शिव और नंदी की कहानी

दोस्तों हम सभी जानते हैं कि नंदी भगवान शिव के एक सेवक हैं.नंदी जी की मूर्ति हमेशा भगवान शिव शंकर के पास में या उनके मंदिर के द्वार पर खड़ी दिखाई देती है आज हम इस कहानी के जरिए जानने वाले हैं कि नंदी कैसे भगवान शिव शंकर के सेवक बने और उनका जन्म कैसे हुआ.

काफी समय पहले की बात है एक शिलाद ऋषि थे वह ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते थे लेकिन उन्हें ये चिंता होने लगी थी कि अब उनका वंश समाप्त हो जाएगा उन्होंने सोचा क्यों ना मैं एक ऐसा बच्चा गोद ले लू जो ईश्वर भक्ति करने वाला हो इसीलिए उन्होंने भगवान शिव शंकर की घोर तपस्या की.भगवान शिव शंकर ऋषि शिलाद के सामने प्रकट हुए और ऋषि शिलाद के वर मांगने पर शिव शंकर ने एक भक्ति भाव रखने वाले सेवाभावी पुत्र का आशीर्वाद दिया.

एक दिन ऋषि शिलाद कहीं पर विचरण कर रहे थे तभी उन्हें एक बालक मिला और तभी उन्हें पता चला कि यह शिव शंकर के वरदान के रूप में दिए जाने वाला ही बालक है उन्होंने उस बालक का नाम नंदी रख दिया. शिलाद ऋषि इस बालक को अपने घर ले आए और उसका पालन पोषण करने लगे कुछ समय बाद वह बालक बड़ा हो गया तो एक दिन शिलाद ऋषि के द्वार पर दो ब्राहम्मण आये.

शिलाद ऋषि ने उनका आदर सत्कार किया जाते समय उन दोनों ब्राह्मणों ने शिलाद ऋषि को लंबी आयु का वरदान दिया लेकिन जैसे ही नंदी ने उन दोनों ब्राह्मणों के आगे सिर नवाया तो उन्होंने नंदी को लंबी आयु का आशीर्वाद नहीं दिया और नंदी को देखकर दोनों ऋषियों के चेहरे पर भाव कुछ अजीव से हो गए तब उन दोनों ऋषियों को देखकर शिलाद ऋषि ने उनसे इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि आपका पुत्र नंदी अल्पायु है

यह सुनकर ऋषि को दुख हुआ जब यह बात नंदी से कही तो वह ये सुनकर हंसने लगे और कहने लगे कि मैं शिव शंकर के द्वारा दिया हुआ पुत्र हूं मैं इन बातों को नहीं मानता.नंदी ने कुछ समय बाद घोर तपस्या की और शिव शंकर उनके सामने प्रकट हुए और नंदी ने शिव शंकर से वरदान मांगा कि मैं हमेशा आपके साथ रहूं और आप की सेवा करता रहू तभी से नंदी भगवान शिवशंकर के समीप हमेशा रहते हैं उनकी प्रतिमा भी शिव शंकर के मंदिर के आस-पास दिखती है

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