कोलंबस का इतिहास Kolambas history in hindi
Kolambas history in hindi
Kolambas – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से कोलंबस के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस बेहतरीन आर्टिकल को पढ़कर कोलंबस के इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।
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कोलंबस के इतिहास के बारे में – कोलंबस यूरोपीय द्वीपों को खोजने वाला प्रथम व्यक्ति था जिसने समुद्री इलाकों की यात्रा करके यूरोपीय इलाकों की खोज की थी । कोलंबस जिसका पूरा नाम क्रिस्टोफर कोलंबस था ।क्रिस्टोफर कोलंबस का जन्म 1451 ईसवी में जिनोआ मे हुआ था । कोलंबस अपने पिता के साथ काम किया करता था । जैसे-जैसे कोलंबस की उम्र बढ़ती गई वह समुद्री इलाकों पर जाने लगा था । उसकी रुचि समुद्री यात्रा करने को लेकर बढ़ने लगी थी । समुद्री यात्रा करना उसका पसंदीदा शौक हो गया था । कहने का तात्पर्य यह है कि कोलंबस को नौकायन का अच्छा ज्ञान प्राप्त हो चुका था ।
कोलंबस नौकायन के माध्यम से अपना भरण-पोषण करता था । जिस समय कोलंबस का जन्म हुआ था उस समय यूरोप से भारत आने का जो रास्ता था उस रास्ते को बंद कर दिया गया था । रास्ते को बंद करने से पहले यूरोप के व्यापारियों के द्वारा जमीनी रास्ते के माध्यम से भारत में व्यापार किया जाता था । जब भारत पर पुर्तगालियों का शासन प्रारंभ हुआ तब यूरोप से आने-जाने के रास्ते को बंद कर दिया गया था जिसके कारण व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ था । पुर्तगालियों के द्वारा यूरोप और भारत के रास्ते को इसलिए बंद किया गया था क्योंकि पुर्तगाली मुसलमान थे और यूरोपीय ईसाई थे दोनों के मेलजोल में अंतर था ।
इसी कारण से पुर्तगालियों के द्वारा यूरोप और भारत आने के रास्ते को बंद किया गया था । जब कोलंबस बढ़े हुए तब उन्होंने यह देखा कि व्यापार मे बहुत ही मंदी आ रही है जिसके कारण कई व्यापारियों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है ।कोलंबस ने अपने मन में यह विचार बनाया कि भारत जाने का जो जमीनी रास्ता है उस रास्ते को छोड़कर क्यों ना समुद्र क्षेत्र से भारत जाने का रास्ता खोजा जाए । जिस समय कोलंबस ने अपने दिमाग में यह विचार बनाया की समुद्र के इलाके से भारत पहुंचा जा सकता है ।
उस समय यूरोप के रहने वाले लोगों का यह मानना था कि पृथ्वी टेबल के सामान चोकोर है पर कोलंबस का यह मानना था कि पृथ्वी गोलाकार है । जब कोलंबस ने समुद्र क्षेत्र से भारत पहुंचने के रास्ते को खोजने का विचार बनाया तब वह यूरोपीय राजा के पास गया था । परंतु यूरोपीय राजा ने कोलंबस की बात को स्वीकार नहीं किया था और किसी भी तरह की मदद नहीं की थी । परंतु कोलंबस अपने मन में यह विचार बना चुका था कि वह समुद्री क्षेत्र से भारत जाने का रास्ता अवश्य खोजेगा । वह स्पेन के शासक के पास भी मदद मांगने के लिए पहुंचा और स्पेन के राजा को पूरी बात बताई थी ।
स्पेन के राजा ने जब समुद्री इलाके से भारत जाने के रास्ते के बारे में सुना तो वह आश्चर्य में पड़ गया था और स्पेन के राजा कोलंबस की सहायता करने के लिए तैयार हो गया था । कोलंबस को समुद्री इलाके से भारत पहुंचने के रास्ते की खोज के लिए जितने धन की आवश्यकता थी वह धन स्पेन के राजा के द्वारा कोलंबस को दिया गया था । परंतु स्पेन के राजा के द्वारा सहायता मिल जाने के बाद भारत खोजने का काम कोई आसान काम नहीं था क्योंकि कोलंबस अकेला समुद्री इलाकों की यात्रा नहीं कर सकता था । उसको कुछ साथियों की भी आवश्यकता थी ।
कोलंबस में जिन लोगों से समुद्री यात्रा करने के लिए कहा उन लोगों ने मना कर दिया था क्योंकि समुद्री यात्रा करना अपनी मौत को बुलावा देना था । परंतु कुछ लोगों को स्पेन के राजा के द्वारा कोलंबस के साथ भेजा गया था । कोलंबस ने 90 नाविकों के साथ मिलकर तीन अगस्त 1492 को भारत खोज यात्रा प्रारंभ कर दी थी । इस यात्रा को प्रारंभ करने से पहले कोलंबस ने सांता , मारिया , पिंटा , नीना जहांज को तैयार किया और उन सभी जहाजों में 90 नावीको को सवार किया गया था ।
कई समय तक कोलंबस भारत खोजने के लिए समुद्री इलाके की यात्रा करता रहा था परंतु उसे कुछ भी सुराग प्राप्त नहीं हो रहा था । जब अधिक समय बीत गया तब जहाज में सवार नाविक घबराने लगे थेे और वह कोलंबस से वापस लौटने के लिए कहने लगे थे । परंतु कोलंबस ने उन लोगों को समझा-बुझाकर आगे की यात्रा प्रारंभ रखी थी । यात्रा करते हुए जब कोलंबस को आसमान में कुछ पंछी उड़ते हुए दिखाई दिए तब उसमें पंछी जिस दिशा में जा रहे थे उसी दिशा में जहां को ले जाने का हुकुम दिया था । वह पक्षियों के सहारे दिशा पकड़कर जाने लगा था ।
उसे आने वाले रास्ते में पेड़ पौधे , रंग-बिरंगे फूल दिखाई देने लगे थे । पंछीयो की दिशा में यात्रा करते करते वह 12 अक्टूबर 1492 को जमीन पर पहुंचा था । जमीन देख कर उसे खुशी का एहसास हुआ था । वह उस जमीन को भारत का हिस्सा समझ रहा था । परंतु वह हिस्सा भारत का नहीं था । वह जगह कैरेबियाई द्वीप थी । इस तरह से उसने कई और द्वीपो की खोज की थी । कोलंबस में उन सभी द्वीपो का नाम भारत का हिस्सा समझकर इंडीज रख दिया था । इस तरह से कोलंबस में भारत जाने के रास्ते को खोजते हुए कई द्वीपो को खोजा था ।
इस तरह से कोलंबस 4 समुद्री यात्राएं कर चुका है । कोलंबस के द्वारा समुद्र की दूसरी यात्रा 13 दिसंबर 1493 को प्रारंभ की गई थी । इसके बाद तीसरी यात्रा कोलंबस के द्वारा 30 मई 1498 को प्रारंभ की गई थी । इसके बाद कोलंबस के द्वारा चौथी समुद्री यात्रा 11 मई 1502 को प्रारंभ की गई थी । इस तरह से समुद्री यात्राएं करने के बाद जब वह बीमार पड़ गया तब 20 मई 1506 को बीमारी के कारण उसका निधन हो गया था ।
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