राजस्थान का इतिहास एवं संस्कृति Rajasthan history in hindi

Rajasthan history in hindi

Rajasthan history- दोस्तों आज हम आपको इस लेख के माध्यम से राजस्थान के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और राजस्थान की संस्कृति एवं इतिहास को जानते हैं ।

Rajasthan history in hindi
Rajasthan history in hindi

भारत के मुख्य प्रांत राजस्थान  की  राजधानी जयपुर की स्थापना 1 नवंबर 1956 को हुई थी । एक नवंबर 1956 को राजस्थान की राजधानी जयपुर का गठन किया गया था । हाल ही की स्थिति में राजस्थान के 33 जिले हैं । राजस्थान की राजधानी जयपुर है जिसे पिंक सिटी भी कहा जाता है । राजस्थान को भारत का पेरिस भी कहा जाता है । राजस्थान का इतिहास काफी पुराना रहा है । राजस्थान का इतिहास तकरीबन 5000 वर्ष पुराना है । यहां पर कई राजाओं ने राज किया है । राजस्थान में राजपूताना घरानो का सबसे ज्यादा राज रहा है ।

यहां पर कई राजपूतों के द्वारा राज किया गया था । राजस्थान के इतिहास के बारे में ऐसा कहा जाता है कि पूर्व पाषाण काल से राजस्थान का इतिहास रहा है । राजस्थान के इतिहास के बारे में यह लिखा गया है कि लगभग एक लाख पूर्व समय में मनुष्य बनास नदी व् अरावली नदियों के किनारे निवास किया करते थे । उस समय के मनुष्य अपने भोजन की तलाश में पत्थरों के बने हुए औजारों को लेकर भ्रमण किया करते थे । कई प्राचीन काल समय पहले उत्तर पश्चिम दिशा में जो राजस्थान था वह राजस्थान मरुस्थलीय राजस्थान नहीं था । वहां पर सरस्वती जैसी विशाल नदियां थी ।

समय बीतता गया और नदियां विलुप्त होती चली गई । आज की स्थिति  में वहां पर मरुस्थलीय भूमि हैं । इस तरह से मरुस्थलीय राजस्थान का निर्माण हुआ था । यदि अब हम ईसा पूर्व समय की बात करें तो लगभग चौथी शताब्दी के दौरान राजस्थान अन्य छोटे-छोटे गणराज्य में बटा हुआ था । इन सभी गणराज्यों में सबसे शक्तिशाली और विशाल गणराज्य सिर्फ दो गणराज्य थे जिनके नाम सिवि और मालवा था । यह दो गणराज्य इतने शक्तिशाली गणराज्य थे कि कोई भी दुश्मन इन दो गढ़ राज्यों पर अपना आधिपत्य स्थापित करने से डरता था ।

उस समय सिकंदर जैसे महान योद्धा ने जब मालवा पर अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिए  अपने कदम मालवा की ओर बढ़ाएं  तब  मालवा की शक्ति को देखकर  सिकंदर  ने अपने कदम पीछे खींच लिए थे क्योंकि सिकंदर यह जान चुका था कि मेरी सेना यहां की सेना से युद्ध नहीं कर सकती है और सिकंदर नेे बिना युद्ध किए  अपने कदम  पंजाब से सिंध की ओर बढ़ा लिए थे । राजस्थान का इतिहास महाभारत काल में भी रहा है । महाभारत के समय मत्स्य और पूर्वी राजस्थान जयपुर का भी  जिक्र किया गया है ।

प्राचीन काल में जयपुर की उत्तर की ओर तकरीबन 80 किलोमीटर की दूरी पर एक बैराठ जगह स्थित है जिस जगह को विराटनगर के नाम से सभी जानते हैं । इस जगह का पता सम्राट अशोक के शिलालेखों से चला था।

स्वतंत्रता के बाद राजस्थान Rajasthan after independence – जब अंग्रेजों से भारत स्वतंत्र हुआ तब राजस्थान को स्वतंत्र गणराज्य बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी । आजादी के बाद राजस्थान को  सफल गणराज्य  प्रांत बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी ।   कई वर्षों तक यहां पर छोटी-छोटी रियासतों ने अपना आधिपत्य स्थापित करके रखा था । भारत के स्वतंत्र हो जाने के बाद 30 मार्च 1949 को राजस्थान भारत का मुख्य प्रांत बना था । यहां पर कई रियासतों के राजाओं ने राज किया था इसीलिए इस राज्य का नाम राजस्थान रखा गया था । राजस्थान शब्द का अर्थ है राजाओं का स्थान ।

