हिंदू कोळी समाज का इतिहास Hindu koli samaj history in hindi
Hindu koli samaj history in hindi
दोस्तो आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से हिंदू कोली समाज के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर हिंदू कोली समाज के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।
हिंदू कोली समाज के बारे में – हिंदू कोली समाज भारत की एक प्रमुख समाज है जो भारत देश के मध्य प्रदेश , गुजरात , राजस्थान , हरियाणा , महाराष्ट्र , हिमाचल प्रदेश , कर्नाटक , उत्तर प्रदेश , जम्मू-कश्मीर आदि राज्यों में निवास करती है । हिंदू कोली समाज का इतिहास प्राचीन समय से ही रहा है । भारत देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से हिंदू कोली समाज पहचानी जाती है । कुछ राज्यों में कोली समाज कोली नाम से पहचानी जाती है तो कुछ राज्यों में यह समाज कोरी , भुईयार , हिंदू जुलाहा , कबीरपंथी , बुनकर आदि नामों से पहचानी जाती है । हिंदू कोली समाज के भारत आगमन के बारे में ऐसा कहा जाता है की कोली समाज के लोग अरब और अफगान से भारत आकर बसे थे ।
भारत देश के अलग-अलग राज्यों में कोली समाज के लोगों को अलग-अलग कैटेगरी में रखा गया है । कुछ राज्यों में हिंदू कोली समाज को पिछड़ा वर्ग में रखा गया है तो भारत देश के कुछ राज्यों में कोली समाज को अनुसूचित जाति में रखा गया है । कोली समाज के द्वारा कई विद्रोह किया गया है ।पहला विद्रोह कोली समाज के द्वारा 1857 में किया गया था जो विद्रोह अंग्रेजो के खिलाफ किया गया था । यह बिद्रोहो 1857 में पेठ रियासत कोली जाति के लोगों के द्वारा किया गया था । यह कोली जाति के द्वारा किया गया भयंकर विद्रोह था जिस विद्रोह ने अंग्रेजों को काफी परेशान कर दिया था ।
पेठ रियासत की कोली जाति के लोगों ने 6 दिसंबर 1857 को इस विद्रोह की शुरुआत कर दी थी जिस विद्रोह में कोली जाति के तकरीबन 2000 से भी ज्यादा बागी कोली समाज के लोग एकजुट हुए थे । इन सभी कोली जाति के संगठन ने पेठ के हरसोल नगर को लूट लिया था जिस लूट के बाद अंग्रेजों ने कोली जाती के विरुद्ध कार्यवाही करने का फैसला कर लिया था । इसके बाद अंग्रेजों ने कोली समाज से बदला लेने के लिए मामलातदार को हरसुल नगर की जांच करने के लिए बुलाया था ।
हरसोल नगर की पूरी जांच करने की जिम्मेदारी मामलातदार को सौंप दी थी । परंतु कोली जाति अंग्रेजों से विद्रोह करने के लिए तैयार थी और कोली समाज के संगठन ने मामलातदार को योजना बनाकर बंदी बना लिया था । बंदी बना लेने के बाद यह विद्रोह और भी भड़क उठा था । इस तरह से हिंदू कोली समाज के द्वारा 1857 में अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह किया गया था । जब अंग्रेजों ने यह देखा कि कोली समाज के लोग विद्रोह कर रहे हैं तब अंग्रेजो के द्वारा कोली समाज पर 1871 में क्रिमिनल एक्ट लगा दिया था जिसके बाद कोली समाज के लोग अलग-अलग राज्यों में पलायन करने के लिए मजबूर हो गए थे ।
अलग-अलग राज्यों में जाकर कोली समाज अलग-अलग कार्य करके अपना भरण-पोषण करने लगे थे । ब्रिटिश राज्य से लेकर आज तक कोली समाज अलग-अलग राज्यों में रहकर अपना जीवन व्यतीत करते हैं । कुछ राज्यों में कोली समाज जुलाहे का कार्य करते हैं तो कुछ राज्यों में उनके द्वारा और भी कई कार्य किए जाते हैं । कहने का तात्पर्य यह है कि कोली समाज अलग-अलग राज्यों में अपना अलग-अलग व्यवसाय करती है । यदि हम प्राचीन समय के इतिहास को जाने दो कोली समाज का नाम प्राचीन इतिहास में लिखा हुआ है ।
भारत की जो सबसे प्राचीन सभ्यता है वह सभ्यता मोहन जोदड़ो की सभ्यता है । मोहनजोदड़ो के शिलालेखों पर जी स्पष्ट रूप से यह देखा जा सकता है कि मान्धाता कोली वंश लिखा हुआ है और जो उस वंश का राजा है । वह सूर्यवंशी प्रतापी राजा था । कोली वंश की उत्पत्ति के बारे में ऐसा कहा जाता है कि पृथ्वी पर जीत हासिल करने वाला शासक मान्धाता के द्वारा ही कोली वंश की उत्पत्ति हुई थी । मान्धाता के द्वारा ही मान्धाता वंश मे इष्वांकु का जन्म हुआ था । इसके बाद इष्वांकु वंश की नींव यही से पड़ी थी ।
इसके बाद मान्धाता की जो 25 वी पीढ़ी हुई उन 25 पीढ़ियों में भगवान राम का जन्म हुआ था । इसी कारण से भगवान राम को कोलिए इष्वांकु वंश का कहा जाता है । इतिहास के पन्नोंं में कोली समाज के बारेे में कोली समाज की वीर गाथा का पता चल जाता है । महाराष्ट्र राज्य के प्राचीन समय के मराठा शासक शिवाजी कि जो सेना थी उस सेना मेंं सबसे अधिक सेना कोली समाज की थी । महाराष्ट्र के मराठा शासक शिवाजी के जो सेनापति थे वह सेनापति तानाजी मालुसारे कोलिए छत्रिय वंश के थे जिन की वीरता के चर्चे आज भी इतिहास के पन्नों मे दर्ज हैं ।
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