हिंगलाज माता मंदिर पाकिस्तान इतिहास hinglaj mata mandir pakistan history in hindi
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दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से हिंगलाज माता मंदिर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं जो मंदिर पाकिस्तान में स्थित है । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और हिंगलाज माता मंदिर के इतिहास को जानते हैं ।
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माता हिंगलाज का मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध एवं समृद्ध मंदिर है । इस मंदिर की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है । यह मंदिर पाकिस्तान देश के बलूचिस्तान प्रांत के हिंगलाज के हिंगोल नदी के तट के पास स्थित है । यह मंदिर पहाड़ियों की एक छोटी सी गुफा में स्थित है । यह मंदिर सती माता का मंदिर है । इस मंदिर के इतिहास की बात करें तो ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर 2000 वर्ष पहले से बना हुआ है । इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि दुर्गा माता के 51 शक्ति पीठों में से यह एक है । पौराणिक कथाओं के अनुसार यह कहा जाता है की चारणों के वंश की कुलदेवी यही थी ।
चारणों के वंश के लोग हिंगलाज देवी को पूजते थे , उनको कुल की देवी मानते थे । यह मंदिर सती माता का मंदिर है । यह मंदिर हिंगुला देवी , हिंगलाज देवी के नाम से भी जाना जाता है ।इस मंदिर को कई लोग नानी देवी नाम से भी जानतेे हैं । प्राचीन कथाओं के अनुसार यह कहा जाता हैै कि जब देवों के देव महादेव माता सती के शव को अपने कंधे पर रखकर तांडव कर रहे थे तब देवी देवताओं केेे मन में यह शंका हो रही थी कि यदि महादेव इसी तरह से तांडव करते रहे तो पूरी पृथ्वी तहस-नहस हो जाएगी ।
इसी बात की चिंता से परेशान होकर देवी देवता भगवान विष्णु जी के पास पहुंचे । भगवान विष्णु से उन्होंने पृथ्वी की रक्षा , सुरक्षा के लिए प्रार्थना की । विष्णु भगवान ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली और अपने सुदर्शन चक्रर से शक्ति माता के शव के 51 टुकड़े कर दिए । जहां जहां पर सती माता के शरीर के टुकड़े गिरे उसे शक्ति पीठ के रूप में सभी मानने लगे , उनकी पूजा करने लगे । उन्हीं 51 शक्तिपीठों में से एक शक्ति पीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के हिंगलाज में स्थित है ।
इस मंदिर से काफी लोगोंं की आस्था जुड़ी हुई है । हिंदूू ही नहींं बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है । यह मंदिर चमत्कारी मंदिर है । मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इस मंदिर की कई बार रक्षा की है , इस मंदिर को सही सलामत रखा है । मुस्लिम समुदाय के लोग इस मंदिर को नानी पीर कहकर संबोधित करते हैं । इस मंदिर का गुणगान हिंदू ग्रंथों में भी किया गया है । इस मंदिर के दर्शनों के लिए कई महापुरुष गए हैं ।
इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि पुरुषोत्तम राम भगवान भी इस मंदिर के दर्शन के लिए गए थे । राम भगवान के बाद कई साधु-संत जैसे कि गुरु नानक देव , गुरु गोरखनाथ , दादा मखान सिंह भी इस मंदिर के दर्शनों के लिए गए थे ।भगवान परशुराम के पिता श्री महर्षि जमदग्रि ने यहां पर तप किया था । यह मंदिर बहुत ही समृद्ध शाली एवं चमत्कारी मंदिर है । इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जब भारत एवं पाकिस्तान के बीच 1965 को युद्ध हुआ था तब इस मंदिर को आतंकवादियों ने नष्ट करने के लिए काफी प्रयास किए थे ।
इस मंदिर को तबाह करने के लिए बम गिराए गए परंतु इस मंदिर के चमत्कार के कारण मंदिर को कोई भी नुकसान नहीं हुआ । इस मंदिर की सबसे बड़ी खास बात यह है कि इस मंदिर की रक्षा एवं सुरक्षा मुस्लिम समुदाय के लोगों ने की है । हिंदू , मुस्लिम सभी धर्म के लोग इस मंदिर के दर्शनों के लिए जाते हैं । इस मंदिर से सभी धर्म के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है । यह मंदिर पहाड़ियों की एक छोटी सी गुफा में स्थित है ।
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