राजस्थान के कई क्षेत्रों में राजपूत , अहीर , गुर्जर , जाट , मौर्य आदि समाज के राजाओं ने अपना आधिपत्य स्थापित किया था । राजस्थान के पूरे भू भाग में तकरीबन 19 देशी रियासतें स्थापित थी । इनमें से 1 केंद्र शासित प्रदेश भी स्थापित था । इस केंद्र शासित प्रदेश को सीधे केंद्र यानी अंग्रेज ब्रिटिश शासन देखता था । केंद्र शासित जो प्रदेश बनाया गया था उसकी राजधानी अजमेर मेरवाड़ा रखी गई थी  । यह केंद्र शासित प्रदेश सीधे ब्रिटिश शासन के अधीन थी । जब देश आजाद हुआ तब राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया को प्रारंभ किया गया था ।

राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया को 18 मार्च 1948 को प्रारंभ किया गया था । राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया कई चरणों में पूरी की गई थी । राजस्थान के एकीकरण के बारे में ऐसा कहा जाता है कि राजस्थान के एकीकरण में तकरीबन 8 से 9 वर्ष का समय लगा था । जब राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ की गई तब राजस्थान के एकीकरण का अध्यक्ष सरदार वल्लभभाई पटेल एवं सचिव वीपी मैनन को चुना गया था । इन दोनों की उपस्थिति में राजस्थान का एकीकरण किया गया था ।राजस्थान के एकीकरण में सरदार वल्लभभाई पटेल की मुख्य भूमिका रही थी । उन्हीं की देखरेख में राजस्थान का एकीकरण किया गया था ।

राजस्थान के एकीकरण को कई चरणों में विभाजित किया गया था जिससे कि राजस्थान के एकीकरण में किसी तरह की कोई समस्या ना आए ।

राजस्थान का एकीकरण Integration of Rajasthan – राजस्थान का एकीकरण करने के लिए पहला चरण 18 मार्च 1948 को प्रारंभ किया गया था । पहले चरण में भरतपुर , अलवर , धौलपुर , करौली नामक स्थान के देशी रियासतों का विलय किया गया था । स्वतंत्र भारत में फरवरी 1948 को अपने विशेष अधिकारों का उपयोग करके यहां पर मत्स्य यूनियन नाम का पहला संघ बनाया था । यह राजस्थान के निर्माण का पहला कदम था । इसके बाद कई रियासतों का विलय किया गया और राजस्थान के कई रियासतों का विलय करने के बाद भारत के मुख्य प्रांत राजस्थान का निर्माण किया गया था । 30 मार्च 1949 को राजस्थान भारत का एक मुख्य प्रांत बन गया था ।

राजस्थान की संस्कृति culture of Rajasthan – राजस्थान की संस्कृति बहुत ही अच्छी एवं सुंदर लगती है । यहां के पहनावे से लेकर यहां की भाषा में  राजस्थान की संस्कृति दिखाई देती है ।  यहां की संस्कृति के बारेे में जितने अच्छे शब्द कहेे जाएं उतने कम है । यहां के लोग सांस्कृतिक प्रवृत्ति के दिखाई देते हैं । यहां की संस्कृति इतनी अद्भुत है कि देश विदेश के कोने-कोने से लोग यहां की संस्कृति एवं कला को देखने के लिए आते हैं । राजस्थान की महिलाओं के  पहनावे की चर्चा  देश विदेशों में तक होती है । राजस्थान का पहनावा बहुत ही सुंदर है । यहां के लोक संगीत की चर्चा दूर दूर तक होती है ।

यहां के पारंपरिक नियम बहुत ही अच्छे हैं ।राजस्थान में ऐसा कोई सा भी महीना नहीं है जिस महीने में कोई त्योहार ना हो । राजस्थान के लोगों की आस्था त्योहारों में देखी जाती है । राजस्थान के लोगों की आस्था देशभक्ति एवं धर्म प्रवृत्ति की होती है । वहां के लोग धर्म को सर्वोपरि मानते हैं । राजस्थान के लोग दूर दूर से आए पर्यटकों को मान सम्मान देने के साथ साथ उनको पूरी शिद्दत से राजस्थान का भ्रमण कराते हैं । इसीलिए आज राजस्थान की संस्कृति को विदेशों में तक याद किया जाता है ।

