त्रिभुवननाथ शुक्ल का जीवन परिचय Tribhuvan nath shukla biography in hindi

Tribhuvan nath shukla biography in hindi

Tribhuvan nath shukla – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से अखिल भारतीय साहित्य परिषद के निदेशक त्रिभुवननाथ शुक्ल के जीवन परिचय के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर त्रिभुवननाथ शुक्ल के जीवन के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।

Tribhuvan nath shukla biography in hindi
Tribhuvan nath shukla biography in hindi

त्रिभुवननाथ शुक्ल के जन्म के बारे में – अखिल भारतीय साहित्य परिषद के निर्देशक त्रिभुवननाथ शुक्ल का जन्म 13 जुलाई 1953 को भारत देश के उत्तर प्रदेश राज्य के इलाहाबाद जिला के तहसील करछना  मे हुआ था ।

अखिल भारतीय साहित्य परिषद के महान निर्देशक त्रिभुवन नाथ शुक्ल की पुस्तकों के बारे में –  अखिल भारतीय साहित्य परिषद के एक महान निर्देशक त्रिभुवननाथ शुक्ल जी ने जनकल्याण हेतु अपने विचारो को लिखकर भारतीय लोगों को विकसित दिशा में जाने का रास्ता दिखाया है । इनकी सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख पुस्तकें इस प्रकार से हैं । अखिल भारतीय साहित्य परिषद के निर्देशक त्रिभुवननाथ शुक्ल के द्वारा रामचरितमानस के शब्दों का अर्थ समझाने हेतु तात्विक अध्ययन नाम की एक पुस्तक लिखी गई है जिस पुस्तक को पढ़ने के बाद रामचरितमानस का अर्थ समझने में आसानी हुई है ।

इसके बाद त्रिभुवननाथ शुक्ल के द्वारा हेमचंद्र शब्दानुशासन नाम की एक पुस्तक लिखी गई है जिस पुस्तक को कई भारतीय लोगों के द्वारा पसंद की गई है । उसके बाद त्रिभुवन नाथ शुक्ला जी के द्वारा हिंदी भाषा का आधुनिकीकरण एवं मानकीकरण पर एक पुस्तक लिखी गई है जिस पुस्तक को लिखने का उद्देश्य भारत देश की हिंदी भाषा को आधुनिकीकरण से जोड़ना था । इसके बाद त्रिभुवननाथ शुक्ल के द्वारा अवधि का स्वनिमिक अध्यन पुस्तक लिखी गई है जिस पुस्तक को श्रोताओं के द्वारा पढ़ा गया और त्रिभुवन नाथ शुक्ल की प्रशंसा की गई है ।इसके बाद त्रिभुवन नाथ शुक्ल के द्वारा मध्यकालीन कविता का पाठ नाम की पुस्तक लिखी गई है ।

इसके बाद त्रिभुवन नाथ शुक्ल के द्वारा विद्यापति पर एक पुस्तक लिखी गई है जिस पुस्तक को काफी सराहना श्रोताओं के द्वारा प्राप्त हुई है । इसके बाद त्रिभुवन नाथ शुक्ल के द्वारा अवधि साहित्य की भूमिका पर एक पुस्तक लिखी गई है ।उसके बाद त्रिभुवन नाथ शुक्ल के द्वारा अवधी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास नाम की पुस्तक लिखी गई है जिस पुस्तक को पढ़ने के बाद आनंद प्राप्त होता है । इसके बाद त्रिभुवन नाथ शुक्ल के द्वारा भारतीय बाल साहित्य की भूमिका पर एक पुस्तक लिखी गई है जिस पुस्तक की सराहना काफी की गई है ।

इसके बाद त्रिभुवन नाथ शुक्ल के द्वारा साहित्य शास्त्र के सौ वर्ष नामक पुस्तक लिखी गई है कि यह पुस्तक उन की सबसे प्रसिद्ध पुस्तक है । इसके बाद त्रिभुवन नाथ शुक्ल के द्वारा हिंदी कंप्यूटिंग पुस्तक लिखी गई है । इसके बाद त्रिभुवन नाथ शुक्ल के द्वारा हिंदी भाषा संरचना नामक पुस्तक का प्रकाशन किया गया है । इसके बाद त्रिभुवन नाथ शुक्ल के द्वारा पर्यावरणीय अध्यन नामक पुस्तक का प्रकाशन किया गया है । इसके बाद त्रिभुवन नाथ शुक्ल के द्वारा हिंदी भाषा और विज्ञान बोध नामक पुस्तक का प्रकाशन किया गया है ।

इसके बाद त्रिभुवन नाथ शुक्ल के द्वारा भाषा कौशल एवं व्यक्तित्व विकास नामक पुस्तक का भी प्रकाशन किया गया है । इसके बाद त्रिभुवन नाथ शुक्ल के द्वारा साहित्य का भोपाल संदेश नामक पुस्तक का प्रकाशन किया गया है । इस तरह से डॉक्टर त्रिभुवन नाथ शुक्ल के द्वारा यह सभी पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं जिन पुस्तकों को पढ़ने के बाद आनंद और ज्ञान की प्राप्ति होती है । त्रिभुवन नाथ शुक्ल के द्वारा यह सभी पुस्तकें समाज को विकसित , देश को विकसित करने के उद्देश्य प्रकाशित की गई हैं ।

त्रिभुवन नाथ शुक्ल के बारे में – त्रिभुवन नाथ शुक्ला का जीवन काफी सरल रहा है । त्रिभुवन नाथ शुक्ल जी कई पुस्तको का प्रकाशन करने के लिए पहचाने जाते हैं ।वर्तमान में त्रिभुवन नाथ शुक्ला साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के निर्देशक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं । त्रिभुवन नाथ शुक्ल अखिल भारतीय साहित्य परिषद के निर्देशक भी हैं । अखिल भारतीय साहित्य परिषद के बारे में आपको बता देना चाहता हूं कि यह भारत देश का एक संगठन है । भारतीय भाषाओं का देशव्यापी संगठन के रूप में उसको पूरी दुनिया जानती है । जिस अखिल भारतीय साहित्य परिषद की स्थापना 27 अक्टूबर 1966 को की गई थी ।

आज त्रिभुवन नाथ शुक्ल जी अखिल भारतीय साहित्य परिषद के महानिर्देशक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और इनका साथ श्रीधर पराडकर दे रहे हैं ।

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