महाभारत के शकुनि की कहानी mahabharat shakuni story in hindi
mahabharat shakuni story in hindi
दोस्तों नमस्कार, कैसे हैं आप सभी आज हम आपके लिए लाए हैं कौरवों के मामा शकुनी के जीवन के बारे में, बहुत सारे लोग शकुनी मामा के जीवन से वाकिफ नहीं है इसलिए हम महाभारत के शकुनी मामा के पूरे जीवन के बारे में आज आपको बताएंगे तो चलिए पढ़ते हैं आज के इस आर्टिकल को
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शकुनी राजा सुबाला के पुत्र थे, राजा सुबाला गंधार के राजा थे शकुनी के कई भाई थे एवं इनकी बहन भी थी जिनका नाम गांधारी था. राजा सुबाला अपनी पुत्री गांधारी का विवाह करना चाहते थे लेकिन कुछ पंडितों ने उनसे कहा कि जिससे उनकी शादी होगी उनके पति की मृत्यु हो जाएगी. यह सुनकर राजा सुबाला काफी चिंतित थे इसीलिए उन्होंने पंडितों की सलाह से एक बकरी से गांधारी की शादी करवा दी उसके बाद उस बकरे को मार दिया गया था.
अब गांधारी बकरे विधवा हो गई थी इसके कुछ समय बाद राजा सुबाला ने अपनी लड़की गांधारी का विवाह हसतनापुर के राजकुमार धृतराष्ट्र से कर दिया था लेकिन राजकुमार धृतराष्ट्र को यह नहीं बताया गया था की गांधारी का विवाह पहले ही एक बकरे के साथ कर दिया गया था और गांधारी बकरे की विधवा है. जब धृतराष्ट्र को यह पता लगा तो वह बहुत ही क्रोधित हुए उन्होंने गंधार के राजा सुबाला एवं उनके पुत्रों को जेल में डलवा दिया और तरह तरह से उन पर अत्याचार किया गया.
राजा सुबाला के अन्य पुत्रों के साथ शकुनी भी था उनको जेल में खाना भी सही तरह से नहीं दिया जाता था. भूख की वजह से राजा सुबाला के पुत्र मरने लगे तभी सुबाला ने यह निर्णय लिया कि सबसे छोटे बेटे शकुनी को वह अपने हिस्से का खाना देंगे और उसकी जान बचाएंगे जिससे वह धृतराष्ट्र से अपने भाइयों की मृत्यु का बदला ले सके. आखिर में मरते वक्त सुबाला ने धृतराष्ट्र से शकुनी को साथ में रखने के लिए कहा. मृत्यु के समय कही हुई राजा सुबाला की यह बात धृतराष्ट्र ने मान ली और शकुनी को अपने पांडवों के साथ ही अपने राज महल में रख दिया.
शकुनी ऊपर से हितेषी होने का नाटक करता था लेकिन अंदर से वो कौरवों एवं उनके राज्य को समाप्त करना चाहता था इसीलिए वो शुरू से ही कोरवो को गलत ज्ञान देता था वह हमेशा कोरवो को पांडवों के प्रति भडकता था वह किसी तरह कोरवो एवं पांडवों में युद्ध करवाना चाहता था. शकुनी ने अपने पिता की हड्डियों से ऐसे पासे बनाए थे की शकुनी अपने पांसो के द्वारा जो भी अंक लाना चाहे वही अंक आते थे. शकुनि ने इन्हीं पांसो के द्वारा कोरवो एवं पांडवों के बीच खेल खिलाया और इसमें पांडव लगातार हारते गए इन पांसो से हार की वजह से पांडव अपनी पत्नी द्रोपती को भी हार जाते हैं और उनके सामने द्रोपती का चीर हरण भी होता रहा है.
इन्ही बातों से आगे महाभारत का युद्ध हुआ इस युद्ध में एक एक करके सभी कोरव मारे गए. शकुनि ने बिना हथियार चलाएं अपने पिता के अपमान एवं अपने पिता एवं भाइयों की मृत्यु का बदला लिया वास्तव में महाभारत के युद्ध का सबसे बड़ा जिम्मेदार शकुनी ही था. शकुनी ने कौरवों एवं पांडवों में युद्ध करवाया. अंत में सहदेव ने शकुनी मामा को मार डाला था.
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