राजस्थानी संगीत Rajasthani music – राजस्थान का संगीत बहुत ही फेमस संगीत है । यहां के नृत्य को बहुत ही अच्छे तरीके से प्रस्तुत किया जाता है । राजस्थान का जो राजस्थानी संगीत होता है वह मोह लेने वाला होता है । जब कोई राजस्थान के संगीत को सुनता है तब उसे आनंद की अनुभूति होती है । राजस्थान के संगीत में  बहुत ही आनंद छुपा हुआ होता है । राजस्थान के संगीत से लोगों को प्रेम हैं क्योंकि राजस्थान के संगीत को जब गाया जाता है तब आनंद की अनुभूति होती है ।

राजस्थान का जो भी संगीत गाया जाता है , जो भी गीत गाया जाता है उस गीत के माध्यम से मौसम के बारे में एवं वहां की संस्कृति के बारे में बताया जाता है । लोक संगीत के माध्यम से वहां के मुख्य पर्यटक स्थलों के बारे में भी बताया जाता है । राजस्थान की संस्कृति , राजस्थान की सुंदरता , राजस्थान  के गाने , वहां के पर्यटक स्थानों के बारे में जितनी भी प्रशंसा की जाए उतनी ही कम है क्योंकि सुंदरता केेे हिसाब से राजस्थान बहुत अच्छा राज्य है ।

लोक संगीत  पर  जब  राजस्थान की महिलाएं नृत्य करती हैं  तब  उस नृत्य में  सांस्कृतिक झलकियां दिखाई देती है  । राजस्थानी नृत्य  को देखने के लिए दूर-दूर से लोग एकत्रित होते हैं ।राजस्थान का नृत्य प्राचीन समय से ही प्रसिद्ध रहा है  ।प्राचीन समय में देश विदेश से राजस्थानी नृत्य देखने के लिए लोग आते थे और नृत्य का आनंद लेते थे ।

राजस्थान के महल Palaces of Rajasthan-  जब मेहलो की बात आती है तब राजस्थान सबसे आगे रहता है क्योंकि यहां के महल बहुत ही शानदार एवं चमत्कारी हैं । यहां पर राजाओं के द्वारा अपना आधिपत्य चलाया गया है । राजाओं के द्वारा कई महलों का निर्माण किया गया है । पुरानेे महलों को आज जब हम देखते हैं तब हमें राजस्थान की संस्कृति पर नाज होने लगता है । यहां के महल , राजा महाराजाओं की कहानियां दूर-दूर तक फैली हुई है ।

कई विदेशी पर्यटक राजस्थान के महल देखने के लिए आते हैं और अपने कैमरे में मेंहलों के फोटो खींच कर ले जाते हैं । यदि हम राजस्थान के जयपुर में स्थित हवा महल के बारे में बात करें तो यह सबसे पुराना और अद्भुत महल है । हवामहल जयपुर का सबसे प्रसिद्ध  महल है । जो भी व्यक्ति जबजयपुर घूमने  के लिए आता है वह हवा महल को देखने के लिए अवश्य जाता है । क्योंकि जयपुर का हवामहल बहुत ही सुंदर महल है।  इसके बाद लालगढ़ महल भी राजस्थान का सबसे सुंदर महल है । यहां पर लाखों पर्यटक घूमने के लिए आते हैं और अपने कैमरे में लालगढ़ महल के फोटो खींच कर ले जाते हैं ।

एम्बर पैलेस कि जब बात आती है तब लोगों का दिल प्रसन्न हो जाता है । उनको आनंद की अनुभूति होने लगती है क्योंकि एम्बर पैलेस बहुत ही सुंदर एवं अद्भुत हैं ।

