घडी की आत्मकथा पर निबंध Ghadi ki atmakatha essay in hindi
Ghadi ki atmakatha essay in hindi
दोस्तों कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं घड़ी की आत्मकथा पर हमारे द्वारा लिखित निबंध आप इसे जरूर पढ़ें हमारे द्वारा लिखित यह एक काल्पनिक आर्टिकल है तो चलिए पढ़ते हैं आज के इस आर्टिकल को।
मैं एक सुंदर सी घड़ी हूं मेरा रंग लाल है, मैं दिखने में इतनी सुंदर हूं कि हर कोई मुझे अपने साथ में ले जाना चाहता है। मेरा निर्माण घड़ी की फैक्ट्री में हुआ है वहां से कुछ लोगों ने मुझे अन्य घड़ियों के साथ मे एक दुकानदार के पास भिजवा दिया। दुकानदार शीशे के अंदर मुझे रखता है मुझे बहुत ही खुशी होती है और बहुत सारे ग्राहक उस दुकान में हम जैसी घड़ियों को देखने आते हैं। दुकानदार की बहुत सी घड़ियां एक दिन में कई ग्राहक खरीद ले जाते हैं लेकिन पिछले कुछ 10 या 12 दिनों से मैं दुकान में सिर्फ ग्राहकों को देखती रहती हूं मुझे कोई भी नहीं खरीदता क्योंकि मैं दुकान के कोने में पड़ी हुई हूं।
एक दिन शाम को एक बुजुर्ग व्यक्ति एक बच्चे के साथ उस दुकान में आए जैसे ही वह अंदर प्रवेश किए तो उस बच्चे की नजर मुझ पर पड़ गई वह बच्चा अपने दादाजी से मुझ घड़ी को खरीदने की जिद करने लगा मैं बहुत ही खुश हुई की कोई तो मुझे खरीद कर अपने घर ले जाएगा।तभी बच्चे के आग्रह करने पर उस बुजुर्ग ने कुछ रुपए देकर मुझ घड़ी को खरीद ही लिया मैं बहुत ही खुश हुई। बच्चे ने मुझे उस दुकान की अलमारी से उठाकर अपने बैग में रख लिया मैं अब उनके साथ में चलने लगी।
घर पर जाकर उसने मुझे बाहर निकाला तो मैंने देखा कि एक सुंदर सा घर है वह बच्चा मुझे उस घर के एक कमरे में ले गया और उसने एक आलमारी में मुझे रख दिया वह मुझे देखकर बहुत ही मुस्कुराता। वह बच्चा पांचवी क्लास में पढ़ता था और हमेशा मुझमें टाइम फिक्स करके रख देता था मैं सुबह 5:00 बजे बजने लगती थी और उस बच्चे को जगा देती थी फिर वह बच्चा पढ़ाई करने लगता था।
मुझे बहुत ही खुशी होती मैं बहुत ही खुश हूं मैं हमेशा यही सोचती हूं कि कब सुबह हो और कब मैं बजकर उस बच्चे को जगा दू। आज मुझे काफी दिन हो चुके हैं मेरी उम्र धीरे धीरे ढलती जा रही है। कभी कभी मुझ घड़ी को यह सोच कर डर भी लगता है की एक दिन में बूढ़ी हो जाऊंगी और लोग मुझे अपने घर के एक कोने में रख देंगे, मैं किसी काम की नहीं रहूंगी आज जो लोग मुझे देखकर काफी खुश होते हैं उनके लिए मैं किसी काम में नहीं आ पाऊंगी मैं यही सोचकर दुखी होती हूं लेकिन ये सोच कर थोड़ी तसल्ली हो जाती है कि हर एक के जीवन में बुढ़ापा तो आता ही है मैं भी एक दिन पुरानी हो जाऊंगी।
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