शहरी जीवन पर निबंध City life essay in hindi

City life essay in hindi

shahari jeevan essay in hindi-दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं शहरी जीवन पर हमारे द्वारा लिखित निबंध तो चलिए पढ़ते हैं आज के इस आर्टिकल को

शहरी जीवन हम सभी को बहुत ही प्रभावित करता है लेकिन कहते हैं कि हमारा भारत देश गांवों का देश है हमारे भारत देश में सबसे ज्यादा गांव हैं जिसमें लोग रहते हैं उन लोगो का खेती किसानी प्रमुख व्यवसाय होता है जिससे वह अपनी जीविका चलाते हैं।

City life essay in hindi
City life essay in hindi

वह शहरों के शोर शराबे से दूर पेड़ पौधों से मिलने वाली स्वच्छ हवा में रहते हैं लेकिन शहरों का जीवन इसके विपरीत होता है शहरों में सुबह की शुरुआत ही शोर-शराबे से होती है सुबह-सुबह गांव से आया हुआ दूध वाला दूध देता है, हम सुबह से ही बहुत सारे वाहनों की आवाज सुनते हैं और कामकाजी लोग सुबह 9:00 या 10:00 बजे अपने काम पर अपनी मोटर बाइक से चले जाते हैं।

जब तक वह सुबह घर पर रहते है तब तक ही सुबह के समय शोर शराबे से बच पाते है लेकिन जब वो अपने ऑफिस पहुंच जाते हैं तब ऑफिस में भी शोर शरावे की आवाज सुनाई देती है लेकिन शहर के लोगों को शोर-शराबे की आवाज की आदत लग जाती है दोपहर के समय तो थोड़ा बहुत शोर शराबा कम हो जाता है लेकिन शाम होते-होते वही शोर शराबा और भी तेजी से बढ़ता जाता है।

अगर कोई गांव का व्यक्ति शहरों में कुछ दिन रहने आता है तो उसको बहुत ही अजीब लगता है, उसको कुछ ही दिन बिताने मुश्किल पड़ जाते हैं क्योंकि वह शोर-शराबे की दुनिया में कभी भी नहीं रहा हुआ होता है लेकिन शहरों में कई तरह की सुविधाएं भी हैं शहरवासी अगर बोर होते हैं तो वह अपने परिवार के साथ या दोस्तों के साथ या फिर अकेले सिनेमाघरों में फिल्म देखने के लिए चले जाते हैं, वह सुबह शाम नजदीक के पार्क या गार्डन आदि में घूमने जाते हैं। गांव में इस तरह के पार्क आदि नहीं होते शहरों में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए बस, टैक्सी आदि होती हैं।

शहरों में बड़े-बड़े स्कूल होते हैं, कॉलेज होते हैं जिनमें बच्चे पढ़ाई कर सकते हैं लोग शिक्षा को बहुत अधिक महत्व देते हैं लेकिन गांव में शिक्षा के लिए विशेष सुविधाएं नहीं होती जिस वजह से गांव के लोग शिक्षा अच्छी तरह से नहीं प्राप्त कर पाते और वो शहरों की ओर आते है। लोग जब पढ़ाई करते हैं तो पढ़ाई करने के बाद उन्हें कुछ रोजगार की जरूरत होती है गांव में प्रमुख रोजगार सिर्फ किसान के लिए खेती होता है नौजवान नौकरी या बिजनेस करना चाहते हैं नौकरी या बिजनेस करने के लिए शहरों पर निर्भर रहते हैं शहरों में बड़ी बड़ी कंपनियां, बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां होती हैं जिससे उन्हें रोजगार मिलता है वो पैसा कमाकर वहीं पर सेटल हो जाते हैं।

भारत देश में कुछ शहर ऐसे भी हैं जिनकी अगर पैदल यात्रा की जाए तो पूरा दिन भी लग जाएगा। शहरी जीवन हमारे लिए अच्छा भी है लेकिन दूसरी तरफ देखे तो शहरी जीवन हमारे जीवन में कुछ बुरा प्रभाव भी डालता है शहर के लोग जब अपने घर से बाहर निकलते हैं तो वह ज्यादातर अपने मोटरबाइक से बाहर निकलते हैं जिससे शहरों में धूम्र प्रदूषण होता है, वायु प्रदूषण होता है जिससे बहुत सारी बीमारियां भी होती हैं।