राजस्थान के जिले districts of Rajasthan- राजस्थान के 33 जिले हैं । राजस्थान के प्रत्येक जिले की कोई ना कोई पहचान अवश्य है । राजस्थान के 33 जिलों के नाम इस प्रकार से हैं । अजमेर , बारां , बांसवाड़ा , भीलवाड़ा , बाड़मेर , बूंदी , बीकानेर , दौसा , चुरु , डूंगरपुर , धौलपुर , करौली , हनुमानगढ़ , जयपुर , जाजौर , चित्तौड़गढ़ , जैसलमेर , झुंझुनू , झालावाड़ , जोधपुर , नागौर , कोटा , प्रतापगढ़ , पाली , सवाई माधोपुर , राजसमंद , सिरोही , श्रीगंगानगर , सीकर , टोंक , उदयपुर आदि राजस्थान के जिले हैं ।राजस्थान की राजधानी जयपुर है जोकि पिंक सिटी के नाम सेे भी जानी जाती है ।

राजस्थान की नदियां Rivers of Rajasthan- राजस्थान में तकरीबन 15 मुख्य नदियां हैं जिनके नाम इस प्रकार से हैं चंबल नदी , बाणगंगा , कालीसिंध , गंभीरी नदी , बनास नदी , पार्वती नदी , मादी नदी , धग्धर नदी , सोन नदी , काकनी नदी , काटली नदी , जोखम नदी , साबरमती नदी , मंथा नदी आदि । यह राजस्थान की प्रमुख नदियां हैं ।

राजस्थान की राजधानी Capital of Rajasthan- राजस्थान की राजधानी जयपुर है जिसे पिंक सिटी भी कहा जाता है । जयपुर में कई प्राचीन काल के महल स्थित है । राजस्थान की राजधानी जयपुर में ऊंचे ऊंचे पहाड़ स्थित हैं जहां पर कई पर्यटक देश विदेशों से घूमने के लिए  आते हैं । राजस्थान की राजधानी जयपुर में हवा महल भी स्थित है । यह हवा महल बहुत बड़ा है । हवामहल को देखने के लिए पर्यटक आते हैं और हवा महल की सुंदरता को अपने कैमरे में खींच कर ले जाते हैं ।

राजस्थान की राजधानी जयपुर ने कई फिल्मों की शूटिंग की जाती है क्योंकि वहां के पर्यटक स्थल बहुत ही सुंदर हैं । रेल मार्ग से लेकर हवाई मार्ग की सुंदरता दूर-दूर तक फैली हुई है । ऊंचे ऊंचे पहाड़ यहां की सुंदरता और भी बढ़ाते हैं । राजस्थान की राजधानी जयपुर की सड़कें फोर लाइन हैं जहां पर लाखों करोड़ों लोग अपनी गाड़ी में लेकर गुजरते हैं । राजस्थान की राजधानी जयपुर के बाजार बहुत ही सुंदर दिखाई देते हैं । यहां का मार्केट बहुत अच्छा है ।

जयपुर की सुंदरता को देखने के लिए देश विदेशों से लोग आते हैं । जयपुर में पर्यटकों को घुमाने के लिए कई टूरिस्ट रिदम होते हैं जिनकी सहायता से पर्यटक घूमते हैं । राजस्थान की राजधानी जयपुर सबसे बड़ा शहर है । यहां की जनसंख्या सबसे ज्यादा है । यहां का क्षेत्रफल सबसे ज्यादा है । राजस्थान की राजधानी जयपुर अरावली पर्वत मालाओं से घिरी हुई है। यहां पर कई विशाल पर्वत मौजूद हैं । अरावली पर्वतों से घिरे होने के कारण यहां की सुंदरता और भी अच्छी लगती है ।

राजस्थान की राजधानी जयपुर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस शहर की स्थापना आमेर के राजा जयसिंह द्वितीय के द्वारा 1728  को की गई थी । 1876 के समय में जब इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ एवं प्रिंस ऑफ वेल्स और अल्बर्ट भारत में भ्रमण के लिए आ रहे थे तब महाराजा सवाई राम सिंह ने पूरी जयपुर को गुलाबी फूलों से सजा दिया था । पूरा जयपुर गुलाबी रंग में रंग गया था ।इसी कारण से जयपुर को पिंक सिटी भी कहा जाता है ।जयपुर  घूमने के लिए सबसे अच्छा शहर माना जाता है क्योंकि यहां पर घूमने के लिए जंतर मंतर , नाहरगढ़ दुर्ग , हवामहल एवं वेधशाला जैसे पर्यटन स्थल हैं । इन सभी पर्यटन स्थलों को देखने के लिए देश एवं विदेश से लोग यहां पर आते हैं और पर्यटन का आनंद उठाते हैं ।

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