भगवान श्री राम पर निबंध Essay on lord rama(shri ram) in hindi

Essay on lord rama in hindi

दोस्तों नमस्कार, आज हम भगवान श्री राम पर निबंध लिखने वाले हैं आप इस लेख को जरूर पढ़ें तो चलिए पढ़ते हैं आज के हमारे इस आर्टिकल को

Essay on lord rama(shri ram) in hindi
Essay on lord rama(shri ram) in hindi

प्रस्तावना– भगवान श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे, भगवान श्री राम सर्वगुण संपन्न थे। वह भगवान विष्णु के अवतार थे उन्होंने राक्षसों का संहार करने के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया था और हमें जीवन में काफी कुछ सीख दी है।

भगवान श्री राम के बारे में- भगवान श्री राम का जन्म श्री दशरथ जी के यहां पर हुआ था। भगवान श्री राम के भाइयों का नाम लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न था यानि यह चार भाई थे। भगवान श्री रामचंद्र जी ने अपने भाइयों के साथ महर्षि वशिष्ठ के यहां पर शिक्षा प्राप्त की थी और उसके बाद वह अयोध्या वापस आ गए थे।

उन्होंने ताड़का नामक राक्षसी का भी बध किया था। भगवान श्री राम को उनकी माता कैकई ने 14 वर्ष का वनवास दिया था वैसे तो भगवान श्री राम चंद्र के पिता श्री दशरथ जी कभी भी अपने पुत्र को अपने से दूर नहीं करना चाहते थे लेकिन दशरथ जी ने कैकई को कुछ वर दिए थे जिनको पूरा करना भी दशरथ जी का कर्तव्य था

इसलिए भगवान श्री राम जी ने अपने पिता दशरथ जी के वचनों को झूठा नहीं होने दिया और अपने भाई लक्ष्मण और भार्या सीता जी के साथ जंगल में चले गए थे। वह जंगल में कई ऋषि मुनियों से मिले और जंगल में ही रहने लगे लेकिन तभी राक्षसों के बीच रहते रहते एक दिन रावण ने सीता जी का हरण कर लिया।

फिर भगवान श्री राम अपनी पत्नी सीता जी को ढूंढने के लिए निकल पड़े तभी उनकी मुलाकात सुग्रीव जी से हुई, जो कि वानरों के राजा थे इनमें से ही एक थे पवन पुत्र श्री हनुमान जी।

आखिर में किसी तरह भगवान श्री राम ने लंका जाने के लिए सेतु का निर्माण किया जिसको रामसेतु कहते हैं। रामसेतु के जरिए वह लंका के करीब पहुंचे और फिर राम रावण के बीच युद्ध हुआ इस युद्ध में रावण की पराजय हुई और श्री रामचंद्र की जीत हुई और सकुशल श्री रामचंद्र जी अपनी भार्या सीता जी को लेकर आ गए और फिर वह अयोध्या वापस आ गए।

अयोध्या वापस आने के बाद श्री रामचंद्र जी का राज्याभिषेक हुआ और राम राज्य की स्थापना हुई।

उपसंहार– भगवान श्री रामचंद्र जी के जीवन से वास्तव में हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। धैर्य, क्षमा, पराक्रम, दोस्ती निभाना आदि श्री रामचंद्र जी के गुणों को हमें अपनाना चाहिए और जीवन में आगे बढ़ना चाहिए वास्तव में भगवान श्री रामचंद्र जी ने अधर्म पर धर्म की विजय की और पूरी दुनिया को दिखा दिया की यदि कोई कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो लेकिन यदि वह अधर्म के मार्ग पर चल रहा है तो उसकी पराजय होना निश्चित है।

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