भगवान जगन्नाथ की पूजा विधि, व्रत कथा jagannath ji ki puja vidhi, vrat katha in hindi

jagannath ji ki puja vidhi, vrat katha in hindi

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भगवान जगन्नाथ की पूजा विधि , व्रत कथा बताने जा रहे हैं । अब हम आगे बढ़ते हैं और भगवान जगन्नाथ की पूजा विधि , व्रत कथा को पढ़ते हैं ।

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पूजा विधि – भगवान जगन्नाथ की पूजा आषाढ़ महीने के प्रारंभ में की जाती है ।  आषाढ़ के महीने में भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा भी निकाली जाती है । पूरे मंदिर को फूलों से सजाया जाता है , रथ को सजाया जाता है । यह पूजा आषाढ़ महीने के प्रारंभ से यानी आषाढ़ शुक्ल पक्ष की वित्तीय से प्रारंभ होती है और यह पूजा शुक्ल एकादशी को बड़े ही धूमधाम से की जाती है । सभी जगन्नाथ पुरी भगवान की पूजा बड़ी धूम-धाम से करते हैं ।

मंदिर को फूलों के साथ साथ पूरे मंदिर को लाइट से भी सजाया जाता है । भगवान जगन्नाथ पुरी के रथ को भी साफ करके सजाया जाता है । उनकी पूजा-अर्चना की जाती है । जगन्नाथ पुरी मंदिर में जगन्नाथ भगवान की पूजा बड़े ही धूमधाम से की जाती है । सभी फल लेकर भगवान जगन्नाथ के मंदिर जाते हैं , घी का दीपक जलाकर , हल्दी , चंदन , रोली से तिलक लगाकर , फूलों की माला पहनाकर जगन्नाथ भगवान की पूजा बड़े ही धूमधाम से करते है ।

जो व्यक्ति जगन्नाथ भगवान का व्रत करता है वह सुबह जल्दी स्नान करके जगन्नाथ भगवान की आरती में शामिल होता है । जगन्नाथ भगवान को फूलों की माला चढ़ाता है और घी का दीपक जलाकर भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना करता है । हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लेता है और फलाहार करके भगवान जगन्नाथ का व्रत करता है । यह व्रत करने से पहले मन की शुद्धता करना आवश्यक  है और व्रत के समय व्रती किसी तरह का कोई भी गलत काम करने की सोच ना बनाएं ।

व्रती को भगवान की आराधना करके जगन्नाथ भगवान से प्रार्थना करना चाहिए  कि भगवान हमारे जीवन को सफल बनाएं , किसी तरह का कोई भी गलत काम हमारे द्वारा ना हो । इस तरह से भगवान जगन्नाथ की पूजा , अर्चना करके रथ में शामिल होना चाहिए ।

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कथा –  एक कर्मा बाई नाम की महिला थी वह महिला जगन्नाथ पुरी की भक्ति में खोई रहती थी । वह महिला सुबह उठकर बिना नहाए धोए जगन्नाथ भगवान के लिए खिचड़ी बनाती थी और अपने हाथों से जगन्नाथ भगवान को खिचड़ी खिलाती थी । यह प्रक्रिया वह प्रतिदिन दोहराती थी ।  सुबह उठकर सबसे पहले जगन्नाथ भगवान के लिए खिचड़ी बनाती और उनको खिलाती ।  इस तरह से उसका जीवन कट रहा था ।

एक समय की बात है कि एक बार एक साधु महाराज उसके घर पर पधारें और कर्मा बाई से कहने लगे  कि हम भूखे हैं हमें भोजन कराओ तुम्हारी सारी इच्छाएं पूरी होंगी । कर्मा बाई ने सोचा कि  साधु महाराज हमारे द्वार पर पधारे  हैं उनको भोजन अवश्य कराना चाहिए । कर्मा बाई ने साधु महाराज को अंदर बुलाया और  उनको भोजन कराने लगी थी । कर्मा बाई ने साधु महाराज को भोजन कराने के बाद साधु महाराज को रात में विश्राम करने के लिए  रोक लिया था ।

सुबह जब कर्मा बाई बिना नहाए धोए जगन्नाथ भगवान के लिए खिचड़ी बना रही थी तब खिचड़ी बनाने के बाद उस साधु ने कर्मा बाई से पूछा कि ये खिचड़ी किसके लिए बना रही हो तो कर्मा बाई ने कहा कि यह  खिचड़ी में जगन्नाथ भगवान के लिए बना रही हूं । साधु ने कहा कि तुम ऐसा मत करो बिना नहाए धोए भगवान के लिए भोजन बनाना अच्छी बात नहीं है । साधु ने कहा तुम अपने नियम बदलो , मैं तुम्हें बताता हूं वैसा ही करना सुबह उठकर स्नान करके पूजा पाठ करके भगवान जगन्नाथ जी का भोजन बनाना ।

दूसरे दिन कर्मा बाई ने साधु महाराज की बात को मानकर ऐसा ही किया लेकिन नियमों के हिसाब से चलते हुए कर्मा बाई को खिचड़ी बनाने में देरी हो गई थी । दोपहर के खाने के समय कर्मा बाई ने जगन्नाथ पुरी भगवान को खिचड़ी खिलाई थी और जब जगन्नाथ पुरी भगवान खिचड़ी खा ही रहे थे तब उनका दोपहर के भोजन का समय हो गया था ।  वह खिचड़ी खाने के बाद बिना पानी पिए मंदिर में चले गए थे । जब भक्तों ने देखा , पंडित जी ने देखा कि जगन्नाथ भगवान के मुंह पर खिचड़ी लग रही है तो  लोगों ने भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना की ।

जगन्नाथ भगवान ने पूरी कहानी बताई और साधु ने जब पूरी कहानी सुनी तो साधु को बड़ा दुख हुआ । वह साधु कर्मा बाई  के पास पहुंचा और कर्मा बाई से क्षमा मांगी । इस तरह से आज भी जगन्नाथ पुरी मंदिर में जगन्नाथ भगवान के लिए सुबह बाल अवस्था में खिचड़ी का भोग लगाया जाता है ।

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