एक बूढी औरत की आत्मकथा Ek budhiya ki atmakatha in hindi
Ek budhi aurat ki atmakatha
Ek budhiya ki atmakatha – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से एक बूढ़ी औरत की आत्मकथा के बारे में बताने जा रहे हैं ।चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस जबरदस्त आर्टिकल को पढ़कर एक बूढ़ी औरत की आत्मकथा के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।
मैं एक बूढ़ी औरत हूं , जो बड़ी मुसीबतों से अपना जीवन व्यतीत कर रही हूं । मेरा भी एक परिवार था । मैं भी पहले जवान थी । मेरे भी बच्चे थे । जिन बच्चों को मैंने बड़ी मुसीबतों से पाला था । आज मेरे हाथ पैर काम नहीं कर रहे हैं । मेरे बच्चों ने मेरा साथ छोड़ दिया है और मैं एक वृद्ध आश्रम में रहकर अपना जीवन व्यतीत कर रही हूं । मैं जब जवान थी तब अपने बच्चों को बहुत अच्छी तरह से रखती थी , उनका भरण-पोषण करती थी । जब मेरी शादी हुई तो मेरे पति का देहांत कुछ ही समय बाद हो गया था और मैं अपने बच्चों के साथ जीवन व्यतीत करने लगी थी ।
मैंने अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर उनको अच्छी शिक्षा दिलाई है । आज जब मैं असहाय कमजोर हो गई हूं तो मुझे कोई भी नहीं पूछता है । मैं वृद्ध आश्रम में रहकर अपना जीवन बड़ी कठिनाई से व्यतीत कर रही हूं । मैं सुबह उठकर स्नान करके भगवान की पूजा अर्चना करती हूं । वृद्ध आश्रम की साफ सफाई में मैं पूरी मदद करती हूं । सुबह उठने के बाद वृद्धा आश्रम की सभी बूढ़ी महिलाएं मेरा साथ देती है और हम सभी वृद्ध महिलाएं आपस में मिलकर सुबह का नाश्ता और दोपहर का खाना बनाते ।
हम सभी वृद्ध महिलाएं अपने बच्चों के द्वारा सताई हुई हैं । जिन बच्चों को हमने बड़े प्यार से पाला था , उनका भरण-पोषण किया था , उनको प्रेम दिया था आज उन्होंने हमें ठुकरा दिया है । मैं एक वृद्ध महिला वृद्ध आश्रम की सभी महिलाओं को एक साथ लेकर घुमाने के लिए ले जाती हूं । जिससे कि वह अपने परिवार के बारे में सोच कर चिंतित ना हो । जिन बच्चों ने हमें ठुकरा दिया है वह बच्चे यह नहीं जानते कि वह भी हमारी तरह बूढ़े हो जाएंगे । जब उनके बच्चे उनको घर से निकालेंगे तब उनको पता चलेगा कि बूढ़े होने पर किस तरह की तकलीफ उठाना पड़ती है ।
मैं जब तक घर में काम करती रही तब तक मुझे घर में रखा गया और जब मेरे हाथ पर चलना बंद हो गए तब मुझे घर से निकाल दिया गया था । मेरे बच्चों ने मेरे साथ ऐसा किया फिर भी मैं उनको यही आशीर्वाद देती हूं कि वह खुश रहे , उनके बच्चे खुश रहे । 1 दिन सभी को बूढ़ा होना पड़ता है । मैं अपने घर से ज्यादा सुकून वृद्ध आश्रम में प्राप्त कर रही हूं । यहां पर मुझे ना तो किसी के ताने सुनने पड़ते हैं और ना ही किसी की गालियां सुननी पड़ती है । यहां पर मैं बहुत खुश हूं । मैं एक वृद्ध महिला उस व्यक्ति को धन्यवाद देना चाहती हूं जिस व्यक्ति के अथक प्रयास से यह वृद्ध आश्रम बना है ।
हम सभी वृद्ध महिलाओं के लिए ट्रस्ट की तरफ से कपड़े , खाने पीने का सामान आता है और हम सभी वृद्ध महिलाएं खुशी के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं । मुझे भगवान के भजन सुनना और भगवान का स्मरण करना बहुत अच्छा लगता है । मैं राम नाम का जप करती रहती हूं । जब भी मुझे अपने बच्चों के बारे में सोच कर दुख होता है तब मैं भगवान की भक्ति में लग जाती हूं । जब मैं यहां पर आई थी तब मुझे कुछ दिनों तक बुरा जरूर लगा था । मै जब यहां पर रहने वाली सभी वृद्ध महिलाओं से मिली तब मेरी उन सभी महिलाओं से जान पहचान हुई थी ।
जब मेरी जान पहचान वृद्ध आश्रम के सभी लोगों से हुई तब मैं यहां पर अच्छी तरह से रहने लगी थी और मुझे बरा भी लगना बंद हो गया था । आज हम सभी वृद्ध महिलाओ का एक परिवार है । हम एक दूसरे की सहायता करते हैं । जब भी किसी को अपने जीवन पर दुख होता है तब हम सभी वृद्ध महिलाएं मिलकर उस दुखी महिला को यह समझाते हैं कि यह हमारे किस्मत का लिखा है जिस लिखे को हम ठुकरा नहीं सकते हैं । आज मैं वृद्ध महिला पूरी शान से कह सकती हूं कि मैं अपना जीवन बहुत अच्छी तरह से जी रही हूं ।
आज से तकरीबन 3 महीने बाद मेरे बच्चे के बेटे का जन्मदिन है । मैं यह सोच रही हूं कि मैं अपने पोते को मिलने के लिए अवश्य जाऊं परंतु मुझे यह डर लग रहा है की कहीं मेरे बेटा बहू मुझे जलील करके ना भगा दे । मेरा पोता बहुत ही अच्छा है । वह मेरी अच्छी तरह से देखरेख करता था । जब मेरी बहू मुझे खाना नहीं देती थी तब मेरा पोता ही मुझे छुपकर खाना खिलाता था । मैं भी अपने पोते से बहुत प्रेम करती हूं और भगवान से प्रार्थना करती हूं कि वह अपने जीवन में सफलता की ऊंचाई तक पहुंचे ।सर्दियों के समय में मैं धूप में बैठकर भगवान का स्मरण करती हूं । मैं जब भगवान की आराधना करती हूं तब मुझे बहुत अच्छा लगता है ।
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