भारतीय राजनीतिक प्रणाली पर निबंध Essay on political system in india in hindi

Essay on political system in india in hindi

Political system – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भारतीय राजनीतिक प्रणाली पर लिखे निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर भारतीय राजनीतिक प्रणाली पर लिखे निबंध के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।

Essay on political system in india in hindi
Essay on political system in india in hindi

भारतीय राजनीतिक प्रणाली के बारे में – भारत देश एक लोकतांत्रिक देश है । भारत देश की जो राजनीति है वह राजनीति संविधान के हिसाब से चलती है । भारत देश की जो सरकारें चुनी जाती है वह सरकारें जनता के द्वारा चुनी जाती है । जो सरकार जीत कर राज्य एवं केंद्र पर अपना शासन लागू करती है वह जनता के द्वारा बनाई जाती है ।राज्य एवं केंद्र की सरकार के जो मंत्री होते हैं उन मंत्रियों के द्वारा देश के हित में एवं जनता के हित में कार्य किए जाते हैं । भारत देश में जो राष्ट्रपति होता है वह भारत देश का प्रमुख होता है ।

इसके बाद भारत देश का जो प्रधानमंत्री होता है वह केंद्र की सरकार का प्रमुख होता है जिसके द्वारा केंद्रीय मंत्रियों का गठन किया जाता है और सभी विभाग के मंत्रियों को चुना जाता है । प्रधानमंत्री सभी मंत्रियों का लीडर होता है । भारत मेे केंद्र सरकार और राज्य सरकार दो सत्ताएं होती है । भारत के संविधान में यह प्रावधान किया गया है कि भारत के विधानमंडल मे द्विसदनीयता का प्रावधान होगा । जिस प्रावधान में ऊपरी सदन , जिसको हम राज्यसभा कहते हैं । जो राज्यसभा भारतीय संघ के राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश का प्रतिनिधित्व करता है जिसे हम लोकसभा या ऊपरी सदन कहते हैं ।

इसके बाद निचला सदन होता है जिसे हम लोकसभा कहते हैं ।  यह लोकसभा भारत में रहने वाले सभी नागरिकों का प्रतिनिधित्व करती है । भारत देश में केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार दोनों मिलकर विकास के कार्य करती हैं जो संविधान के हिसाब से विकास के कार्य करती है । किसी भी सरकार को संविधान के खिलाफ कार्य करने की छूट नहीं होती है । यदि हम संविधान की बात करें तो भारतीय संविधान भारतीय नागरिकों और सरकार को बांधे रखता है । भारतीय संविधान के अनुसार भारत एक समाजवादी , प्रधान , धर्मनिरपेक्ष , लोकतांत्रिक राज्य है ।

जहां पर संविधान को सर्वोपरि माना जाता है । भारत देश के किसी भी मंत्री या किसी कर्मचारी को संविधान के खिलाफ कार्य करने की छूट नहीं होती है । यदि कोई व्यक्ति संविधान के खिलाफ कार्य करता है तो उसे सजा का प्रावधान भी भारत देश में उपलब्ध है । भारत देश के राजनीतिक समीकरण बहुत ही सक्रिय होते हैं । भारत देश की राजनीति जनता पर निर्भर करती है क्योंकि जनता के माध्यम से ही केंद्र एवं राज्य की सरकारें चुनी जाती हैं । यदि हम केंद्र सरकार और राज्य सरकार की शक्तियों के बारे में बात करें तो केंद्र सरकार राज्य सरकार से अधिक शक्तिशाली होती है ।

केंद्र सरकार के पास राज्य सरकार से अधिक शक्तियों का प्रावधान होता है जो प्रावधान ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली पर आधारित है । कभी-कभी ऐसा हो जाता है कि किसी राज्य में पक्ष और विपक्ष दोनों सरकारों के पास पूर्ण बहुमत नहीं होता है जिसके कारण दोनों पार्टियां अपनी सरकार बनाने में सफल नहीं हो पाती है । जिसके बाद उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है । जब तक राज्य की पार्टियां अपना पूर्ण बहुमत सिद्ध नहीं करती है तब तक उस राज्य पर राष्ट्रपति शासन स्थापित रहता है ।

राष्ट्रपति शासन की भी कुछ समय सीमा होती है जो निश्चित होती हैं । निश्चित समय सीमा तक यदि किसी पार्टी ने अपना पूर्ण बहुमत सिद्ध नहीं किया तो राज्य में दोबारा से चुनाव कराने की प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है । भारत देश में केंद्रीय एवं राज्य सरकार में जो मंत्री पद पर होते हैं उनके द्वारा ही राजनीति समीकरण निर्धारित किया जाता है । किस क्षेत्र में कितने विकास कार्य करने हैं , गरीबों को किस तरह से सहायता पहुंचा  है इसके बारे में मंत्री विचार-विमर्श करते हैं और मंत्रियों के माध्यम से योजनाएं बनाकर तैयार की जाती है ।

यदि प्रदेश स्तर पर योजनाएं बनाई गई है तो प्रदेश का मुख्यमंत्री उन योजनाओं का शिलान्यास करता है । यदि केंद्र स्तर पर योजनाएं मंत्रियों के द्वारा बनाई जाती है तो प्रधानमंत्री के द्वारा उन योजनाओं का शिलान्यास किया जाता है । जब किसी तरह की कोई योजना केंद्र एवं राज्य की सरकार के द्वारा बनाई जाती है तब उस योजना को लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों से उस योजना को पास कराया जाता है । जब दोनों सदनों से प्रस्ताव पास करा लिया जाता है तब देश के भारतीय नागरिकों को उन योजनाओं का लाभ दिया जाता है ।

भारत देश के संविधान में बदलाव करना मंत्रियों के हाथ में होता है । संविधान के किसी नियम को बदलने के लिए केंद्र एवं राज्य दोनों सदनों में नियम को बदलने के लिए प्रस्ताव को प्रस्तुत किया जाता है ।

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