तिल चौथ व्रत कथा Til chauth vrat katha in hindi

Til chauth vrat katha in hindi

दोस्तों आज हम आपको इस लेख के माध्यम से तिल चौथ व्रत कथा बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़कर तिल चौथ व्रत कथा को जानते हैं । तिल चौथ व्रत कथा माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है । तिल चौथ व्रत कथा के दिन सभी महिलाएं व्रत रखती हैं , गणेश जी महाराज की पूजा-अर्चना करती हैं , कथा सुनती हैं एवं सुनाती है ।

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इस दिन तिल कुटिया बनाकर श्री गणेश जी की पूजा की जाती है । जो भी स्त्री इस पूजा को पूरे मन से करती है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं । जो भी महिला तिल चौथ व्रत कथा करती है वह व्रत रखकर गणेश भगवान से प्रार्थना करती है और घर की सुख शांति समृद्धि के लिए बंदना करती है ।

तिल चौथ व्रत कथा – एक परिवार में देवरानी और जेठानी रहती हैं । देवरानी बहुत ही गरीब है । उसका पति जंगल से लकड़ी काटकर लाता था । उसके बच्चे भी बहुत कमजोर थे । वह देवरानी बड़ी मुसीबतों से अपने परिवार को पालती थी क्योंकि उसका पति भी बहुत बीमार रहता था । जेठानी बहुत ही अमीर थी । उसके पास अपार धन-संपत्ति थी । जेठानी ने देवरानी को अपने घर पर काम करने के लिए रख लिया था । सुबह से लेकर शाम तक देवरानी जेठानी के घर पर काम करती थी और जो खाना बच जाता था वह खाना जेठानी देवरानी को दे देती थी .

उसी खाने से देवरानी के बच्चों का पेट भरता था । जेठानी के घर से जो पुराने कपड़े निकलते थे वही कपड़े देवरानी को दे देती थी । एक बार जब तिल चौथ व्रत का समय आया तब देवरानी में व्रत रखा और ₹5 का गुण एवं तिल लाकर तिलकुट बनाकर छिके में रख दिया था । इसके बाद कथा सुनकर , गणेश जी भगवान को अर्घ्य देकर वह अपनी जेठानी के यहां पर काम करने के लिए चली गई थी । देवरानी ने  जेठानी के घर का पूरा काम किया ।

पूरा काम करने के बाद जब शाम हुई तब देवरानी ने जेठानी से कहा कि मैं अब अपने घर पर जा रही हूं आप खाना खा लो । जेठानी ने देवरानी से कहा कि बच्चों से कह दो कि वह खाना खा ले । देवरानी ने जेठानी के बच्चों से कहा कि खाना खा लो । बच्चों ने कहा कि हमारी मां ने व्रत किया है और वह चांद उगने पर खाना खाएंगी । हम भी उन्हीं के साथ में चांद उगने पर खाना खाएंगे । इसके बाद देवरानी ने जेठ जी से कहा कि आप खाना खा लो । जेठ जी कहने लगे  की  मैं अकेला खाना नहीं खाऊंगा ।

जब मेरे बच्चे व मेरी पत्नी खाना खाएगी तभी मैं खाना खाऊंगा । इस तरह से सभी से पूछने के बाद सभी ने मना कर दिया । देवरानी ने जेठानी से कहा कि मैं घर पर जा रही हूं । जेठानी ने देवरानी से कहा कि चली जाओ आज तुम्हें खाना नहीं मिलेगा क्योंकि हमने खाना नहीं खाया है । अभी का खाना तुम सुबह ले लेना । देवरानी के घर पर उसके बच्चे एवं पति यह सोच रहे थे कि आज त्योहार है और आज अच्छे-अच्छे पकवान भाई के घर से आ रहे होंगे ।

परंतु जब देवरानी अपने घर पर खाली हाथ आई तो उसके पति को बहुत जोर से गुस्सा आया और उसने कहा कि दिन भर काम करने के बाद यदि भोजन नहीं मिला तो फिर काम करने का क्या मतलब है । देवरानी के पती ने उसको धोबने मारी पाटे मारी से मारा और बहुत जोर से उसको पीटा था । रात हो गई और वह बिना खाना खाए सो गई थी । जैसे ही उसकी आंख लगी तो श्री गणेश जी महाराज देवरानी के सपने में आए और बोलने लगे की धोबने मारी पाटे मारी सो गई हो क्या ? देवरानी बोली आधी सो गई हूं और आधी जाग रही हूं ।

गणेश जी महाराज बोले कि मुझे भूख लग रही है । दवरानी बोली मेरे घर में एक दाना अनाज का नहीं है । मैंं तुझे क्या खिलाए ? गणेश जी महाराज बोले मुझे तो बहुत जोर से भूख लग रही है मुझे खाने को दो । देवरानी बोली छिके में तिलकुट रखा है । बस वही है मेरे पास उसेे ही खा लो । गणेश जी महाराज  तिलकुट खाकर देवरानी से कहने लगे मुझे निमटाई लगी है  कहां पर करूं ? देवरानी ने कहा कि यह मेरी कुटिया है कहीं पर भी कर लो ।

