गोपालदास नीरज की जीवनी Gopal das neeraj biography in hindi
Gopal das neeraj biography in hindi
Gopal das neeraj – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से गोपालदास नीरज के जीवन परिचय के बारे में बताने जा रहे हैं तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर हिंदी साहित्यकार , काव्य वाचक , शिक्षक और फिल्मों के गीत लेखक गोपालदास नीरज के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।
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गोपालदास नीरज के जन्म स्थान व् परिवार के बारे में – गोपालदास नीरज हिंदी साहित्यकार , शिक्षक , काव्य वाचक और गीतकार लेखक के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं । गोपालदास नीरज का जन्म 4 जनवरी 1925 को ब्रिटिश भारत के संयुक्त प्रांत आगरा व् अवध मे हुआ था जो अब उत्तर प्रदेश कहलाता है । गोपालदास नीरज के पिता जी का नाम बाबू ब्रजकिशोर सक्सेना था ।गोपालदास नीरज की पत्नी का नाम सावित्री देवी सक्सेना है । गोपालदास नीरज और सावित्री देवी सक्सेना के बच्चों का नाम शशांक प्रभाकर , कुंदनिका शर्मा, मिलान प्रभात है । गोपालदास नीरज की उम्र जब 6 वर्ष की थी तब उनके पिता बाबू ब्रजकिशोर सक्सेना का देहांत हो गया था ।
गोपालदास नीरज की शिक्षा के बारे में – गोपालदास नीरज को बचपन से ही पढ़ने लिखने में काफी रुचि थी ।गोपालदास नीरज ने अपने पिता के गुजर जाने के बाद ईटा के हाई स्कूल से अपनी हाई स्कूल की परीक्षा पास की थी । इसके बाद उनके घर के हालात ठीक नहीं थे इसलिए उन्होंने काम करने के साथ-साथ पढ़ाई करने का फैसला किया था । प्राइवेट परीक्षाएं देकर उन्होंने अपनी इंटरमीडिएट की परीक्षा 1949 को पास की थी । इसके बाद वह और भी आगे की पढ़ाई करना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने बी.ए. करने का फैसला किया था ।
1951 में गोपाल दास नीरज ने बी.ए की डिग्री प्राप्त कर ली थी । जब गोपाल दास नीरज ने बी.ए. की डिग्री प्राप्त कर ली थी तब वह और भी आगे पढ़ना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने m.a. करने का फैसला किया था । गोपालदास नीरज के द्वारा 1953 में हिंदी साहित्य से m.a. पास किया गया था ।
गोपालदास नीरज के कैरियर के बारे में – गोपालदास नीरज को अपने शुरुआती केरियर में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था । गोपालदास नीरज जब पढ़ाई कर रहे थे तब पढ़ाई करने के साथ-साथ वह नौकरी भी किया करते थे । पढ़ाई करने के बाद अपने शुरुआती जीवन में उन्होंने इटावा की कचहरी मे टाइपिस्ट की नौकरी करना प्रारंभ कर दिया था परंतु कुछ ही समय बाद गोपालदास नीरज ने कचहरी की नौकरी छोड़ दी थी जिसके बाद वह सिनेमा घर की एक दुकान पर नौकरी करने लगे थे । कुछ समय तक उन्होंने सिनेमाघर की दुकान पर नौकरी की परंतु वहां पर भी उनका मन नहीं लगा और वह उस नौकरी को छोड़ कर दिल्ली चले गए थे ।
जब वह दिल्ली गए तब गोपालदास नीरज को दिल्ली के सफाई विभाग में टाइपिस्ट की नौकरी मिल गई और वह उस नौकरी को करने लगे थे परंतु कुछ समय बाद उन्होंने सफाई विभाग से भी नौकरी छोड़ दी थी जिसके बाद वह कानपुर चले गए थे । कानपुर के डी.ए.वी. कॉलेज में गोपालदास नीरज क्लर्क की नौकरी करने लगे थे परंतु कुछ समय बाद उन्होंने वह नौकरी भी छोड़ दी थी । गोपालदास नीरज बाल्कट ब्रदर्स प्राइवेट कंपनी मे नौकरी करने लगे थे ।
यहां पर गोपालदास नीरज ने तकरीबन 5 साल तक टाइपिस्ट के रूप में काम किया था । इसके बाद गोपालदास नीरज इस नौकरी को छोड़कर मेरठ चले गए थे और मेरठ के एक कॉलेज में हिंदी प्रवक्ता के पद पर रहकर कार्य करने लगे थे परंतु कॉलेज के कुछ लोगों के द्वारा जब उन पर कक्षाएं ना लेने का आरोप लगाया तब उन्होंने नौकरी छोड़ने का निर्णय ले लिया था । इसके बाद वह अलीगढ़ चले गए और अलीगढ़ के धर्म समाज कॉलेज में नौकरी करने लगे थे । गोपालदास नीरज धर्म समाज कॉलेज में हिंदी विभाग के प्राध्यापक के रूप में कार्य करने लगे थे ।
कुछ समय तक उन्होंने धर्म समाज कॉलेज में कार्य किया था । गोपालदास नीरज कवी सम्मेलनों में जाते थे । धीरे-धीरे गोपालदास नीरज की लोकप्रियता बढ़ने लगी थी । गोपालदास नीरज की जब लोकप्रियता बढ़ी तब मुंबई से फिल्म जगत में गीत लिखने के ऑफर गोपालदास नीरज के पास आए थे और उन्होंने उस ऑफर को स्वीकार किया था । इसके बाद वह मुंबई जाकर बस गए और उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में गीत लिखे हैं । मेरा नाम जोकर , प्रेम पुजारी , शर्मीली , पतंगा , दुनिया , आरती , मेरा दिल तेरे लिए आदि फिल्मों में गोपालदास नीरज गीत लिख चुके हैं जिनके गीत आज भी लोगों को पसंद आते हैं ।
गोपालदास नीरज को मिले पुरस्कार के बारे में – गोपालदास नीरज एक बेहतरीन हिंदी साहित्यकार , शिक्षक और फिल्म गीत लेखक थे जिनकी लोकप्रियता को देखते हुए गोपालदास नीरज को फिल्म फेयर पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया था । इसके बाद गोपालदास नीरज को सर्वश्रेष्ठ गीतकार का पुरस्कार भी देकर सम्मानित किया जा चुका है । इसके बाद भारत सरकार के द्वारा गोपालदास नीरज को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था ।
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