कामिका एकादशी पूजन विधि, व्रत कथा kamika ekadashi puja vidhi, vrat katha in hindi

kamika ekadashi puja vidhi, vrat katha in hindi

दोस्तों आज हम आपको इस लेख के माध्यम से कामिका एकादशी पूजन विधि व्रत कथा के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और कामिका एकादशी पूजन विधि व्रत कथा के बारे में पढ़ते हैं ।

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कामिका एकादशी पूजन विधि – कामिका एकादशी की पूजा श्रवण मास के कृष्ण पक्ष में एकादशी के दिन किया जाता है । यह व्रत सबसे श्रेष्ठ व्रत माना जाता है । इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है । जो भी पुरुष एवं महिला इस व्रत को करता है वह सुबह प्रातः काल उठ के प्रथम स्नान करके भगवान विष्णु का जप करता है । एकादशी के दिन भगवान विष्णु के चरणों में घी का दीपक  जलाया जाता है , पीले फूल विष्णु भगवान के चरणों में अर्पित किए जाते हैं ।

श्रवण  मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका व्रत के दिन कथा भी कही जाती है एवं कथा  दूसरों को भी सुनाई जाती है । ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और उसकी सभी मुरादें पूरी करते हैं , उसके परिवार को सुख समृद्धि प्रदान करते हैं , उसके जीवन को खुशियों से भर देते हैं । यह व्रत सबसे श्रेष्ठ माना जाता है । जिस तरह से पक्षियों में गरुड़ भगवान सबसे श्रेष्ठ हैं और नागों में शेषनाग सबसे श्रेष्ठ हैं उसी तरह से मनुष्य में ब्राह्मण सबसे श्रेष्ठ माने जाते हैं उसी प्रकार से जितने भी व्रत हैं उन व्रतों में एकादशी व्रत सबसे श्रेष्ठ होता है ।

एकादशी का व्रत करने से सुख समृद्धि प्राप्त होती है , घर में सुख-शांति बनी रहती है । जो भी विपदा हमारे घर के ऊपर पड़ती है वह विपदा दूर हो जाती है । इस व्रत को करते समय स्वच्छ वातावरण अपनाना पड़ता है , मन को शांत रखना पड़ता है । इस व्रत को करते समय किसी भी तरह का कोई भी क्लेश घर के अंदर नहीं होना चाहिए । इस व्रत को पूरी शिद्दत के साथ करना चाहिए । इस व्रत को करते समय किसी से कोई गलत बात नहीं करना चाहिए ।

हमें हमारी जबान पर लगाम रखना चाहिए । हमें सिर्फ प्रभु भजन में लीन रहना चाहिए । तब जाकर के हमारा यह व्रत पूर्ण होता है और हमें विष्णु भगवान से फल प्राप्त होता है । एकादशी का व्रत करने से हमारे सभी काम पूरे होते हैं । एकादशी व्रत को कामिका व्रत कहते हैं । कामिका व्रत  करने से हमारे जीवन में खुशियां आती है और हमारा पूरा जीवन शांति पूर्वक निकलता है ।

कामिका  व्रत की सावधानियां  – श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को जो भी भक्त कामिका व्रत करता है उसको कई तरह की सावधानियां रखना पड़ती हैं । तब जाकर के उसका कामिका व्रत पूरा होता है और भगवान विष्णु से उसको मनचाहा वरदान प्राप्त हो जाता है ।कामिका व्रत को करते समय निम्न सावधानियां हमें रखनी चाहिए । सुबह सबसे पहले उठकर ब्रह्मा महूरत में स्नान करके विष्णु भगवान का जप करना चाहिए , पूजा पाठ करना चाहिए ।

पूजा करने से पहले हमें घर की साफ सफाई अच्छे से कर लेना चाहिए । जिस स्थान पर हम पूजा कर रहे हैं उस स्थान को साफ कर लेना चाहिए । किसी तरह की कोई भी गंदगी घर में नहीं होना चाहिए । हमें यह प्रण लेना चाहिए कि हम झूठ नहीं बोलेंगे , किसी से गलत नहीं बोलेंगे । जो भी बोलेंगे समाज के कल्याण के हित में बोलेंगे । यदि कोई हमसे गलत बोलता है तो उसको हमें गलत नहीं बोलना हैं । हमें 3 दिनों तक हरी राम नाम का जप करना चाहिए । विष्णु भगवान के चरणों में कीर्तन करना चाहिए ।

हमें व्रत करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी तरह का कोई भी अन्याय हम दूसरों पर ना करें । उस दिन हमें सात्विक भोजन करना चाहिए । दसवीं से हमारा व्रत प्रारंभ होता है । उस दिन हमें सिर्फ एक समय ही भोजन करना चाहिए । कामिका व्रत  के दिन हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम चावल ना खायें , मांस मदिरा का सेवन न करें , प्याज लहसुन का सेवन ना करें , मसूर की दाल का उपयोग ना करें ।