फिर थोड़ी देर बाद गणेश जी ने कहा की अब मैं कहां  पोछु ?  देवरानी ने कहा की कहां पोछोगे मेरे सिर सेे पोछ लो ।  गणेश जी देवरानी के सिर सेे पोछने के बाद वहां से चले गए । जब सुबह देवरानी उठी और उसनेे देखा कि पूरा घर हीरे मोतियों से भरा हुआ है तो वह बहुत खुश हुई । उसकेेे सिर से लेकर नीचे तक हीरे मोती जड़े हुए थे  यह देखकर देवरानी को बहुुत खुशी हुई । जब जेठानी के यहां देवरानी नहीं पहुंची तो जेठानी ने सोचा  की  रात में  उसको खाना नहीं दिया इस बात से वह  नाराज हो गई होगी ।

जेठानी ने अपने बच्चों को देवरानी के घर पर देवरानी को लेने के लिए भेजा था । जब जेठानी के बच्चे देवरानी के यहांं पर पहुंचे तब उनकी आंखें खुली की खुली रह गई थी क्योंकि पूरे घर में हीरे मोती ही दिखाई दे रहे थे । बच्चों ने जब देवरानी से कहांं चलो चाची मा नेे तुमको बुलाया है । देवरानी ने कहा कि तुम्हारी मां ने मुझसे बहुत काम करवा लिया है । अब तुम तुम्हारी मां से बोलो कि वह मेरेे यहां पर आकर काम करें और बच्चे अपने घर पर वापस चले गए ।

बच्चों ने घर आकर अपनी मां से बोला कि चाची अब यहां पर काम करने के लिए नहींं आएंगी क्योंकि उनका घर हीरे मोतियों से भरा हुआ है । जेठानी ने यह सुनकर तुरंत अपनी देवरानी के यहां आई और उसने पूरा घर हीरे मोतियों से भरा हुआ देखा । यह देखकर जेठानी ने देवरानी से पूछा कि यह हीरे मोती तुम्हें कहां से प्राप्त हुए हैं । देवरानी ने जेठानी से कहा कि यह सब गणेश भगवान जी की कृपा है प्राप्त हुआ है । देवरानी ने जेठानी को पूरी कहानी बता दी ।

पूरी कहानी सुनने के बाद जेठानी अपने घर आई और अपने पति से कहने लगी कि मुझे धोबने मारी पाटे मारी से मारो । जेठानी का पति कहनेे लगा कि मैंने आज तक तुझ पर हाथ नहीं उठाया है  तो फिर आज कैसे उठाऊं । कई बार जेठानी के कहने पर उसने धोबने मारी पाटे मारी से मारा । इसके बाद उसने घी के लड्डू बनाए  और गणेश जी महाराज की पूजा की । जब जेठानी रात में सोई तब  गणेश जी भगवान ने जेठानी को दर्शन दिए और जेठानी से कहने लगे कि मुझे भूख लगी है खाना दो ।

जेठानी ने गणेश जी से कहां की उसने तो तुम्हें तिल गुड़ खिलाया था मैंने तुम्हें घी के लड्डूू बना कर रखे हैं  खा लो । लड्डू खाकर गणेश जी नेेे जेठानी से कहा कि मुझे निमटाई  लगी है कहां पर करूं । जेठानी ने कहां की उसके यहां तो एक टपरिया थी पर यह पूरा महल हमारा है । जहां चाहो वही पर कर लो । थोड़ी देर बाद गणेश जी ने जेठानी से कहा कि अब मैं कहां पोछूं । जेठानी ने कहांं की मेरे पल्लू से , मेरे बालों से पोछ लो  और गणेश जी महाराज ने पोछ लिया था ।

इसके बाद गणेश जी महाराज वहां से अंतर्ध्यान हो गए थे । जब सुबह का समय हुआ तब जेठानी की आंख खुली । जब उसने कमरे में देखा तब बहुत ही गंदगी कमरे में फैली हुई थी और कमरे में से बहुत बदबू आ रही थी । पूरे घर मेंं गंदगी ही गंदगी दिखाई दे रही थी । वह सोचने लगी की देवरानी को गणेश जी ने हीरे मोती दिए थे । परंतु मुझे गंदगी क्योंं दी है । जेठानी ने अपने पूरे घर को साफ करवाया परंतु वह गंदगी साफ नहीं हो रही थी ।

उसके पति ने बहुत गुस्सा किया और कहा कि तेरे पास इतना धन था फिर भी तूने धन के लालच में गणेश जी महाराज को परेशान किया । गणेश जी महाराज ने तुझे यह सजा दी है । जेठानी ने पूरे मन से गणेश जी भगवान की पूजा की और इस गंदगी को समाप्त करने के लिए प्रार्थना की । गणेश भगवान ने जेठानी को दर्शन दिए और कहा कि तेरे पास जितना धन है  उस धन में से आधा धन अपनी देवरानी को दे देना तेरे घर की गंदगी साफ हो जाएगी ।

जेठानी बहुत होशियार थी उसने थोड़ा धन दे दिया और मोहरों से भरा हुआ घड़ा अपने घर के चूल्हे  के नीचे छुपा दिया था । गणेश भगवान ने जेठानी को फिर से स्वप्न दिया और कहा कि तूने जो चूल्हे के नीचे मोहरे छुपा कर रखी हैं उन मोहरों को भी अपनी देवरानी को दे दो और तुम्हारे घर में जो सुई रखी हुई है उसमें से आधी सुई अपनी देवरानी को दे दो । जेठानी समझ चुकी थी कि अब उसे आधा धन अपनी देवरानी को देना ही पड़ेगा ।

जेठानी ने गणेश जी महाराज के कहे अनुसार आधा धन देवरानी को दे दिया । जब जेठानी ने आधा धन देवयानी को दिया तब उसके घर की पूरी गंदगी साफ हो गई । इस तरह से तिल चौथ श्री गणेश की कथा कही जाती है ।

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