गोवर्धन पर्वत पूजन विधि व् कथा Govardhan puja vidhi, story hindi

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दोस्तों आज हम आपको इस लेख के माध्यम से गोवर्धन पर्वत पूजन विधि व कथा के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम इस आर्टिकल के माध्यम से गोवर्धन पर्वत की कथा एवं पूजन विधि को पढ़ेंगे ।

गोवर्धन पर्वत पूजन विधि व् कथा
गोवर्धन पर्वत पूजन विधि व् कथा

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गोवर्धन पर्वत कथा – जब त्रेता युग में रावण माता सीता का हरण करके लंका ले गया था तब भगवान राम एवं श्री राम की सेना सीता माता को रावण से छुड़ाने के लिए लंका जा रही थी तब रास्ते में विशाल समुद्र था । उस समुद्र को पार करने के लिए  समुद्र में सेतु का निर्माण किया जा रहा था । सेतु के निर्माण के लिए हर जगह से पत्थर एवं चट्टाने लाई जा रही थी ।

जब वानरों की सेना मथुरा के निकट पहुंची तब समुद्र के किनारे से यह समाचार प्राप्त हुआ कि सेतु का निर्माण पूरा हो चुका है तब सेना ने मथुरा से जो पत्थर एवं चट्टाने वानरों ने उठाई थी वह वहीं पर ही रखकर जाने लगे थे । तभी पत्थरों से एक आवाज आई की हे राम हमसे क्या गलती हो गई है जो आप हमें यहीं पर छोड़ करके जा रहे हो । उसी समय आकाशवाणी हुई और भगवान राम ने उन चट्टानों से कहा कि तुम निराश मत होना ।

भगवान राम ने कहा कि द्वापर युग में मैं यहीं पर जन्म लूंगा और मेरा पूरा बाल्यावस्था यहीं पर व्यतीत होगा । भगवान राम ने सभी चट्टानों एवं पत्थरों को एक जगह इकट्ठा करके पर्वत बना दिया था और इस पर्वत का नाम गोवर्धन पर्वत रख दिया था । जब भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में मथुरा में जन्म लिया था तब उन्होंने अपनी बाल्यावस्था की कई लीलाएं गोवर्धन पर्वत पर दिखाई थी ।

यह कहा जाता है कि गोवर्धन पर्वत की छाया बहुत दूर दूर तक फैली थी । ऐसा कहा जाता है कि गोवर्धन पर्वत की छाया रावण की लंका तक दिखाई देती थी । इस पर्वत को हम गिरिराज पर्वत के नाम से भी जानते हैं । लाखों कृष्ण भक्त इस पर्वत की परिक्रमा लगाने के लिए जाते हैं । मथुरा में आज भी पर्वत की सुंदरता देखने के लायक है ।

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गोवर्धन पूजा विधि – मथुरा में काफी श्रद्धालु भगवान श्री कृष्ण के दर्शनों के लिए जाते हैं और गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाते हैं । गोवर्धन पर्वत की पूजा के लिए घी , दूध , रोली , चावल , फल फ्रूट , चंदन ले जाते हैं और गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं । कुछ लोग  परिक्रमा में पर्वत के चारों ओर दूध चढ़ाते हैं और गोवर्धन पर्वत की पूजा अर्चना करते हैं । लाखों भक्त एवं श्रद्धालु गोवर्धन की परिक्रमा करने के लिए मथुरा जाते हैं । लोगों की आस्था गोवर्धन पर्वत से जुड़ी हुई है ।

गोवर्धन पर्वत की पूजा के लिए सुबह स्नान करना होता है । स्नान करने के बाद परिक्रमा शुरू की जाती है । रास्ते में घी, दूध एवं प्रसाद चढ़ाया जाता है एवं गोवर्धन पर्वत की पूजा अर्चना की जाती है । गोवर्धन पर्वत की पूजा अर्चना करने से सुख शांति एवं समृद्धि प्राप्त होती है । ऐसा कहा जाता है कि आज भी गोवर्धन पर्वत विशाल है । इस गोवर्धन पर्वत की शक्तियां आज की जीवित हैं । जो भी सच्चे मन से गोवर्धन पर्वत की पूजा अर्चना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं ।

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