सत्संगति पर निबंध Satsangati essay in hindi

Satsangati essay in hindi

हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल Satsangati essay in hindi आपके लिए बहुत ही प्रेरणादायक भी है और साथ में स्कूल कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए निबंध लिखने के लिए बहुत ही हेल्पफुल भी है हमारे आज के इस निबंध को पढ़कर आप जीवन में जरूर ही सत्संगति अपनाकर कुछ अच्छा करेंगे तो चलिए पढ़ते हैं हमारे आज के इस निबंध को

Satsangati essay in hindi
Satsangati essay in hindi

प्रस्तावना-सत्संगति यानी अच्छे लोगों की संगति को ही हम सत्संगति कहते हैं.सत्संगति से हर एक इंसान को बहुत ही लाभ मिलता है अगर हम अपने जीवन में अच्छे लोगों की सत्संगति करते हैं तो हम जीवन में हमेशा खुश रहते हैं और जीवन में सफलता की बुलंदियों को छूते हैं

सत्संगति से लाभ

सत्संगति से हम सभी को बहुत ही लाभ हैं सत्संगति यानी अच्छे लोगों की संगति से हम जीवन में अच्छी आदतें सीखते हैं क्योंकि कहते हैं कि जैसी संगत वैसी रंगत हम अच्छे लोगों की संगति करते हैं तो जरूर ही हमारी आदतें भी अच्छी होती हैं और हम जीवन में अच्छे लोगों की तरह हमेशा अच्छा करते हुए सफल होते हैं.अच्छी संगति की वजह से हम बहुत सी विकट परिस्थितियों से भी आसानी से निपट जाते हैं सत्संगति का हमारे जीवन में बहुत ही महत्व है और इससे लाभ भी अनेक हैं

बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जो बुरी संगति में फंसकर बहुत से कुकर्म करते हैं जिससे उन्हें बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है लेकिन सत्संगति की वजह से लोग गलत कार्य नहीं करते वह हमेशा अच्छे कार्यों के बारे में सोचते हैं आज हम देखे हैं तो सत्संगति की वजह से लोगों की सोच, उनके विचार, उनके कार्य और भी बहुत कुछ परिवर्तित होते हुए देखने को मिलता है.

सत्संगति की वजह से हमारे जीवन में बहुत बड़ा बदलाव भी आ सकता है जिस तरह से अशुद्ध जल अगर एक नदी में मिल जाए तो वह भी उसकी संगति में आकर शुद्ध हो जाता है उसी तरह अगर एक बुरा व्यक्ति अच्छे लोगों की सत्संगति करता है तो आने वाले कुछ समय में वह भी अच्छा बन जाता है इसका हम उदाहरण भी देख सकते हैं महर्षि बाल्मीकि जो कि पहले एक डाकू थे लेकिन एक महान ऋषि सप्त ऋषि की वजह से उनके जीवन में इतना बड़ा परिवर्तन आया कि वह डाकू से एक ऋषि बन गए उन्होंने श्री रामचंद्र जी के जीवन की कथा लिखी है

बाल्मीकि जी का सत्संगति की वजह से पूरा जीवन परिवर्तित हो गया था और आज भी उन्हें उनके अच्छे कार्यों की वजह से याद किया जाता है. महात्मा बुद्ध जो कि भगवान के रुप माने जाते हैं अंगुलिमार नामक डाकू ने सिर्फ कुछ ही समय तक उनकी संगति की या उनके विचार सुने तो उंगलीमार का भी पूरा जीवन परिवर्तित हो गया वह भी एक महात्मा बन गया इसलिए हम अपने जीवन में जैसी संगति करते हैं वैसे हम अपने जीवन को परिवर्तित कर लेते हैं.

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इन दो उदाहरणों के जरिए हम समझ सकते हैं कि सत्संगति के काफी लाभ भी हो सकते हैं लेकिन वहीं दूसरी ओर हम देखें तो बुरी संगति से जीवन बर्बाद हो सकता है या हम किसी और का जीवन भी बर्बाद कर सकते हैं रामायण में हम देखें तो कैकई ने मंथरा की कुछ समय तक संगति की और केकयी की पूरी सोच को बदल कर रख दिया वो श्रीराम से बेहद प्रेम करती थी लेकिन मंथरा की बुरी संगति की वजह से कैकई ने राम को बनवास दे दिया और कैकई ने आज तक एक कलंक झेला क्योंकि बुरी संगति ने उसे भी बुरा बना दिया इसलिए हमें हमेशा जीवन में सत्संगति करना चाहिए बुरी संगति से हमेशा बचना चाहिए.

आज के इस आधुनिक युग में बहुत से ऐसे लोग हैं जो अच्छी संगति में पडकर अपने जीवन को सफल बनाते हैं वही ऐसे कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो बुरी संगति में पडकर अपने भविष्य को बर्बाद कर देते हैं हम सभी को समझना चाहिए कि बच्चे ही हमारे देश के भविष्य होते हैं बच्चे जैसी संगति करते हैं उनपर बहुत ही जल्दी इस संगति का असर होता है अगर वह अच्छी संगति करते हैं तो वह एक अच्छे इंसान बन जाते हैं वहीं अगर वह गलती से बुरी संगति करते हैं तो वह भी गलत कार्यों में फंस जाते हैं और इस वजह से उनका पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है.

हम सभी को हमारे बच्चों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए हमें उनको एक ऐसी संगति में डालना चाहिए जिससे उनका भविष्य उज्जवल हो सत्संगति की वजह से ही हम हमारे बच्चों,हमारे परिवार वालों और हमारे देश का भविष्य बदल सकते हैं क्योंकि सतसंगति वास्तव में हमारे पूरे जीवन पर प्रभाव डालती है.

हम सभी को अपना और अपने परिवार वालों का ख्याल रखना चाहिए कि वह किस तरह की संगति में है क्योंकि एक और जहां सत्संगति हमारे जीवन को सफल बनाती है कि हम हमेशा खुश रहे वहीं दूसरी ओर बुरी संगति या कुसंगति हमारे जीवन को पूरी तरह से बर्बाद कर देती है इसलिए हमें हमारे जीवन में हमेशा सत्संगति अपनानी चाहिए.

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