धन की उपयोगिता पर निबंध Dhan ki upyogita par nibandh in hindi
Dhan ki upyogita par nibandh in hindi
Dhan ki upyogita – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से धन की उपयोगिता पर लिखे निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर धन की उपयोगिता पर लिखे निबंध के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते है ।
धन की उपयोगिता के बारे में – दोस्तों आज हम देख रहे हैं कि मनुष्य किस तरह से धन के लोभ में अपना जीवन बर्बाद कर रहा है । कुछ लोग धन के लोभ में बेईमानी , चोरी , हिंसा द्वेष जैसे अवगुण धारण कर रहा है । व्यक्ति को सुख सुविधाएं प्राप्त हो इसके लिए वह निरंतर धन को एकत्रित करने में लगा हुआ है । आज की दुनिया में जिसके पास धन है उसके पास सभी सुविधाएं मिलती हैं और वह अपना जीवन आराम से बिताता है । जिसके पास धन है वह धन की रक्षा करने में ही अपना जीवन बिता देता है । जिसके पास धन नहीं है , गरीब है वह सभी सुख सुविधाओं से वंचित रहता है ।
धन मनुष्य की जरूरतों की पूर्ति करता है । धन के बिना आज कुछ भी संभव नहीं है ।दोस्ती मैं आपको बता देना चाहता हूं कि धन से हम साधन , सुख सुविधाएं खरीद सकते हैं परंतु धन से हम सुख , चैन , आराम , शांति नहीं खरीद सकते हैं । जो लोग धन के लोभ में बेईमानी करते हैं वह कभी भी सुख चैन शांति से अपना जीवन व्यतीत नहीं कर सकते हैं । धन मनुष्य के जीवन में बहुत ही उपयोगी हो गया है । आज मनुष्य अपने पेट के लिए धन नहीं कमाता है बल्कि संसार में जो सुख सुविधाएं है उन सुख सुविधाओ को प्राप्त करने के लिए धन कमा रहा है ।
सुख सुविधाओं का लाभ लेने के लिए मनुष्य किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है । धन मनुष्य की जरूरतों की पूर्ति करता है । यदि धन का उपयोग सही कामो के लिए किया जाए तो दुनिया में मानवता बनी रहेगी । आज हम देख रहे हैं की कुछ बड़े-बड़े व्यापारी धन को एकत्रित करने के लिए घूसखोरी जमाखोरी करते हैं जिसके कारण गरीब विकास की ओर नहीं बढ़ पाता है और मानवता का अंत होता है । चारों तरफ भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार फैला हुआ है । यदि हम मानवता को जिंदा रखना चाहते हैं तो धन का मोह छोड़कर एक मानव बनना चाहिए ।
धन को प्राथमिकता नहीं देना चाहिए । धन को तो हम मेहनत करके प्राप्त कर सकते हैं पर यदि हमने अपनी मानवता खो दी तो यह दुनिया एक दूसरे की दुश्मन हो जाएगी । आज दुनिया में धन की उपयोगिता इतनी बढ़ गई है कि लोग धन को एकत्रित करने के लिए बेईमानी चोरी हिंसा जैसे दोषों को अपना रहे हैं । धन के लोभ मे ही मनुष्य बेईमानी के रास्ते पर चलता है । धन की उपयोगिता इतनी बढ़ गई है कि भाई भाई को नहीं मानता है । कुछ लोग ऐसे होते हैं जो धन प्राप्त करने के लिए अपने भाई को ही दुश्मन बना लेता है ।
प्राचीन समय में एक भाई अपने दूसरे भाई के लिए जान देने तक को तैयार हो जाता था पर आज दुनिया के इंसानों को ना जाने क्या हो गया है दुनिया के इंसानो ने अपनी मानवता ही खो दी है । धन की उपयोगिता को मानवता ने जीवन का आधार बना लिया है । आज पड़ोसी पड़ोसी से दुश्मनी करने में लगा है । यदि मनुष्य सुख-शांति का जीवन जीना चाहता है तो उसे धन का मोह त्याग कर मानवता को अपनाना होगा क्योंकि मानवता से मनुष्य के जीवन का उद्धार होता है । हमें कभी भी धन का घमंड नहीं करना चाहिए ।
यदि हम धन का सही उपयोग करना चाहते हैं तो हमें जो गरीब हैं उनकी भलाई के लिए धन को खर्च करना चाहिए क्योंकि मानवता ही मनुष्य के जीवन का उद्धार कर सकता है । मनुष्य को सच्चाई के रास्ते पर चलते हुए अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए । धन मनुष्य की जरूरतों को पूरा कर सकता है पर जीवन का उद्धार नहीं कर सकता है । जिस मनुष्य के जीवन में सुख शांति होती है उसका ही जीवन एक सफल जीवन होता है । मोह माया के जाल में कभी भी इंसान को फसना नहीं चाहिए । धन को पाने के लिए इंसान मोहमाया जैसे जाल में फंस जाता है और अपने जीवन को झनझटों के जाल में फंसा देता है ।
आज के मनुष्य ने धन दौलत को ही अपना जीवन बना लिया है । मैं मानवता पर विश्वास रखता हूं । धन दौलत तो आती जाती रहेगी पर मनुष्य ने अपनी मानवता खो दी तो वह एक राक्षस के समान हो जाएगा । उसीके अंदर दया भाव की भावना जागृत नहीं होगी ।
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