चील पर निबंध Essay on kite bird in hindi
Essay on kite bird in hindi
Kite bird दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से चील पर लिखे निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर चील पर लिखे निबंध के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।
चील के बारे में – चील श्येन कुल का एक पक्षी है । जिसको बहुत ही चतुर पक्षी माना जाता है । यह अपने शिकार को बहुत तेजी से झपटता है । चील प्रजाति पूरी दुनिया के सभी देशों में पाई जाती है । जिसके कई रंग होते हैं । चील एक ऐसी प्रजाति है जो बंदरगाह इलाकों में सबसे अधिक पाई जाती है । अब हम आपको कुछ ऐसी प्रमुख प्रजाति के चील के बारे में बताने जा रहे हैं जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है । काली चील , काली चील भारत देश के साथ साथ अमेरिका , अफगानिस्तान , थाईलैंड जैसे देशों में भी पाई जाती है । इसके बाद ब्राह्मनी चील , ब्राह्मनी चील एक ऐसी पक्षी है जो सड़ी गली चीजें खाती है ।
यह चील सर्वभक्षी चील कहलाती है । इस ब्राह्मनी चील का वैज्ञानिक नाम हैलीएस्टर इंडस है । इस चील को और भी कई नामों से लोग पुकारते हैं । जैसे कि क्षेमकारी और खेमकरी आदि । यह चील भारत देश में सबसेेेे अधिक संख्या में पाई जाती है । इसीलिए इस पक्षी को भारतीय चील भी कहा जाता है । भारत देश के साथ साथ यह चील और भी कई देशों में पाई जाती है । उन देशों के नाम इस प्रकार से हैं ऑस्ट्रेलिया , थाईलैंड , चीन , मलय आदि । यह चील बंदरगाहों जैसे क्षेत्रों में सबसे अधिक पाई जाती है । इस प्रजाति की चील मेंढक को खाकर अपनी भूख मिटाती हैं ।
इस प्रजाति की कुछ चीले धान के खेतों के आसपास भी रहती हैं । जो चील धान के खेत के आस-पास रहती है वह चील धान को खाकर अपना पेट भरती है । इस प्रजाति की चील टिड्डीयो को खाकर भी अपना पेट भरती हैं । इस प्रजाति की चील की लंबाई तकरीबन 19 इंच होती है । यदि हम इस प्रजाति की चील के रंग के बारे में बात करे तो इस प्रजाति की चील का रंग कत्थई होता है । इस चील के सिर एवं सीने का जो रंग होता है वह रंग सफेद होता है । इसकी टांगे पतली होती हैं ।
यह अपनी चोंच के माध्यम से शिकार बहुत तेजी से करती है । जिस कीट का यह शिकार करती है उसको भागने का मौका तक नहीं देती है । इस प्रजाति की चील एक बार में तकरीबन 2 से 3 अंडे देती है । यह चील इतनी जिद्दी होती है की पतली से पतली डाली पर अपना घोंसला बना लेती है । यदि पतली डाली से घोंसला गिर जाता है तो वह उसी डाली पर अपना घोंसला बनाती है । इस प्रजाति की चील को लाल पीठ बाला समुद्री चील भी कह कर संबोधित किया जाता है । इसके बाद हम आपको काली चील के बारे में बताने जा रहे हैं ।
काली चील एक मौकापरस्त पक्षी है । काली चील के बारे में ऐसा कहा जाता है कि काली चील अपना अधिक समय आसमान में उड़ने में बिता देती है । काली चील बहुत कम शिकार करती है । वह मृत जानवरों को ढूंढती रहती है ।जब काली चील को मृत जानवर मिल जाता है तब वह मृत जानवर को खाकर अपने पेट की भूख मिटाती है । भारत में काली चील सबसे अधिक पाई जाती है । भारत में पाई जाने वाली काली चील का आकार छोटा होता है । काली चील भारत के साथ-साथ पूरे एशिया में भी पाई जाती है ।काली चील ऑस्ट्रेलिया में भी सबसे अधिक पाई जाती है ।
काली चील के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस प्रजाति की चील ने इंसानों के साथ में रहना भी सीख लिया है ।काली चील ज्यादातर अपने भोजन में छोटी-छोटी मछलियां , छोटे छोटे पक्षियों , चमगादड़ का गोश्त खाती है । जब यह काली चील शिकार करती है तब वह अपनी नुकीली चोंच के माध्यम से शिकार करती है । काली चील दो से तीन अंडे देती है । जब काली चील अंडे देती है तब उन अंडों को 30 से 35 दिन तक सेया जाता है । जब उन अंडों में से चील के बच्चे बाहर निकलते हैं तब वह बच्चे घोंसले मे तकरीबन 1 से 2 महीने तक रहते हैं ।
काली चील का वैज्ञानिक नाम मिलवुस मिगरांस है । काली चील अन्य चीलो की तरह पेड़ की पतली डाली पर अपना घोंसला देती हैं । काली चील के द्वारा अपने घोंसले की सुरक्षा की जाती है । यदि किसी कारण बस चील का घोंसला पेड़ से गिर जाता है तब वह दोबारा उसी पेड़ पर अपने घोंसले को रखकर घोंसला बना लेती है । काली चील आग वाले स्थान पर सबसे अधिक देखी जाती है ।
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