अगर हम शहरों के अस्पतालों में जाएं तो गांव के कुछ लोगों से अस्पतालों की तो स्थिति देखी भी नहीं जाएगी किसी की दुर्घटना की वजह से हाथ पैर टूटा पड़ा है तो किसी को अस्थमा है, किसी को शुगर है, किसी को कैंसर, किसी को टी वी है इस तरह के प्रदूषण की वजह से शहरी जीवन बहुत ज्यादा प्रभावित होता है। शहर के लोग भले ही पैसा कमाते हैं लेकिन उनका पैसा बहुत जल्दी खर्च हो जाता है उनका पैसा तरह तरह के खर्चे और बीमारियों में खर्च होता जाता है.

इसके अलावा हम देखें तो शहरों में लोग नए नए फैशन को अपनाते हैं गांव की ज्यादातर लड़कियां जो सलवार सूट पहनती हैं लेकिन शहरों की लड़कियां लड़कों की तरह पोशाक पहनने लगी है जींस, टी शर्ट, पैंट शर्ट या शोर्ट कपड़े शहरों का फैशन बन चुका है जमाने के साथ शहरों के फैशन बदलते जा रहे हैं। आजकल तो लड़का लड़कियों को पहचानना भी मुश्किल हो गया है कुछ लड़कियां तो लड़कों की तरह छोटे-छोटे बाल भी रखती हैं यह सब शहरी जीवन ही है।

शहरी लोग हमारी मातृभाषा हिंदी से ज्यादा इंग्लिश बोलना पसंद करते हैं वह अगर हिंदी में भी बातचीत करते हैं तो इंग्लिश के शब्दों का उपयोग करते हैं कि बेचारा कोई ग्रामीण व्यक्ति अगर उनसे वार्तालाप करना चाहे तो वह उसकी भाषा को नहीं समझ पाएगा। देश तेजी से बदलता जा रहा है शहरी जीवन में तरह तरह के बदलाव आ रहे हैं हम शहरी जीवन में भले ही बदलाव लाएं लेकिन हमें चाहिए कि हम हमारी देश की संस्कृति को ना भूलें उसका विशेष ध्यान रखें, दूसरों को इज्जत दे, मान सम्मान दें, बड़ों का आदर करें यह सब हमारे सांस्कृतिक गुण हैं, हमारे संस्कार हैं.

हमें हमेशा याद रखना चाहिए की बदलते जमाने में भले ही लोगों को शहरों में रोजगार मिल जाता है लेकिन फिर भी आज महंगाई के जमाने में लोग परेशान हैं नौकरियों से लोग ऊब चुके हैं उनकी जितनी आमदनी होती है उससे ज्यादा तो खर्चा हो जाता है क्योंकि आजकल जरूरतें बहुत हैं।

शहरों में पेपर वाला,केवल वाला, अखबार वाला, सिनेमा वाला, सब्जी वाला,किराने वालो से बहुत सारी जरूरतें आजकल शहरो के लोगों की जरूरत बनती जा रही है इनकी वजह से शहरी लोगों का खर्चा बढ़ता जा रहा है। हम सभी को चाहिए कि हम अपनी आमदनी को इन कार्यो में लगाये लेकिन फिजूल खर्ची ना करें और अपने समय का सदुपयोग करें।

गांव में अगर हम किसी का पता पूछे तो कोई भी आसानी से बता देता है लेकिन अगर शहर में हम किसी व्यक्ति के पास वाले मकान मालिक का पता पूछे तो शायद वह भी बता ना पाए क्योंकि शहर के लोगों को ज्यादातर TV, इंटरनेट और अपने काम तक ही मतलब रहता है। हम सभी को चाहिए कि हम भले ही शहर में रह रहे हैं, शहरी जीवन अपना रहे हैं लेकिन हमें अपने अपनों का ख्याल रखना चाहिए, अपनों के साथ रहना चाहिए और शहर में बच्चों को उचित शिक्षा दिलवाकर अपने देश के विकास में सहयोग प्रदान करना चाहिए

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