यदि हम इन सभी चीजों का उपयोग करेंगे तो हमारा व्रत टूट जाएगा और हमें कष्ट भोगने पड़ेगे । हमें इन सभी चीजों को 3 दिनों के लिए त्यागना पड़ता  है । कामिका व्रत में चावल का सेवन निषेध है । इसलिए हम विशेष तौर पर इस बात का ध्यान रखते हैं कि हम कामिका व्रत के दिन चावल का भोजन ना करें । ऐसा करने से विष्णु भगवान नाराज हो सकते हैं और हमें कई तरह के कष्ट दे सकते हैं ।

कामिका व्रत का फल – श्रवण मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका व्रत करने से हमें कई तरह के फल प्राप्त होते हैं । कामिका व्रत करने से हमारे घर में शांति प्राप्त होती है , हमारे बच्चों को उपलब्धि प्राप्त होती है , हमारे जीवन में खुशियां आती हैं । इस दिन हरी का नाम जपने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और  सुख समृद्धि देते हैं । यह अन्य व्रतों की अपेक्षा सबसे श्रेष्ठ व्रत है ।भगवान ब्रह्मा जी ने भी इस व्रत को श्रेष्ठ बताया है । इस व्रत को करने से हमें कई तरह के फायदे होते हैं ।

यह व्रत करने से हमारे अंदर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है एवं सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है । हमारी जो काम असफल हो रहे थे वह सभी काम सफल होने लगेंगे और हमारा विकास हो जाएगा । इसलिए सभी लोगों की आस्था इस व्रत से जुड़ी हुई है । भारत के हिंदू धर्म के लोग इस व्रत को पूरी शिद्दत के साथ करते हैं और उनको भगवान विष्णु जी के द्वारा फल की प्राप्ति होती है । जिस तरह से कोई व्यक्ति शराब पीता है उसको कभी भी सुख प्राप्त नहीं होता है वह निरंतर विनाश की ओर बढ़ता है ठीक उसी तरह से कामिका का व्रत करने से , भगवान हरि का नाम जपने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन सुधर जाता है ।

कामिका  व्रत  करने से खुशियां ही खुशियां प्राप्त होती है । कामिका व्रत करने से मनुष्य गलत रास्तों पर नहीं चल पाता है । कामिका व्रत करने से  सही रास्ता  दिखाई देता है ।  कामिका व्रत करने से अंदर ऊर्जा बनती है और उस ऊर्जा से हमें शक्ति प्राप्त होती है । कामिका व्रत के दिन  , द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन अवश्य कराना चाहिए । ब्राह्मणों को भोजन कराने से हमारा व्रत पूर्ण होता है और विष्णु भगवान प्रसन्न  होते हैं  और  हमें मनचाहा वरदान देते हैं ।

कामिका व्रत के दसवीं का दिन – जो भी व्यक्ति श्रवण मास के कृष्ण पक्ष की दशमी को  कामिका व्रत रखता है वह दशमी के दिन  सबसे पहले विष्णु भगवान के चरणों में पीले फूल चढ़ाए और कथा सुने ।  कथा सुनने के बाद  वह  हरि नाम का जप करें । ऐसा करने से  विष्णु भगवान  प्रसन्न होते हैं  और हमें मनचाहा वरदान देते है । इस दिन हमें एक ही समय सात्विक भोजन करना चाहिए । ऐसा करने से हमारा व्रत पूर्ण होने की दिशा की ओर बढ़ता है ।

कामिका व्रत के एकादशी के दिन – कामिका व्रत के एकादशी के दिन फिर से सुबह उठकर साफ सफाई करके स्नान करके विष्णु भगवान का पूजन करना चाहिए । सुबह उठकर विष्णु भगवान के दरबार में घी का दीपक लगाना चाहिए । सुबह पीले फूल भगवान विष्णु के चरणों में चढ़ाना चाहिए । उस दिन भी व्रत किया जाता है और विष्णु भगवान के चरणों में शीश झुकाया जाता है । द्वादशी के दिन भी कामिका व्रत की कथा कहीं एवं सुनी जाती है । ऐसा करने से हमें सुख समृद्धि एवं फल की प्राप्ति होती है ।

कामिका व्रत के द्वादशी के दिन – कामिका व्रत के द्वादशी के दिन हमें विष्णु भगवान की पूजा करना चाहिए । सबसे पहले घर की साफ सफाई करके स्नान करके विष्णु भगवान को स्नान कराया जाता है । विष्णु भगवान को दूध एवं जल से स्नान कराया जाता है , उनको सुंदर वस्त्र व आभूषण पहनाए जाते हैं । विष्णु भगवान को चंदन से तिलक लगाया जाता है , पीले फूल चढ़ाएं जाते हैं । विष्णु भगवान के चरणों में पुष्प अर्पण किए जाते हैं । इसके बाद घी का दीपक जलाकर , हाथ जोड़कर प्रार्थना की जाती है ।

