गुरु का महत्व पर निबंध Guru ka mahatva essay in hindi

Guru ka mahatva essay in hindi

दोस्तों कैसे हैं आप सभी,आज की हमारी पोस्ट है Guru ka mahatva essay in hindi दोस्तों जैसे की हम सभी जानते हैं कि आज के युग में गुरु का महत्व बहुत ज्यादा है,प्राचीन काल से ही हमारे देश में गुरु का महत्व रहा है क्योंकि गुरु ही हमारा सब कुछ होता है

Guru ka mahatva essay in hindi
Guru ka mahatva essay in hindi

कहते हैं कि मां बाप से बढ़कर गुरु होता है क्योंकि मां बाप हम को जन्म देते हैं लेकिन एक सच्चा गुरु हमको एक सही रास्ते पर चलने के लिए सलाह देता है और हमको सही और गलत दोनोंमें अंतर समझने के लिए तैयार करता है,गुरु का जीवन में बड़ा ही महत्व है जब कोईमां बाप अपने बच्चों को स्कूलों में दाखिला करवाते हैं तो उनको उम्मीद होती है अपने बच्चों से कि बड़े होकर कुछ अच्छा करेंगे,वह अपने बच्चों को एक गुरु के हवालेकर देते हैं क्योंकि गुरु ही उनको जीवन में कुछ करने लायक बनाता है.

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प्राचीन काल से ही हमने देखा है की गुरु के महत्व को समझा जाता था पहले के जमाने में एक गुरु अपने आश्रम में अपने शिष्यों को शिक्षा देते थे लेकिन प्राचीन काल से अभी तक बहुत सारे बदलाव आए हैं अब गुरु आश्रम से स्कूल-कॉलेज बन चुके हैं,आज के हर एक नवयुवक को गुरु के महत्व को समझना चाहिए और गुरु का बड़ा ही आदर करना चाहिए,दुनिया में अभी भी कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपने गुरु को इज्जत नहीं देते, अपने गुरु को कुछ भी नहीं समझते हैं उन सभी को समझना होगा कि अगर आपको आगे बढ़ना है तो गुरु की इज्जत करना पड़ेगी और गुरु के महत्व को समझना होगा.

जब हम स्कूल में होते हैं तो हमारा गुरु हमें सही और गलत में अंतर करना सिखाता है ,हमको जिंदगी में हर एक परिस्थिति से लड़ने का सामना करने के लायक बनाता है और हर एक गुरु चाहता है कि मेरा शिष्य आगेबढ़े जिससे मेरा और भी नाम हो.दोस्तों हम सभी को गुरु के महत्व को समझने की जरूरत है आज बहुत सारे ऐसे लोग होते हैं वह स्कूल कॉलेज में किसी न किसी गुरु से सीखते हैं और बड़े होकर अपनी अपनी इच्छा अनुसार कुछ ना कुछ करते हैं.

कोई लोगों की सेवा करने के लिए लोगों का उपचार करने के लिए डॉक्टर बनता कोई लोगों की सेवा करने के लिए एक व्यापारी बनता है तो कोई लोगों के मसले सोल्व करने के लिए वकील बनता है तो कोई कलेक्टर बनता है और उनमे से कोई अपने गुरु की तरह ही एक सच्चा गुरु बनता है,दोस्तों हम अपने गुरु से सीख कर जो भी बनते हैं और हम अपने जीवन में कुछ भी बन कर जो मान सम्मान और पैसा कमाते हैं वह सब कुछ हमारे गुरु की वजह से होता है,गुरु ही हमारा मार्गदर्शन करता है और हमें सब कुछ सिखाता है,हम सभी को गुरु के महत्व को समझने की जरूरत है.

हम सभी को अपने गुरु पर गर्व होना चाहिए आप जितने भी आगे बढ़े हो सिर्फ अपने गुरु के ही वजह से हो,हम सभी को कभी भी अपने आपको अपने गुरु से श्रेष्ठ नहीं समझना चाहिए और गुरु की जहां तक हो सेवा करना चाहिए क्योंकि आज हम जो भी हैं सिर्फ और सिर्फ गुरु के बदौलत हैं प्राचीन काल में हमने देखा है कि ऐसे ऐसे उदाहरण हमारे सामने आए हैं कि जिन का वर्णन करना भी मुश्किल है,बहुत सारे ऐसे लोग  हुए हैं जिन्होंने अपने गुरु के लिए या गुरु दक्षिणा के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया है.

महाभारत में जैसे की हम सभी जानते हैं कि एकलव्य द्रोणाचार्य से छुप-छुपकर धनुष विद्या सीखता था,वह छुप-छुपकर धनुष विद्या सीखते सीखते उसमें एकदम परफेक्ट हो गया था,वह बहुत ही खुश था.एक दिन जब वह गुरु के पास में गया तब गुरु को पता लगा कि एकलव्य दुनिया का सबसे बड़ा धनुर्धर बन चुका है,गुरु ने एकलव्य का अंगूठा मांगा क्योंकि द्रोणाचार्य पहले से ही दुनिया का सबसे बड़ा धनुर्धर अर्जुन को बनाने का वादा कर चुके थे इसलिए उन्होंने एकलव्य से गुरु दक्षिणा में उसका अंगूठा मांगा और एकलव्य ने गुरु दक्षिणा के रूप में अपना अंगूठा अपने गुरु को दे दिया क्योंकि एकलव्य के लिए धनुष विद्या अपने गुरु से बढ़कर नहीं थी.

उसने वह विद्या सिर्फ और सिर्फ अपने गुरु से सीखी थी,वह आज जो भी था सिर्फ और सिर्फ अपने गुरु की वजह से था वह अपने गुरु के महत्व को समझता था इसलिए उसने एक पल भी नहीं सोचा और अपना अंगूठा अपने गुरु को दे दिया है.दोस्तों गुरु हमारा सब कुछ होता है अगर आप अपने गुरु को सच्चे दिल से मानते हो तो आपको किसी और को मानने की जरूरत है ही नहीं क्योंकि गुरु ही ईश्वर है, गुरु ही माता पिता है, गुरु ही सब कुछ है.

आज जो भी रिश्ते हैं सब कुछ गुरु के रिश्ते के आगे पीछे हैं क्योंकि गुरु ही हमें इन रिश्तों को निभाने के काबिल बनाता है इसलिए गुरु के महत्व को समझकर अपने गुरु को इज्जत दीजिए,आज के जमाने में जैसे जैसे हमारी संस्कृति बदलती जा रही है उसी तरह से हमारे समाज में बहुत सारे बदलाव देखने को मिलते हैं,यहां तक ऐसा भी देखा गया है कि एक शिष्य अपने गुरु को अपशब्द भी कहता है,दोस्तों यह बिल्कुल सही नहीं है ऐसे लोगों का हमें समाज से बहिष्कार करना होगा क्योंकि जो गुरु का सम्मान नहीं कर सकता वह दुनिया में किसी का ना तो सम्मान कर सकता है और ना ही किसी को मान सकता है.

इसलिए Guru ka mahatva को समझिए और गुरु की सेवा कीजिए और अपने गुरु से हमेशा सीखते रहिए कभी भी अपने आपको अपने गुरु से श्रेष्ठ समझने की गलती मत कीजिए.

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