हर छठ हल षष्ठी व्रत कथा har chhath hal shashthi vrat katha in hindi
hal chhath katha in hindi
दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हरछठ हल षष्टि व्रत कथा को . चलिए अब हम इस आर्टिकल के माध्यम से हरछठ हल षष्टि व्रत कथा को पढ़ेंगे .
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हरछठ की कथा एवं व्रत प्रतिवर्ष भादो के महीने में कृष्ण पक्ष की षष्ठी को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है . कृष्ण के भाई बलराम की पूजा की जाती है . ऐसा कहा जाता है कि इस दिन कृष्ण भगवान के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था . इस दिन जो भी महिला व्रत करती है , हल से उत्पन्न अनाज का सेवन नहीं करती है और भैंस के दूध का सेवन करती है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं .यह व्रत महिला अपने बच्चों की सुख शांति एवं समृद्धि के लिए करती हैं .
हरछठ एवं हर षष्ठी व्रत कथा – एक गांव में एक ग्वालन रहती थी . वह दूध इकट्ठा करके पास ही के गांवों में बेचने के लिए जाती थी . वह गर्भवती हो जाती है और उसका बच्चा होने को होता है लेकिन उस ग्वालन का पूरा ध्यान सिर्फ दूध में ही रखा रहता है . वह सोचती है की यदि मै यह दूध बेचने के लिए नहीं गई तो यह सारा दूध खराब हो जाएगा . यह सोचकर वह गाय का दूध बेचने के लिए चली गई थी . रास्ते में ही उसका पेट जोर से दर्द होने लगा था और वह एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गई थी .
उसने वहां पर एक बच्चे को जन्म दिया और वह उस बच्चे को पेड़ के नीचे छोड़कर दूध के घड़े अपने सिर पर रख कर बेचने के लिए चली गई थी . उस दिन हर छठ की पूजा का दिन था . उस दिन की यह मान्यता होती है जो भी महिला हरछठ व्रत करती है वह भैंस के दूध का ही सेवन करती है . जो महिला व्रत करती है यदि उसको अपने व्रत को सफल बनाना है तो उसे भैंस के दूध का सेवन करना आवश्यक होता है . वह ग्वालन जैसे ही गांव में दूध बेचने की लिए गई तब उसने गांव के सभी लोगों से यह झूठ बोला कि यह दूध भैंस का है .
गांव के सभी लोगों ने उसके झूठ को सच मानकर कर उसका दूध खरीद लिया था . जिस पेड़ के नीचे ग्वालन का बच्चा सो रहा था उसके पास ही के खेत में कुछ बेल घास खा रहे थे . अचानक से वह बेल इधर-उधर भागने लगे थे . उन्हीं में से एक बेल उस बच्चे के पास आ गया था और बेल ने बच्चे के ऊपर अपना पैर रख दिया था जिससे वह बच्चा पूरी तरह से लहूलुहान हो गया था . खेत में काम कर रहे एक किसान की नजर बच्चे पर पड़ी तो वह भाग भाग कर उस बच्चे के पास आया और बच्चे के पेट में से खून निकल रहा था .
उस किसान ने फटे हुए पेट को सुई से सिलकर वहां से चला गया था . जैसे ही वह ग्वालन उस पेड़ के नीचे गई और उसने यह देखा कि उसका बच्चा खून से लथपथ है यह देखकर वह समझ चुकी थी कि मेरे कर्मो की सजा मेरे बच्चे को मिली है क्योंकि मैंने झूठ बोलकर दूध बेचा है . उसको अपनी गलती का एहसास हो गया था . वह उसी समय उस गांव में पहुंची और सभी को यह बताने लगी कि मैंने आपके साथ बुरा किया है . मैंने आपको जो दूध दिया था बह दूध भैंस का दूध नहीं था वह दूध गाय का था .
मैंने आपको धोखा दिया था जिसकी सजा मुझे मिल चुकी है . मैंने आपके साथ जो विश्वासघात किया है इसके कारण मैंने अपने बच्चे को खो दिया है . उसने अपने बच्चे की सारी कहानी गांव वालों को बता दी थी . गांव की महिलाओं ने उस ग्वालन की प्रासचितता को देखकर क्षमा कर दिया था और वह ग्वालन उस गांव से वापस उस पेड़ के नीचे आ गई थी .
जब उसने बच्चे को देखा तो वह जीवित था और उस बच्चे को किसी तरह की कोई भी हानी नहीं पहुंची थी . उसी समय उस ग्वालन ने यह निश्चय कर लिया था कि वह भी हरछठ पूजा एवं व्रत करेगी और वह प्रतिवर्ष हरछठ का व्रत करने लगी थी .
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