दलित समाज का इतिहास dalit samaj history in hindi

dalit samaj history in hindi

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से दलित समाज के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस लेख को ध्यान से पढ़ते हैं । इस लेख को पढ़ने के बाद हम दलित समाज के इतिहास को जानेंगे ।

dalit samaj history in hindi
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दलित समाज काफी कठिनाइयों का सामना कर चुका है ।अनेक तरह की पीड़ा दलित समाज को झेलनी पड़ी हैं । पिछले कुछ वर्षों पहले हमारे देश में जाति भेदभाव अधिक किया जाता था  लेकिन जिस तरह से हमारा देश विकास की ओर प्रगति कर रहा है उस तरह से जाति भेदभाव भी धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है । दलित समाज के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जब भारत में मुस्लिम साम्राज्य था तब ब्राह्मण एवं ऊंची जाति के लोगों को मुस्लिम साम्राज्य के सैनिकों ने बंदी बना लिया था और उनको जेल खाने में बंद कर दिया था ।

मुस्लिम साम्राज्य के राजाओं ने हिंदू धर्म के लोगों को बंदी बनाकर उनके सामने दो विकल्प रखे थे । पहला विकल्प यह था कि जो हिंदू मुस्लिम धर्म को अपनाएगा उसको हम अपनी समाज में शामिल कर लेंगे । जो व्यक्ति मुस्लिम धर्म को नहीं अपनाएगा उसको मल साफ़ करना पड़ेगा । इस तरह से उनको प्रताड़ित किया गया था । जो हिंदू मुस्लिम साम्राज्य में  बंदी थे उन्होंने गंदा काम करने के लिए फैसला किया था और मुस्लिम धर्म नहीं अपनाया था ।

जब ब्रिटिश शासन भारत में आया तब ब्रिटिश शासन की कूटनीति भारत में जातिवाद को बढ़ाने की देखी गई थी । जो हिंदू समाज के भाई जिसे ब्रिटिश शासन के द्वारा दलित नाम दिया गया था । उनको ब्रिटिश शासन ने आश्वासन दिया था कि तुम यदि अपनी समाज को दलित का दर्जा ना देकर ईसाई धर्म अपना लो तो ब्रिटिश शासन तुमको इनाम देकर सम्मानित करेगा । इस तरह से दलितों को ऑफर दिया गया लेकिन जब समय बीतने के साथ दलितों को पता चला कि यह ब्रिटिश सरकार  हमारा फायदा उठा रही है तब दलितों ने अंग्रेजों का बहिष्कार करना प्रारंभ कर दिया था ।

उस समय दलितों के ऊपर अन्याय किए जा रहे हैं । उनके प्रति हमको अंदर से सोचना चाहिए कि जातिवाद भेदभाव से ना तो किसी का भला हुआ है ना ही होगा । देश के विकास में जातिवाद सबसे बड़ी रुकावट है । इस संसार में भगवान ने किसी तरह की कोई जाति नहीं बनाई है । जाति भेदभाव करना इंसान द्वारा ही प्रारंभ किया गया हैं । इंसान का सबसे बड़ा धर्म इंसानियत का होता है  ना कि धर्म का । ब्रिटिश शासन से लेकर मुस्लिम शासन ने दलितों पर अत्याचार किए गए थे ।

जब कोई दलित किसी से बातचीत करता था तो वह सामने वाला व्यक्ति यह सोचता था कि यह मुझे छू ना ले नहीं तो मैं आपवित्र हो जाऊंगा । ब्रिटिश शासन के समय ऐसा कहा जाता है कि जब कोई दलित उनके घर के आसपास थूक देता था तब  उसका विरोध किया जाता था । उस दलित को वहां से निकलने नहीं किया जाता था । दलित के बच्चों को स्कूलों में पढ़ाने की इजाजत नहीं थी । ब्राह्मण एवं हिंदू के बच्चों को दलित बच्चों से अलग रखा जाता था ।

दलित के बच्चों को ब्राह्मण के बच्चों के साथ खेलने का अधिकार नहीं था । कोई भी व्यक्ति दलित लोगों को अपमानित कर देता था ।  दलित की बच्चियों के साथ घोर अन्याय किए जाते थे लेकिन आज हमारे देश में शिक्षा का स्तर बहुत ऊंचा उठ चुका है और जाति भेदभाव में थोड़ी सी कमी आई है ।

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