दलित की आत्मकथा dalit atmakatha in hindi

dalit atmakatha in hindi

दोस्तों आज हम आपको इस लेख के माध्यम से दलित की आत्मकथा सुनाने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और दलित की आत्मकथा को पढ़ते हैं । मैं दलित समाज का व्यक्ति हूं । आज मैं आपको इस लेख के माध्यम से दलित समाज की आत्मकथा बताने जा रहा हूं । कई सदियों से दलित समाज के लोगों को घृणा की नजर से देखा जाता रहा है । कभी-कभी मैं यह सोचता हूं कि यदि मेरा जन्म दलित समाज में हुआ है तो इसमें मेरा क्या कसूर है ।

dalit atmakatha in hindi
dalit atmakatha in hindi

बचपन से ही मुझे दलित होने के कारण प्रताड़ना सहन करना बड़ी है । जब हमारा देश आजाद नहीं हुआ था तब दलितों पर अत्याचार किए जाते थे , उनको उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता था । आज  हमारा देश पूरी तरह से स्वतंत्र हो चुका है । भारत देश के सभी नागरिकों को स्वतंत्रता का अधिकार है फिर भी भारत देश में दलितों को हक नहीं दिए जाते हैं । जब मैं छोटा था तब उच्च वर्ग के लोग अपने बच्चों को मेरे साथ में नहीं खेलने देते थे ।

मैं उस समय यह सोचता था कि दलित समाज में जन्म लेना शायद अपराध सा होता है । मेरी उम्र बढ़ती गई और मैं पढ़ाई करने के लिए स्कूल में गया तो स्कूल में भी कई बच्चे मुझसे दोस्ती करने से कतराते थे ।इस तरह से दलित समाज को बुरी नजरों से देखा जाता है । स्कूल में दलित बच्चों के लिए अलग पानी की टंकी रखी होती है वहां से दलित बच्चे पानी पीते हैं । दलित बच्चों को ऊंची जाति के बच्चों के साथ नहीं खेलने दिया जाता था ।

जब दलित बच्चा ऊंची जाति के बच्चों के साथ खेलने के लिए जाता था तब ऊंची जाति के बच्चों को यह बताया जाता है की यह बच्चा दलित समाज का है उसके साथ खेलने से हम अपवित्र हो जाएंगे । हमारे देश में दलितों के सम्मान के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं । दलितों के लिए आरक्षण बनाया गया है । जिससे कि दलित समाज विकास कर सके । सरकार के इस आरक्षण के कारण ही दलित समाज के बच्चे सरकारी दफ्तरों में काम कर रहे हैं । धीरे-धीरे यह दुनिया बदलती जा रही है ।

उसी तरह से दलित समाज भी आगे की ओर बढ़ रही है ।जब देश आजाद नहीं हुआ था तब दलित समाज के लोग शिक्षित नहीं थे । इसी कारण से उन पर अत्याचार किए जाते थे लेकिन आज सभी दलित समाज शिक्षित हो रही है । पहले जब दलित व्यक्ति के ऊपर अन्याय किया जाता था तो वह अन्याय को सहन कर लेता था लेकिन आज हर दलित शिक्षित हो चुका है । उसको अपने अधिकार मालूम है । कुछ समय पहले दलित महिलाओं पर भी अत्याचार किए जाते थे उनको उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता था ।

आज सरकार के द्वारा बनाए गए कानून से दलित महिलाओं को न्याय प्राप्त हुआ है और वह अपने अधिकारों को प्राप्त कर रही है । दलित समाज ने छुआछूत जैसी परंपरा से अन्याय झेला है । आज बदलती हुई दुनिया में छुआछूत जैसी परंपराएं विलुप्त होती जा रही हैं । आज दलित समाज को हर क्षेत्र में जाने का अधिकार प्राप्त हुआ है । दलितों को भी समाज के लोगों के साथ उठने और बैठने का अधिकार प्राप्त हुआ है ।

पहले दलितों के मकान अलग होते थे । उनके साथ उठने बैठने से लोग घृणा करते थे । परंतु आज दलितों को सभी के साथ उठने बैठने , बातचीत करने का अधिकार है । मैं दलित होकर खुद को भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं क्योंकि आज की दुनिया में दलित समाज को भी मान सम्मान प्राप्त होने लगा है ।

दोस्तों हमारे द्वारा लिखा गया यह जबरदस्त लेख दलित समाज की आत्मकथा dalit atmakatha in hindi यदि पसंद आए तो सब्सक्राइब अवश्य करें धन्यवाद ।

 

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