुंदर बनाने के लिए पुरातत्व विभाग का योगदान – जब बजरंगगढ़ का किला तहस-नहस होने की कगार पर आ पहुंचा था तब कुछ लोगों के अथक प्रयासों से यह किला पुरातत्व विभाग में शामिल हो गया था । पुरातत्व विभाग के द्वारा इस किले का निर्माण कार्य दोबारा से प्रारंभ किया गया था । पुरातत्व विभाग के द्वारा 2011 में इस किले की मरम्मत के लिए राशि स्वीकृत कर दी गई थी । परंतु पुरातत्व विभाग द्वारा तुरंत राशि प्राप्त नहीं हुई थी । कुछ समय बाद जब पुरातत्व विभाग के द्वारा राशि प्राप्त हुई तब इस किले का निर्माण दोबारा से प्रारंभ हुआ था ।

किले के क्षतिग्रस्त स्थान को पुनः से बना करके तैयार किया जा रहा था ।पुरातत्व विभाग एवं पर्यटन विकास निगम के द्वारा इस किले के पुनर्निर्माण के लिए दो से तीन करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई थी । जिससे कि यह किला दोबारा से बनकर तैयार हो सके । किले के पुनः निर्माण के लिए पुरातत्व विभाग काफी धनराशि दे रही है । जिससे यह किला दोबारा से सुंदर बन सके । पुरातत्व विभाग ने बजरंगगढ़ किले की सुंदरता का भव्य निर्माण करने के लिए एक से दो करोड़ की राशि खर्च करने का प्लान भी तैयार किया है ।

जब यह राशि स्वीकृत हो जाएगी तब इस किले के अंदर काफी सुंदरता के काम किए जाएंगे । जिससे बजरंगगढ़ किले की सुंदरता और भी अच्छी लगने लगेगी । पुरातत्व विभाग के द्वारा किले के अंदर बुर्ज रानी महल एवं बाउंड्री वॉल के संरक्षण का काम बहुत ही बेहतरीन तरह से चल रहा है । जिससे जल्द से जल्द इस किले को सुंदर बनाया जाए और विदेशों से आने वाले पर्यटक बजरंगगढ़ किले की सुंदरता को देखने आए । जब विदेशों से पर्यटक बजरंगगढ़ किले को देखने के लिए आएंगे तब बजरंगगढ़ किले की सुंदरता का बखान विदेशों में भी किया जाएगा ।

गुना के बजरंगगढ़ किले से हुई तोप चोरी –  गुना के बजरंगगढ़ किले से एक तोप चोरी हुई है । जिसका पता अभी तक नहीं चल सका है । 2002 में बजरंगगढ़ किले की सबसे पुरानी तोप को सुरक्षित रखने के लिए बजरंगगढ़ किले के हनुमान मंदिर में यह तोप रख दी गई थी । परंतु कुछ समय बीत जाने के बाद 2006 में सितंबर महीने में जब नवरात्र के दिन चल रहे थे तब उस समय बजरंगगढ़ के किले के हनुमान मंदिर से यह सुंदर तोप चोरी हो गई थी । जिसका पता अभी तक नहीं चल सका है ।

जब हनुमान मंदिर से यह तोप चोरी हुई तब बजरंग गढ़ किले की कमेटी ने पुलिस थाने में जाकर चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी । परंतु पुलिस के द्वारा अभी तक उस चोरी का पता नहीं लगाया जा सका है । बजरंगगढ़ किले के तोप चोरी के मामले का खुलासा अभी तक नहीं हो पाया है ।

19वी शताब्दी में बजरंगगढ़ किले पर हुआ था हमला – 19वी शताब्दी में बजरंगगढ़ के किले पर अंग्रेजो के द्वारा हमला किया गया था और इस हमले के बारे में यह कहा जाता है कि यह हमला महाराजा सिंधिया के आदेश पर अंग्रेजो के द्वारा करवाया गया था । फ्रांसीसी जनरल ने अपने सैनिकों को साथ में लेकर इस किले पर हमला कर दिया था । जिससे बजरंगगढ़ किले को काफी नुकसान झेलना पड़ा था । किले के चारों तरफ की दीवारें क्षतिग्रस्त हो गई थी ।

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