विष्णु भगवान की आरती करने के बाद कथा सुनी जाती है । इस दिन कथा सुनने से हमें वाजपेई यज्ञ का फल प्राप्त होता है । वाजपेई यज्ञ करने से जिस फल की प्राप्ति होती है वह फल कामिका एकादशी व्रत को करने से प्राप्त हो जाता है । इसलिए हिंदू धर्म के सभी भक्तगण श्रवण मास की कृष्ण पक्ष की दशमी को कामिका एकादशी का व्रत रखते हैं । जिससे कि उन्हें सुख समृद्धि एवं संपत्ति की प्राप्ति हो ।

कामिका एकादशी व्रत कथा – एक बार युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से यह पूछा की श्रवण मास की कृष्ण पक्ष की दशमी को कामिका का व्रत क्यों किया जाता है एवं युधिष्ठिर ने कृष्ण से पूछा कि श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में कौन सी एकादशी सर्वश्रेष्ठ होती है । श्री कृष्ण भगवान ने युधिष्ठिर  से कहा कि मैं तुम्हें एक कथा के माध्यम से बताने जा रहा हूं कि श्रवण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी कौन सी होती है । कृष्ण भगवान कथा सुनाने लगे । एक गांव में एक ठाकुर एवं ब्राह्मण रहता था ।

दोनों की कभी भी आपस में नहीं बनती थी । दोनों एक दूसरे के बहुत कट्टर दुश्मन थे । कभी भी एक दूसरे की बात ना सुनना एवं एक दूसरे को अन शब्द बोलना दोनों का स्वभाव था । एक बार ठाकुर को बहुत गुस्सा आ गया और उसने ब्राह्मण की हत्या कर दी थी । जब यह बात नगर में फैलने लगी तब सभी ब्राह्मणों ने यह निश्चय किया कि यह ठाकुर पापी है । इसके यहां भोजन करने से हम भी पाप के भागीदारी हो जाएंगे । इसलिए आज हम सभी ब्राह्मण कुल के लोग यह निर्णय लेते हैं कि हम में से कोई भी ठाकुर के यहां पर भोजन करने के लिए नहीं जाएगा ।

ठाकुर ने कई कार्यक्रम अपने घर पर किए  परंतु कोई भी ब्राह्मण उसके यहां पर भोजन करने के लिए नहीं जाता था । इस तरह से ठाकुर ब्राह्मण का हत्यारा कहलाया जानी लगा । जब कई सालों तक कोई भी ब्राह्मण ठाकुर के यहां पर भोजन करने नहीं गया तब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ । उस ठाकुर ने एक जाने-माने साधु को अपने घर पर बुलवाया और उस साधु को अपनी सारी कहानी बता दी । साधु ठाकुर से कहने लगा कि तुम्हारे ऊपर ब्राह्मण की हत्या का अपराध है । मैं तुम्हें बताता हूं वैसा ही करना तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो जाएंगे ।

साधु ने ठाकुर से कहा कि तुम श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की दशमी को कामिका व्रत करना , विष्णु भगवान का पूजन करना तुम्हारे सभी कष्ट दूर हो जाएंगे और तुम ब्राह्मण की हत्या से मुक्त हो जाओगे । साधु के कहे अनुसार ठाकुर ने वैसा ही किया और वह कामिका व्रत एवं कथा सुनने लगा था । इस व्रत के प्रभाव से उसके सभी कष्ट दूर हुए । जब वह श्रवण मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन विष्णु भगवान की मूर्ति के चरणों में सिर झुका कर के सो रहा था तब विष्णु भगवान ने उसको एक स्वप्न दिया और कहा कि तू ब्राह्मण की हत्या से मुक्त हो गया है ।

तेरे जो भी कष्ट है सभी कष्ट दूर हो जाएंगे । अब तू किसी प्रकार की चिंता मत कर । इस तरह से ठाकुर के कष्ट दूर हुए । जिस तरह से ठाकुर के कष्ट दूर हुए उसी तरह से जो भी व्यक्ति श्रवण मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत करता है , पूजा करता है एवं कथा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं विष्णु भगवान पूरी करते हैं , उसको मनचाहा वरदान देते हैं और कामिका एकादशी का फल प्राप्त होता है । कामिका  व्रत  करने से वाजपेई यज्ञ का फल प्राप्त होता है । इसलिए सभी कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन कामिका व्रत करते हैं । ऐसा करने से सुख समृद्धि प्राप्त होती है ।

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