गंगोत्री धाम का इतिहास Gangotri temple history in hindi
Gangotri temple history in hindi
Gangotri temple – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से गंगोत्री धाम के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर गंगोत्री धाम के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते है ।
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गंगोत्री के पावन धाम के बारे में – गंगोत्री का यह पावन धाम भारत देश के उत्तराखंड राज्य में स्थित है । जहां पर गंगोत्री गंगा नदी का उद्गम होता है इसीलिए गंगोत्री के इस स्थान को गंगा नदी का उद्गम स्थान कहा जाता है ।उत्तराखंड में गंगा नदी के पास में मंदिर स्थित है । इस मंदिर की सुंदरता देखने के लायक है । गंगोत्री धाम का सबसे सुंदर और पवित्र मंदिर समुद्र तल से तकरीबन 3042 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है । जब मंदिर पर पहुंचकर आसपास की सुंदरता देखते हैं तब बहुत ही बड़ा आनंद आता है क्योंकि आसपास की सुंदरता बहुत ही अद्भुत और चमत्कारी दिखाई देती है ।
गंगोत्री का यह पावन धाम भारत देश के उत्तरकाशी से तकरीबन 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । गंगोत्री धाम के निर्माण के बारे में ऐसा कहा जाता है कि गंगोत्री धाम में स्थित मंदिर का निर्माण तकरीबन 18वीं शताब्दी के दौरान कराया गया था । गंगोत्री के पावन धाम में स्थित गंगोत्री मंदिर के निर्माण का श्रेय कमांडर अमर सिंह थापा को जाता है । कमांडर अमर सिंह थापा के द्वारा इस मंदिर का निर्माण कार्य जब 18 वीं शताब्दी के दौरान कराया गया तब इस मंदिर के निर्माण के लिए काफी धन आसपास के क्षेत्र से एकत्रित किया गया था ।
जब यह मंदिर बनकर तैयार हो गया था तब इस मंदिर के पट सभी लोगों के लिए खोल दिए गए थे । इसके बाद इस मंदिर की सुंदरता को और भी सुंदर और अद्भुत बनाने का श्रेय जयपुर के एक राजघराने को जाता है जिसके द्वारा इस मंदिर का पुनः निर्माण कराया गया था । जब जयपुर के राजघराने के लोगों को इस मंदिर की सुंदरता और पवित्रता के बारे में पता चली तब राजस्थान में स्थित जयपुर के राजघराने के लोग इस मंदिर की सुंदरता को देखने के लिए गए हुए थे ।जब राज घराने के लोग इस मंदिर को देखने के लिए पहुंचे तब राजघराने के लोगों के द्वारा इस मंदिर के पुनः निर्माण के लिए काफी धन दिया गया था ।
जब इस मंदिर का पुनः निर्माण कराया गया तब इस मंदिर की सुंदरता और भी सुंदर दिखाई देने लगी थी । मई से लेकर अक्टूबर महीने में गंगोत्री के इस पावन धाम के दर्शनों के लिए काफी भक्त आते हैं और गंगोत्री धाम मे आकर भगवान के दर्शन करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । गंगोत्री धाम को लेकर भारतीय पुराणों में एक कथा भी कही जाती है । उस कथा के अनुसार यह कहा जाता है कि राम जी के पूर्वज रघुकुल के चक्रवर्ती राजा भागीरथ के द्वारा इस पावन धाम पर पवित्र शिलाखंड पर बैठकर कठिन तपस्या की गई थी ।
जिस स्थान पर भागीरथ के द्वारा कठोर तपस्या की गई थी , जिस शिलाखंड पर बैठकर भागीरथ के द्वारा भगवान शिव जी की कठोर तपस्या की गई थी उस शिलाखंड के निकट में गंगोत्री मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी के दौरान कराया गया था । गंगोत्री के इस पावन धाम के बारे में महाभारत में यह भी बताया गया है कि जब महाभारत के समय घोर युद्ध हुआ था तब पांडवों के परिजनों की मृत्यु हो गई थी और पांडवों के द्वारा मरे हुए परिजनों की आत्मिक शांति के लिए महान देव यज्ञ यहां पर कराया गया था ।
जब कोई भक्तगण गंगोत्री धाम की पावन यात्रा पर जाता है तब वह एक नैसर्गिक चट्टान के पास में स्थित भागीरथी नदी में जो शिवलिंग डूबी हुई है , जलमग्न है उस शिवलिंग को देखकर , उस शिवलिंग के दर्शन करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करता है । भारत देश के उत्तरकाशी का यह गंगोत्री धाम बहुत ही अद्भुत और चमत्कारी धाम है । यदि हम इस गंगोत्री धाम की यात्रा करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें गंगोत्री के पावन धाम की यात्रा करने के लिए अवश्य जाना चाहिए ।
जब हम गंगोत्री धाम के इस पावन धाम पर पहुंचेंगे तब हमें पता चलेगा कि गंगोत्री धाम की यात्रा करने से हमें सुख शांति समृद्धि प्राप्त होती है । जब हम अपनी आंखों से गंगोत्री धाम की सुंदरता को देखेंगे और मंदिर के आसपास के इलाकों की सुंदरता को देखेंगे तब हमें ऐसा महसूस होगा कि हम जन्नत में आ गए हो ।
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