महर्षि वेदव्यास का जीवन परिचय ved vyas biography in hindi

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दोस्तों आज हम आपको महर्षि वेदव्यास के जीवन के बारे में बताने जा रहे हैं । वेदव्यास जी ने हमारे भारत के कई ग्रंथ लिखे हैं । जैसे कि महाभारत , भगवत गीता और अष्टादश पुराण आदि । यह कहा जाता है कि महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत को श्री गणेश जी से सुन लिखा था । महाभारत में हर उस घटना को लिखा था जो गणेश जी के द्वारा बताई गई थी । अब मैं आपको वेदव्यास जी के जीवन के बारे में बताने जा रहा हू ।

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जीवन परिचय – महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हस्तिनापुर में हुआ था । उनके माता का नाम सत्यवती एवं पिताजी का नाम पराशर था । उनका एक पुत्र था जिसका नाम सुखदेव था । वेदव्यास महर्षि जी ने हमारे भारतीय ग्रंथ जैसे कि महाभारत , श्री भगवत गीता , अष्टादश पुराण लिखे हैं , यह कहा जाता है कि महाभारत को लिखने के लिए गणेश जी ने उनको कहा था एवं महाभारत में जितनी भी घटनाएं लिखी गई हैं उन घटनाओं को महर्षि वेदव्यास जी ने गणेश जी से सुनकर लिखा था । अब हम आपको महर्षि वेदव्यास के जीवन की कहानी सुनाने जा रहा हूं यह कहा जाता है कि कोई राजा शिकार खेलने के लिए बन में गया हुआ था और वह एक बगुले का शिकार कर रहा था । यह शिकार करके वह अपनी पत्नी को बगुले का गिफ्ट देना चाहता था ।

उसी समय उसकी पत्नी का समाचार आया की मैं आपसे मिलना चाहती हूं तब उस राजा ने एक दोने में वीर्य निकाल कर पक्षी के द्वारा उस दोने को अपनी रानी के पास भिजवा दिया था लेकिन वह पक्षी जब उड़ रहा था तो उसके सामने एक दूसरा पक्षी आ गया और दोनों में लड़ाई होने लगी जिसके कारण वह दोना एक समुद्र में जा गिरा । जब वह दोना समुद्र में गिरा था तब वहां पर एक मछली मौजूद थी । उस मछली को ब्रह्मा जी का श्राप था । उस मछली ने दोने के वीर्य को निगल लिया था तब उसने एक पुत्र और एक पुत्री को जन्म दीया । उसके पुत्र को एक राजा अपने साथ ले गया । उसकी पुत्री का नाम सत्यवती था वह नाव चलाने का काम करने लगी । मछली के पेट में पैदा होने के कारण उसके अंग से मछली की बदबू आती थी । एक बार जब एक महर्षि उसकी नाव में बैठकर जा रहे थे तब उसने सत्यवती को यह कहा कि मैं तुम्हारे साथ संभोग करना चाहता हूँ ।

लेकिन सत्यवती उसे कहने लगी कि आप महर्षि हो और मैं एक नाव चलाने वाली हूं और मेरे शरीर में से बदबू आती है । महर्षि ने सत्यवती को किसी तरह से तैयार कर लिया और उसने धुंआ का जाल बिछाकर सत्यवती के साथ संभोग किया और उस महर्षि ने यह कहा था की संभोग करने के बाद भी तुम कुंवारी ही रहोगी । तुम्हारे पेट से जो पुत्र उत्पन्न होगा वह बहुत ही बुद्धि मान होगा एवं तुम्हारे शरीर से जो मछली की बदबू आती है वह भी खुशबू में बदल जाएगी । ऐसा कहकर वहां से महर्षि निकल पड़े । सत्यवती के पेट से एक बच्चे ने जन्म लिया तब वह बच्चा बड़ा अद्भुत दिखाई दे रहा था । वह बच्चा कुछ समय बाद अपनी मां से यह कहने लगा की मां मैं पर्वतों पर जा रहा हूं और वहां पर तपस्या करूंगा जब आपको मेरी आवश्यकता पड़ेगी तो आप मुझे याद करना मैं तुरंत आपकी सेवा में हाजिर हो जाऊंगा । इस तरह की महर्षि वेदव्यास की घटना रही है । उन्होंने संस्कृत का ज्ञान प्राप्त करके और तपस्या करके ज्ञान प्राप्त करके बहुत कुछ प्राप्त किया था । उनकी तपस्या से भगवान प्रसन्न हो गए और भगवान ने वेदव्यास जी के द्वारा कई ग्रंथ लिखवाए हैं ।

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